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Omar Abdullah on Idea of India: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने लाउडस्पीकर विवाद (Loudspeaker Row) से लेकर हलाल मीट के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने के बाद अब देश के जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को भारत की मुद्रा (रुपये) से कुछ सीख लेने की नसीहत दी है.
भारत एक राष्ट्रीय भाषा के हिसाब से काफी विविधता भरा देश है. भारत के पीछे का विचार (Idea of India) यह है कि यह सभी को स्थान देता है. अगर भारतीय मुद्रा का नोट सभी भाषाओं को जगह देता है, तो इससे यह भी समझा जा सकता है कि हम सिर्फ एक भाषा, संस्कृति और धर्म से कहीं बढ़कर हैं.
भारत एक राष्ट्रभाषा के लिए बहुत विविध देश है। भारत का विचार यह है कि यह सभी को स्थान देता है। अगर भारतीय करेंसी नोट सभी भाषाओं को जगह देता है, तो यह समझा जाता है कि हम सिर्फ एक भाषा, संस्कृति और धर्म से बढ़कर हैं: उमर अब्दुल्ला, नेशनल कांफ्रेंस pic.twitter.com/P4F4RtlJWs
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 28, 2022
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता लोकतंत्र की एक पहचान है. भारत एक बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन लोकतंत्र केवल शब्दों में नहीं हो सकता बल्कि कर्मों में भी होना चाहिए. नियंत्रण और असहिष्णुता का माहौल देश के लिए अच्छा नहीं है.
उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'मस्जिदों में लाउडस्पीकर की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती? जबकि दूसरी जगहों पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
हमें बताया जा रहा है कि हलाल मीट नहीं बेचा जाना चाहिए. आखिर क्यों? हम यह नहीं कह रहे हैं कि मंदिरों, गुरुद्वारों में माइक नहीं लगाने चाहिए. हम जो कुछ भी करते हैं, वो आपको पसंद नहीं है.'
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उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर (J&K) में सेहरी और इफ्तार के समय बिजली कटौती कर जानबूझकर लोगों को परेशान किया जा रहा है. यदि आपका इरादा हमारी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का नहीं है, तो सेहरी और इफ्तार के समय बिजली दी जाए और दिन के दूसरे घंटों में कटौती की जाए.
उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत के साथ विलय के लिए इसलिए सहमत हुए, क्योंकि हमें बताया गया कि यहां सभी धर्मों को समान नजर से देखा जाएगा. उस वक्त अगर कहा जाता कि यहां एक धर्म को दूसरे धर्म से ज्यादा अहमियत दी जाएगी तो शायद हमारा फैसला कुछ और होता.
उमर अब्दुल्ला ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की इस घोषणा का स्वागत किया कि संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के संबंध में याचिकाओं को गर्मी की छुट्टी के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.
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