Nithakri Kand: नोएडा के निठारी गांव की D-5 कोठी के पीछे बने नाले से पुलिस ने कंकाल बरामद किए थे. कोठी के पीछे बने नाले से इतनी हड्डियां मिली थी की पुलिस को इन्हें बोरियों में भरना पड़ा था. CBI ने मनिंदर सिंह पंढेर और कोली के खिलाफ 19 मामले दर्ज किए थे.
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साल 2006, निठारी कांड. जब नोएडा के निठारी गांव की D-5 नंबर की कोठी के अंदर हुई एक वारदात ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. वर्ष 2006 में नोएडा के निठारी गांव की D-5 कोठी के पीछे बने नाले से पुलिस ने कंकाल बरामद किए थे...कोठी के पीछे बने नाले से इतनी हड्डियां मिली थी की पुलिस को इन्हें बोरियों में भरना पड़ा था...D-5 कोठी के आसपास जहां खुदाई हुई..वही से हड्डियां मिली...और ये सभी हड्डियां निठारी गांव में रहने वाले बच्चों की थी...हड्डियां ढूंढने के लिए जेसीबी मशीन से नाले को साफ कराया गया था..क्योंकि हत्यारों ने सबूत मिटाने के लिए हड्डियों को नाले में फेंक दिया था.
D-5 नंबर की कोठी मनिंदर सिंह पंढेर की थी. जिसमें उसका नौकर सुरेंद्र कोली भी रहता था. वर्ष 2006 में निठारी गांव में बच्चे लगातार गायब हो रहे थे...जिसकी शिकायत पुलिस में की गई थी. लेकिन जब बच्चों के गायब होने का सिलसिला नहीं रूका तो निठारी के लोगों ने पुलिस से D-5 कोठी की तलाशी लेने को कहा था. जहां पुलिस को इंसानों की हड्डियां मिली. ये देखकर पुलिस भी हैरान थी. इस मामले में मनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया. इसके बाद इस मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी. CBI ने मनिंदर सिंह पंढेर और कोली के खिलाफ 19 मामले दर्ज किए थे.
पिछले 17 वर्षों से ये केस चल रहा है...हर बार पेशी पर उन बच्चों के मां बाप इस उम्मीद के साथ पहुंचते कि उन्हें इंसाफ मिलेगा...मनिंदर सिंह पंढेर और कोली को फांसी होगी...लेकिन 17 वर्षों के बाद भी निठारी के लोगों को न्याय नहीं मिला. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं. ये आपको बताता हूं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड में सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में और मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में फांसी की सजा रद्द कर दी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन केसों में सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह दोनों को निर्दोष करार दिया है. पंढेर के खिलाफ कुल 6 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें तीन मामलों में वो पहले ही CBI की ट्रायल कोर्ट से बरी हो चुका है. जबकि एक मामले में हाईकोर्ट ने उसे बरी किया था. अब बाकी बचे दो केस में भी इलाहबाद हाईकोर्ट ने उसकी सज़ा को रद्द कर दिया है. यानि जिसे निठारी कांड का मास्टरमाइंड बताया गया था...वो सभी मामलों से बरी हो गया.
CBI की चार्जशीट में 16 मामलों में सुरेंद्र कोली का नाम था, लेकिन 3 केस सबूतों के अभाव में पहले ही रद्द हो गए थे. 13 मामलों में उसे अदालत ने दोषी ठहराया था. आज कोर्ट ने कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया है. हालाकि एक केस उसपर अभी भी है. अब हम आपसे पूछना चाहते हैं कि 17 वर्ष चले इस मामले में मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली का बरी हो जाना. क्या सरकार का फेल होना नहीं है, क्या ये सिस्टम की नाकामी नहीं है. क्या ये उन जांच एजेंसियों का फेल होना नहीं है जिन्होंने निठारी कांड के सबूत जुटाए. आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली की सजा को रद्द करते हुए यही कहा कि इस मामले में सबूतों का अभाव है. यानि जांच एजेंसी आरोपियों के खिलाफ सबूत ही नहीं जुटा पाई. जिसका फायदा आरोपियों को मिला...और वो बरी हो गए.
वर्ष 2006 के निठारी कांड ने पूरे देश को हैरान कर दिया था. कोठी के मालिक पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली पर आरोप लगे कि बच्चों का अपहरण कर उनको मौत के घाट उतार दिया गया.ये पूरा मामला कैसे खुला था अब हम आपको इसके बारे में बताते है...निठारी गांव में जिस वक्त बच्चे गायब हो रहे थे ठीक उसी वक्त 7 मई 2006 को निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी देने के बहाने कोठी में बुलाया था. इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी. युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे.
17 वर्षों से निठारी के लोग अपने बच्चों के लिए इंसाफ मांग रहे है. पंढेर और कोली के लिए फांसी की मांग कर रहे है. हर पेशी पर ये लोग इस उम्मीद में जाते है कि उन्हें इंसाफ मिलेगा...लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने इनके दर्द को बढ़ा दिया है. मामले की शुरूआती जांच नोएडा पुलिस ने की थी...इसलिए मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में नोएडा पुलिस के 3 सीनियर अफसरों समेत कई पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए थे. उस वक्त भी पुलिस ने इस केस को गंभीरता से नहीं लिया था..जिसकी वजह से बहुत से सबूत नष्ट हो गए थे...आज जब हाईकोर्ट ने पंढेर और कोली की सजा को रद्द कर दिया है तो लोगों में गुस्सा है...
