नरेंद्र मोदी ने CJI को दिलाया भरोसा, अदालतों पर बोझ कम करने का समर्थन करेगी सरकार
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नरेंद्र मोदी ने CJI को दिलाया भरोसा, अदालतों पर बोझ कम करने का समर्थन करेगी सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को त्वरित न्याय सुनिश्चित करने लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की पैरवी की तथा प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर को विश्वास दिलाया कि न्यायपालिका पर लंबित मामलों के बोझ कम करने के उनके प्रयासों में सरकार पूरा सहयोग देगी.

मोदी ने स्टार्टअप इकाइयों से कहा कि वे ऐसे नवोन्मेषों के साथ सामने आएं जिससे अदालती मामलों का त्वरित निस्तारण हो सके. (पीटीआई फोटो)

इलाहाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को त्वरित न्याय सुनिश्चित करने लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की पैरवी की तथा प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर को विश्वास दिलाया कि न्यायपालिका पर लंबित मामलों के बोझ कम करने के उनके प्रयासों में सरकार पूरा सहयोग देगी.

तुरंत न्याय के लिए तकनीक पर जोर

मोदी ने स्टार्टअप इकाइयों से कहा कि वे ऐसे नवोन्मेषों के साथ सामने आएं जिससे अदालती मामलों का त्वरित निस्तारण हो सके. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार चाहती है कि हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था सूचना और संचार प्रौद्योगिकी :आईसीटी: का पूरा इस्तेमाल करे. यह प्राथमिकता होनी चाहिए. इससे समय और पैसे की भी बचत होगी.’’ 

सीजेआई को दिलाया भरोसा

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150 वर्ष पूरे होने पर साल भर से चल रहे कार्यक्रम के रविवार को समापन समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं प्रधान न्यायाधीश को विश्वास दिलाता हूं कि सरकार न्यायपालिका पर बोझ कम करने और लंबित मामलों को कम करने के उनके ‘संकल्प’ का समर्थन करेगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकारों ने कानून का जो जंजाल बनाया है, कानून का बोझ जो सामान्य जनों पर लादा गया है, प्रधान न्यायधीश भी कहते हैं कि इस बोझ को कैसे कम किया जाए. मुझे इस बात की खुशी है कि हमारी सरकार के पांच साल पूरे भी नहीं हुए हैं और अब तक हम करीब करीब 1200 कानून खत्म कर चुके हैं.’’ 

बदले हुए युग में टेक्नोलॉजी की भूमिका

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह न्याय के हित में है कि देशों के लोगों को कानूनों के इस विशाल, जटिल जंजाल से मुक्ति मिले.’’ मोदी ने कहा, ‘‘बदले हुए युग में टेक्नोलॉजी की बहुत बड़ी भूमिका है. भारत सरकार ने भी आईसीटी के माध्यम से न्याय व्यवस्था का सरलीकरण करने और उसे मजबूत बनाने का प्रयास किया है. इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से अदालतों में गुणात्मक बदलाव आएगा, तेजी आएगी..’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘तारीख लेने के लिए विवेक की जरूरत नहीं होती, मसले सुलझाने के लिए विवेक की जरूरत होती है. अदालत में आने के बजाय मोबाइल पर तारीख लेने की परंपरा क्यों न शुरू की जाए. इससे दूर-दराज में तैनात सरकारी अधिकारियों को अपने मामलों के संबंध में अदालतों में पेश होने के लिए नहीं आना पड़ेगा और वे अपना बहुमूल्य समय प्रशासनिक कार्यों को निपटाने में खर्च कर सकेंगे.’’ 

मोदी ने कहा, ‘‘अगर वीडियो कॉन्फ्रेंस से जेल और अदालत को हम जोड़ दें तो कितना समय बचा सकते हैं.. कितना खर्च बचा सकते हैं. भारत सरकार का यह प्रयास है कि हमारी न्याय व्यवस्था को आईसीटी का भरपूर लाभ मिले.’’ प्रधानमंत्री ने स्टार्ट-अप शुरू करने वाले नौजवानों से नए नए प्रयोग कर न्याय व्यवस्था के लिए समाधान उपलब्ध कराने का भी आह्वान किया.

