पीएम मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए 14 जुलाई 1951 के पंडित नेहरू के वक्तव्य का जिक्र किया.
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नई दिल्ली: देश की पूर्व कांग्रेस नीत सरकारों की उपलब्धियों को नकारने का आरोप झेलते रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्रहवीं लोकसभा में दिए अपने पहले ही भाषण में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की कर्तव्यों को प्राथमिकता देने की बात को याद करते हुए नए भारत के निर्माण के सपने को पूरा करने के लिए सभी से कर्तव्य के मार्ग पर चलने का आह्वान किया.
गांधी-नेहरू परिवार के प्रति प्राय: आलोचनात्मक रुख रखने वाले मोदी ने मंगलवार को निचले सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए 14 जुलाई 1951 के पंडित नेहरू के वक्तव्य को उद्धृत करते हुए यह बात कही .
'कर्तव्य से ही अधिकार निकलते हैं'
पीएम मोदी ने कहा कि उस समय चुनाव से पहले पंडित नेहरू ने कहा था कि ‘दुनिया को भारत की सीख यह है कि यहां सबसे पहले कर्तव्य आते हैं और कर्तव्य से ही अधिकार निकलते हैं . आज के आधुनिक एवं भौतिकतावादी विश्व में जहां हर जगह टकराव दिखाई देता है, वहां हर कोई अधिकारों एवं सुविधा की बात करता है.. शायद ही कोई अपने कर्तव्य की बात करता हो . यही टकराव की वजह है .’
'उन्होंने जो सपना देखा, उसे देश को पूरा करना चाहिए'
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह वास्तविकता है और बड़ा दर्शन है. उन्होंने कहा कि जिस महापुरूष ने यह बात कही, उनकी बात को भुला दिया गया . यह बात महापुरूष पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 जुलाई 1951 को कही थी . मोदी ने कहा,‘मैं समझता हूं कि जो बात पंडित नेहरू ने 1951 में कही, उन्होंने जो सपना देखा, उसे देश को पूरा करना चाहिए.’’ उन्होंने पूछा कि क्या हम इस भाव के साथ देश को कर्तव्य के मार्ग पर ले जा सकते हैं?