निठारी कांड में पहला आरोप सुरेंद्र कोली पर लगा था. कोली वर्ष 2000 में उत्तराखंड से दिल्ली आया था. जहां वो एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाता था. वर्ष 2003 में मनिंदर सिंह पंढेर से उसका संपर्क हुआ और वो निठारी की D-5 कोठी में काम करने लगा. वर्ष 2004 में पंढेर का परिवार पंजाब गया था, घर में सिर्फ कोली और मनिंदर सिंह पंढेर ही रहते थे. लोगों ने आरोप लगाया था कि...कोली, कोठी के सामने से गुजरने वाले बच्चों को टॉफी और चॉकलेट का लालच देकर कोठी के अंदर बुलाता था.
- इसके बाद सुरेंद्र कोली बच्चों के साथ गलत हरकतें करता था और उनको जान से मार देता था.
- सबूत मिटाने के लिए ये बच्चों की हड्डियों को घर के पीछे बने नाले में फेंक देते थे
कोर्ट में किसी को दोषी साबित करने के लिए सबूत चाहिए होते है, और यही सबूत पहले पुलिस और फिर CBI नहीं जुटा पाई...जिसका फायदा पंढेर और कोली को मिला..सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर का बरी होना CBI के लिए भी बड़ा झटका है...इसलिए CBI ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.
आपने अक्सर हिंदी सिनेमा में देखा होगा, जब भी अदालतों का सीन आता है तो जज के बगल में एक मूर्ती दिखती है. इस मूर्ती के एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार होती है...मूर्ति की आंखों पर पट्टी बंधी होती है.
- इसे न्याय की देवी कहा जाता है...आंखों पर पट्टी इसलिए बंधी होती है. ताकि न्याय करते समय कोई भी भेदभाव ना हो.
- हाथों में तराजू इसलिए होता है ताकि किसी के साथ न्याय करते समय दोनों पक्षों को बराबर सुना जाए इसके बाद न्याय किया जाए.
- हाथों में तलवार इस बात का प्रतीक है कि उनके पास न्याय करने की शक्ति है. इस तलवार को अथॉर्टी और पावर माना जाता है.
- लेकिन आप सोचिए, क्या 17 वर्ष के बाद भी निठारी के पीड़ितों को इंसाफ मिला...ये सिस्टम की नाकामी नहीं तो क्या है...पूरे देश को हिला देने वाले नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड की आज हम आपको TIMELINE भी बताना चाहते है...जिसे देखकर आपको पता चलेगा कि ये केस कहां से शुरू हुआ था...
- 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी में D-5 बंगले के पीछे नाले से महिलाओं और बच्चों के 19 कंकाल मिले थे.
- पुलिस ने कोठी के मालिक मनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था
- बाद में ये मामला CBI को ट्रांसफर कर दिया गया.
- 8 फरवरी, 2007 को CBI की स्पेशल कोर्ट ने मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को 14 दिनों के लिए CBI की कस्टडी में भेजा.
- 13 फरवरी, 2009 को विशेष अदालत ने कोली और पंढेर को एक लड़की के साथ दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई.
- 10 सितंबर, 2009 को ट्रायल कोर्ट ने भी पंढेर और कोली को मौत की सजा सुनाई, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पंढेर को दोषमुक्त करार दिया और कोली की फांसी की सजा बरकरार रखी.
- 7 जनवरी, 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने कोली की फांसी की सजा पर रोक लगाई.
- 20 जुलाई, 2014 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फांसी की सजा के दोषियों की दया याचिका रद्द की, जिनमें सुरेंद्र कोली की याचिका भी शामिल थी.
- 12 सितंबर, 2014..ये वो तारीफ थी जिस दिन कोली को फांसी दी जानी थी, हालाकि 8 सितंबर की रात को सुप्रीम कोर्ट ने कोली की फांसी पर 1 हफ्ते की रोक लगी दी थी. इसके अगले महीने सुप्रीम कोर्ट ने कोली की फांसी की सजा को बरकरार रखा था. वर्ष 2015 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने कोली की फांसी की सज़ा पर ये कहते हुए रोक लगा दी थी कि उसकी दया याचिका पर फैसला लेने में काफी देर कर दी गई है. इसलिए अब फांसी देना सही नहीं होगा.
- 22 जुलाई, 2017 को CBI कोर्ट ने मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को दोषी करार दे दिया.
- 24 जुलाई, 2017 को सीबीआई कोर्ट ने दुष्कर्म और हत्या के एक और मामले में दोनों को दोषी करार दिया.
- 16 अक्टूबर, 2023 को इलाहबाद हाई कोर्ट ने मनिंदर सिंह पंढेर पर चल रहे सभी मामलों में उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया है. जबकि सुरेंद्र कोली को कोर्ट ने 12 मामलों में बरी किया. अब भी कोली पर एक केस चल रहा है.
इलाहाबाद कोर्ट ने दोनों की सजा को रद्द करते हुए यही कहा कि जांच एजेंसियों के पास पर्याप्त सबूत नहीं है. सोचिए, 17 साल बाद ये पता चला कि जो एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है उसके पास सबूत ही नहीं है. क्या ये हैरानी वाली बात नहीं है. और सबसे ज्यादा हैरानी तो उन लोगों के लिए है जिनके बच्चे भी चले गए और इंसाफ मिलने की आस भी टूट गई. इस विश्लेषण का अंत मैं एक सवाल पूछकर करना चाहता हूं...सवाल ये है कि कोर्ट से तो पंढेर और कोली बरी हो गए है...तो फिर बच्चों का हत्यारा कौन है.