Nagaland News: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती गौ-ध्वज स्थापना भारत यात्रा की शुरुआत अयोध्या से की थी. देशव्यापी गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा के बारे में स्वामी ने कहा कि देश में हम गायों के निरादर को लेकर चिंतित है. भारतीय संस्कृति में गाय को मां स्थान दिया गया है, लेकिन लोग थोड़े से स्वार्थ के लिए दूसरों की भावनाओं को आहत करते हैं.
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Swami Avimukteshwarananda news: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गौमाता को बचाने के लिए जो महिम शुरू की है. उसे नागालैंड में झटका लगा है. दीमापुर से आ रही खबरों की बात करें तो ‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा’ के लिए नगालैंड पहुंचे संत और 5 अन्य लोगों को राज्य सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण लौटने को कहा गया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwarananda) 5 अन्य लोगों के साथ बृहस्पतिवार को दीमापुर पहुंचे हालांकि उन्हें वापस लौटना पड़ा.
बैरंग लौटे शंकराचार्य
शंकराचार्य को ‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा’ निकालनी थी, जिसका उद्देश्य गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने और गोहत्या पर रोक लगाने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू करना था. एक अधिकारी ने हालांकि बताया कि दीमापुर हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद राज्य सरकार के आदेश के कारण उन्हें (शंकराचार्य को) हवाई अड्डे से बाहर निकलने से रोक दिया गया.
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चुमौकेदिमा जिले के उपायुक्त पोलन जॉन ने बताया, “राज्य सरकार के आदेश के अनुसार स्वामी और अन्य को हवाई अड्डे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई. उपायुक्त ने उन्हें (संतों को) राज्य सरकार के उस निर्णय के बारे में बताया, जिसमें ‘गौ ध्वज यात्रा’ की अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया गया है. ‘गौ ध्वज यात्रा’ का आयोजन गौहत्या पर प्रतिबंध को बढ़ावा देने के लिए किया गया था.
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का आह्वान
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गौ-ध्वज स्थापना भारत यात्रा की शुरुआत 22 सितंबर को अयोध्या से की थी. देशव्यापी गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा के बारे में स्वामी ने कहा कि देश में हम गायों के निरादर को लेकर चिंतित है. भारतीय संस्कृति में गाय को मां स्थान दिया गया है, लेकिन लोग थोड़े से स्वार्थ के लिए दूसरों की भावनाओं को आहत करते हैं. हम चाहेंगे कि लोग इस गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा जुड़े और पूजनीय गौ माता को उनका गौरव व सम्मान दिलाएं. भारतीय संस्कृति में गाय आदि काल से ही पूजनीय रही हैं. उनसे बहुत सारी मान्यताएं एवं आस्था जुड़ी है.