एक डुबकी से 1 लाख गोदान का फल
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एक डुबकी से 1 लाख गोदान का फल

नासिक सिंहस्थ कुंभ में 13 सितंबर को मुख्य शाही स्नान है। इस दिन महाकुंभ का महाअमृत योग भी है। नासिक कुंभ में स्नान-दान का पुण्यकाल ब्रह्ममुहूर्त प्रात: 4 बजकर 50 मिनट से शुरु होगा जो कि दोपहर 12:11 बजे अमावस्या तिथि के समाप्त होने तक रहेगा। महाअमृत योग में मंत्र सिद्धि और मंत्र जाप करके आप अपने जीवन में चमत्कार कर सकते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जिस समय बृहस्पति सिंह राशि में हो, उस समय गोदावरी में केवल स्नान करने से ही अश्वमेघ यज्ञ और एक लाख गोदान करने का पुण्य मिलता है।

फाइल फोटो

दिल्ली: नासिक सिंहस्थ कुंभ में 13 सितंबर को मुख्य शाही स्नान है। इस दिन महाकुंभ का महाअमृत योग भी है। नासिक कुंभ में स्नान-दान का पुण्यकाल ब्रह्ममुहूर्त प्रात: 4 बजकर 50 मिनट से शुरु होगा जो कि दोपहर 12:11 बजे अमावस्या तिथि के समाप्त होने तक रहेगा। महाअमृत योग में मंत्र सिद्धि और मंत्र जाप करके आप अपने जीवन में चमत्कार कर सकते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जिस समय बृहस्पति सिंह राशि में हो, उस समय गोदावरी में केवल स्नान करने से ही अश्वमेघ यज्ञ और एक लाख गोदान करने का पुण्य मिलता है।

महाकुंभ महापर्व का अमृत संदेश

अमृत कुंभ पर्व में सिर्फ गोदावरी के जल में ही अमृत की बूंदें नहीं छलकतीं, बल्कि ये हमारे जीवन में भी अमृत तत्व का संचार करती है। ज्ञान से बुद्धि में, श्रद्धा से मन में, स्नान की पवित्रता से शरीर में और दान से धन में अमृत का संचार होता है। 13 सितंबर को गोदावरी या गंगा नदी में इस मंत्र के जाप से जीवन के हर कष्ट खत्म हो सकते हैं-

ॐ नम: शिवायै गंगायै शिवदायै नमो नम:

नमस्ते विष्णुरुपिण्यै ब्रह्ममूर्त्यै नमोस्तुते।।

 मंत्र जाप के बाद गंगास्तोत्र, शिवाष्टक, शिवस्तोत्र के पाठ से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

नासिक की महिमा

नासिक तीर्थ गोदावरी,पंचवटी,त्र्यम्बक और गौतमी नाम से भी प्रसिद्ध है। ये वही स्थान है जहां वनवास के दौरान लक्ष्मण जी ने पंचवटी बनाई थी। पंचवटी में लक्ष्मण जी ने, रावण की बहन सुपर्णनखा की नाक काटी थी, जिसके बाद लंकाधिपति रावण ने यहीं से माता सीता का हरण किया था। नासिक पंचवटी से थोड़ी दूरी पर त्र्यम्बकेश्वर स्थान है, जहां ब्रह्मगिरी पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है। जो महिमा उत्तर भारत में गंगा की है, वही महिमा दक्षिण भारत में गोदावरी नदी की है। जिस तरह भगीरथ अपने तप से मां गंगा को धरती पर लाये थे, वैसे ही गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गोदावरी ब्रह्मगिरी पर्वत में प्रकट हुई थीं। जब बृहस्पति सिंह राशि में आता है तब नासिक में कुंभ मेला लगता है। गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर ही भगवान शिव ने यहां निवास किया और कहलाए त्र्यम्बकेश्वर। 

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