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद की यह अदालत भारत के न्याय क्षेत्र का तीर्थ है. और इस तीर्थ क्षेत्र में इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर आप सबके बीच आकर सभी की बातें सुनकर मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं.

मोदी ने पढ़ें पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन के भाषण की कुछ पंक्तियां

मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर राधाकृष्णन द्वारा यहां दिए गए भाषण की कुछ पंक्तियां पढ़ते हुए कहा, ‘‘डॉक्टर राधाकृष्णन ने कहा था कि कानून ऐसी चीज है जो लगातार बदलती रहती है. कानून लोगों के स्वभाव के अनुकूल होना चाहिए. पारंपरिक मूल्यों के अनुकूल होना चाहिए. आधुनिक प्रवृत्तियों के अनुकूल होना चाहिए. कानून की समीक्षा के समय इन सब बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए.’’ 

कानून का अंतिम लक्ष्य सभी लोगों का कल्याण है, सिर्फ अमीर लोगों का कल्याण नहीं. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से 50 वर्ष पूर्व राधाकृष्णन ने इसी धरती से न्यायाधीशों को एक मार्मिक संदेश दिया था. और आज भी वह इतना ही प्रासंगिक है. साल भर से चल रहे इस कार्यक्रम का उद्घाटन 13 मार्च, 2016 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा किया गया था.

जेएस खेहर ने उठाया लंबित मामलों का मुद्दा

प्रधान न्यायधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने देश की अदालतों में लंबित मामलों और न्यायाधीशों की कमी का मुद्दा उठाया और कहा कि वह न्यायपालिका पर बोझ कम करने के लिए कदम उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक न्यायाधीश सिर्फ पांच दिन अवकाश पीठ में बैठे तो वह प्रतिदिन छोटे-मोटे 20-25 मामले निपटा लेगा और उसके इस त्याग से अदालत का बोझ काफी घटेगा.

न्यायमूर्ति खेहर ने कहा, ‘‘हमें सलाह दी गई कि आप छोटे-छोटे मामलों जैसे जमानत, अग्रिम जमानत, किराए के मामले, दुर्घटना के दावे आदि 10-10 मामलों को एक एक पीठ में लगाना शुरू करें. इस पर हर पीठ तकरीबन 10 मामले सुबह एक घंटे में खत्म कर लेगी.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मैं विचार कर रहा था कि अगर एक जज सिर्फ पांच दिन अवकाश के दौरान पीठ में बैठे और ऐसे मामले ले जिसमें बहुत विचार करने की जरूरत नहीं है, लेकिन बहुत राहत मिलने की बात है, तो हर जज एक सवा घंटे में 20-25 मामले निपटा लेगा.’’ 

लखनउ पीठ में करीब दो लाख मामले लंबित

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जजों के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘एक दिन में एक जज 20 मामले निपटाता है तो पांच दिनों में सौ-सवा सौ मामले निपटा लेगा. अगर सभी 84-85 जज बैठें तो 20-30 हजार मामले निपटा सकते हैं. इसमें सबका सहयोग जरूरी होगा. यह त्याग केवल पांच दिनों का है. आप मुख्य न्यायधीश को बता सकते हैं कि आप किन विषयों में सहज हैं.’

उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 31 जनवरी, 2017 तक 7 लाख मामले लंबित थे, जबकि इसकी लखनउ पीठ में करीब दो लाख मामले लंबित हैं. इस उच्च न्यायालय में 85 जज हैं, जबकि मंजूर पदों की संख्या 160 है.

सुप्रीम कोर्ट में तीन विशेष पीठ गठित

न्यायमूर्ति खेहर ने कहा,‘हमने उच्चतम न्यायालय में तीन विशेष पीठें गठित की हैं जो लंबित मामलों का बोझ घटाने के उद्देश्य के लिए अतिरिक्त घंटे काम करेंगी और अवकाश के दौरान बैठेंगी.' इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर, कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोंसले और अन्य उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश उपस्थित थे.

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