NEET UG 2024: दोबारा नहीं होगी NEET-UG की परीक्षा, सुप्रीम कोर्ट बोला- खामी के पर्याप्त सबूत नहीं
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NEET UG 2024: दोबारा नहीं होगी NEET-UG की परीक्षा, सुप्रीम कोर्ट बोला- खामी के पर्याप्त सबूत नहीं

NEET UG 2024: सुप्रीम कोर्ट ने नीट- यूजी के मामले में हुई सुनवाई में कहा कि इस परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बडी के सबूत नहीं है, लिहाजा इस परीक्षा को दोबारा करवाने का आदेश नहीं दिया जा सकता.

NEET UG 2024: दोबारा नहीं होगी NEET-UG की परीक्षा, सुप्रीम कोर्ट बोला- खामी के पर्याप्त सबूत नहीं

Supreme Court on NEET UG 2024: सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG पर कई दिनों से चल रही सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोबारा एग्जाम करवाने का आदेश देने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि परीक्षा में कुछेक जगहों पर गड़बड़ी से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन इसमें व्यापक स्तर पर खामी के सबूत नहीं है. लिहाजा रि-एग्जाम का आदेश जारी करना उचित नहीं होगा.

'किसी को शिकायत तो हाईकोर्ट जा सकता है'

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हुई सुनवाई में कहा कि अगर किसी को NEET रिजल्ट को लेकर अपनी शिक़ायत हो वो HC का रुख कर सकता है. फिलहाल जो तथ्य सामने हैं, उसके मद्देनजर दुबारा परीक्षा कराना ठीक नहीं होगा. चीफ जस्टिस वाई वाई वी चंद्रचूड ने कहा कि जिन लोगों ने गड़बड़ी कर फायदा उठाया है, उन्हें बेदाग कैंडिडेट से अलग कर पहचान कर पाना संभव है. आगे चलकर गड़बड़ी पाई जाती है तो भी उनका एडमिशन रद्द किया जा सकता है. 

155 छात्रों को मिला गड़बड़ी का फायदा

चीफ जस्टिस ने कहा कि अभी CBI की जांच अधूरी है, इसलिए हमने NTA से ये स्पष्ठ करने को कहा था कि क्या गड़बड़ी बड़े पैमाने पर हुई है या नहीं. परीक्षा केंद्रों और NTA ने अपने जवाब में IIT मद्रास की रिपोर्ट का हवाला दिया है. जबकि CBI की जांच के मुताबिक पेपर लीक की वजह से 155 ऐसे छात्र है, जिन्हें गड़बड़ी का फायदा मिला है. 

चीफ जस्टिस ने कहा कि नए और पुराने सिलेबस के आधार पर दो आंसर को सही मानकर नंबर दिए गए थे. एनटीए अब इसी के आधार पर अपना रिजल्ट घोषित करे. ऐसा करने से पूरी रैंकिंग लिस्ट बदल जाएगी. 

कई राज्यों में दर्ज हो चुकी है एफआईआर

सूत्रों के मुताबिक कोर्ट के सामने विचार के लिए मुख्य सवाल थे कि क्या यह systematic विफलता है या नहीं. क्या गड़बड़ी व्यापक स्तर पर हुई है. क्या गड़बड़ी का फायदा उठाने वालों की पहचान अब संभव है. याचिकाकर्ताओं ने सिस्टेमेटिक विफलता का सवाल उठाकर दुबारा परीक्षा की मांग कर रखी है. कई राज्यो में इसे लेकर FIR भी दर्ज हुई है.

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