अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधान सभा चुनाव (West Bengal Assembly Election) से पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं और तीन विधायकों समेत अब तक 4 बड़े नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं.
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कोलकाता: अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधान सभा चुनाव (West Bengal Assembly Election) से पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को एक दिन में दो बड़े झटके लगे हैं. तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक शीलभद्र दत्त (Silbhadra Dutta) और अल्पसंख्यक मोर्चा के नेता कबीर-उल-इस्लाम ने शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इससे पहले शुवेंदु अधिकारी और जितेंद्र तिवारी ने पार्टी छोड़ दी थी.
24 परगना जिले के बैरकपुर से विधायक शीलभद्र दत्त (Silbhadra Dutta) ने ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को अपना इस्तीफा भेजा है. बता दें कि शीलभद्र दत्त पहले कई बार भारतीय राजनीतिक कार्रवाई समिति (I-PAC) प्रमुख प्रशांत किशोर को लेकर नाराजगी जता चुके हैं. उन्होंने कहा था कि प्रशांत किशोर का काम मार्केटिंग कंपनी जैसा है. ऐसे माहौल में काम नहीं हो सकता है. बता दें कि ममता बनर्जी ने 2019 में लोक सभा चुनाव के परिणामों के बाद प्रशांत किशोर को अपनी पार्टी के लिए राजनीतिक रणनीति बनाने के लिए चुना था.
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बता दें कि पूर्वी मेदिनीपुर जिले में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक शुवेंदु अधिकारी ममता बनर्जी के करीबी माने जाते थे. उन्होंने साल 2009 में नंदीग्राम में वाम मोर्चा की सरकार के खिलाफ भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में ममता बनर्जी की मदद की थी, जिसके बाद टीएमसी साल 2011 में पश्चिम बंगाल की सत्ता में आई थी.
शुवेंदु अधिकारी के अलावा पांडेश्वर विधानसभा क्षेत्र से विधायक जितेंद्र तिवारी ने भी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इस्तीफा देते हुए आरोप लगाया था कि कोलकाता में खूब सारा फंड है, लेकिन आसनसोल के विकास के लिए फंड नहीं मिलता. उन्होंने कहा था कि हमें स्मार्ट सिटी से वंचित रखा गया. हमें ठोस कचरा प्रबंधन से भी वंचित रखा गया. हमें कई विकास कार्यों से वंचित रखा गया है. ऐसी स्थिति के बीच काम करना बहुत कठिन हो रहा है, इसलिए मैं आसनसोल नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं.
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