कैंसर का इलाज होगा आसान! गैर कोडिंग RNA की हो सकती है बड़ी भूमिका
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कैंसर का इलाज होगा आसान! गैर कोडिंग RNA की हो सकती है बड़ी भूमिका

प्रोफेसर राव ने कहा कि कई एलएनसीआरएनए अणुओं पर वर्तमान में क्लीनिकल टेस्ट हो रहा है जिसका भविष्य में कैंसर इलाज में बड़ा असर होगा.

फाइल फोटो.

तिरूवनंतपुरम: वरिष्ठ वैज्ञानिक और जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के पूर्व अध्यक्ष एमआरएस राव ने कहा कि लॉन्ग नॉन कोडिंग राइबोन्यूक्लिक एसिड (एलएनसीआरएनए) की कैंसर रिसर्च में ज्यादा स्टडी नहीं हुई है. उनके मुताबिक गैर कोडिंग वाले आरएनए की कैंसर रिसर्च में बड़ी भूमिका हो सकती है और इससे इलाज की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी.

क्लीनिकल टेस्ट जारी

राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के 26वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए प्रोफेसर राव ने कहा कि कई एलएनसीआरएनए अणुओं पर वर्तमान में क्लीनिकल टेस्ट हो रहा है जिसका भविष्य में कैंसर इलाज में बड़ा असर होगा. गैर कोडिंग आरएनए (एनसीआरएनए), आरएनए का एक अणु होता है जिसे उसके आकार के आधार पर छोटे या बड़े में विभाजित किया जाता है. प्रोफेसर राव ने ‘लॉन्ग नॉन कोडिंग आरएनए इन सेल्युलर डिफरेंसिएशन एंड कैंसर - ए स्टोरी ऑफ एलएनसीआरएनए एमआरएचएल : डिस्कवरी टू फंक्शन’ पर लेक्चर दिया. राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी की आधारशिला 18 नवंबर 1995 को रखी गई थी और यह संस्थान वर्तमान में अपनी स्थापना के 25 वर्ष मना रहा है.

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हर साल लाखों लोगों की होती है मौत

बता दें, WHO की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के कारण हर वर्ष तीन लाख महिलाओं की मौत होती है. सर्वाइकल कैंसर के कारण होने वाली मौतों में, उच्च-आय और निम्न-आय वाले देशों के बीच एक बड़ी विसंगति है. एक अनुमान के मुताबिक, इस कैंसर से होने वाली हर 10 में से 9 मौतें, निम्न- व मध्य-आय वाले देशों में होती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के डीजी टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, 'सर्वाइकल कैंसर की लगभग पूरी तरह रोकथाम की जा सकती है, और अगर इसके बारे में जल्द जानकारी हो जाए, तो यह उन कैंसर के उन रूपों में है, जिनका सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है.'

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