OPINION: 'सबको बता देना, हम लोग अब मरने जा रहे हैं...' क्या सिर्फ कर्ज और ब्याज का बोझ ही है युवाओं की जान का दुश्मन?
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OPINION: 'सबको बता देना, हम लोग अब मरने जा रहे हैं...' क्या सिर्फ कर्ज और ब्याज का बोझ ही है युवाओं की जान का दुश्मन?

Debt Ridden Couple Suicide: हरिद्वार में रानीपुर थाना के प्रभारी विजयसिंह ने बताया कि आत्महत्या से पहले सौरभ बब्बर और उनकी पत्नी मोना बब्बर का लिखा और दस्तखत किया एक नोट भी बरामद हुआ है. इसमें उन्होंने लिखा है कि वह कर्ज के दलदल में इस कदर फंसे हैं कि अब बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है. इसलिए वे अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं. सौरभ पर करीब 10 करोड़ रुपये का कर्ज था. 

OPINION: 'सबको बता देना, हम लोग अब मरने जा रहे हैं...' क्या सिर्फ कर्ज और ब्याज का बोझ ही है युवाओं की जान का दुश्मन?

Saharanpur Couple Suicide: सहारनपुर से पूरी तैयारी के साथ बाइक से हरिद्वार तक सफर, ऑडियो मैसेज, सुसाइड नोट फिर आखिरी सेल्फी और पत्नी सहित उफनती गंगा नदी में छलांग... पति सौरभ बब्बर की लाश मिली और पोस्टमार्टम भी हो गया. वहीं, पत्नी मोना बब्बर की तलाश जारी है. घर-परिवार वालों के आंसू सूख नहीं रहे और दोस्त-रिश्तेदार सब हैरान हैं. नाना-नानी के जिम्मे सौंपे गए दोनों बच्चों की स्थिति को समझना फिलहाल किसी दूसरे के बस की बात भी नहीं है.

कपल के सुसाइड नोट पर लिखीं बातें महज बाय-प्रोडक्ट क्यों?

खबरों और चर्चाओं में सहारनपुर के इस कपल की खुदकुशी के पीछे अंधाधुंध कर्ज और ब्याज के मकड़जाल को कारण बताया जा रहा है. हालांकि, सुसाइड नोट पर लिखीं ये बातें महज बाय-प्रोडक्ट है. ज्वैलरी शॉप का नहीं चलना, कई कमेटियों से एक साथ कर्ज लेना और लाखों का ब्याज देने के बाद भी करोड़ों के कर्ज का कम नहीं होना जैसे कई फैक्टर्स ने कपल को ओवरथिंकिंग करने, खुद को बेसहारा पाने और जीने का कोई मतलब समझ में नहीं आने पर सबसे गलत उठाने पर मजबूर कर दिया. 

महज कमजोर क्षण या झटके में लिया गया भावुक फैसला नहीं

सहारनपुर के कपल का खुदकुशी करने के लिए हरिद्वार जाकर हाथीपुल से गंगा नहर में छलांग लगाना यह साबित करता है कि उसे अपने शहर से किस हद तक चिढ़ हो चुकी थी. यह किसी कमजोर क्षण में और महज एक झटके में लिया गया कोई भावुक फैसला भी नहीं था. क्योंकि पति-पत्नी ने अपने बच्चों के भविष्य की चिंता की. उन्हें नाना-नानी के घर छोड़ा. कथित 10 करोड़ का कर्ज चुकाने की कोशिश में घर या मकान को नहीं बेचा, बल्कि बच्चों के लिए छोड़ने की बात लिखी. साथ ही लाश नहीं मिलने की संभावना बेहद कम हो इसलिए उफनती गंगा में कूदने का निर्णय लिया.

ऑडियो मैसेज, सुसाइड नोट, आखिरी सेल्फी और फोन पर बात

इसके अलावा, नौकर को ऑडियो मैसेज, दोस्त को सुसाइड नोट और आखिरी सेल्फी भेजी. घर वालों से फोन पर बातचीत की और लगभग सौ किलोमीटर तक बाइक से सफर किया. इसका मतलब है कि काफी ठंडे दिमाग से डिटेल में प्लान बनाकर कपल ने खुदकुशी के फैसले पर अमल किया. जाहिर है कि जिंदा रहने के सभी उपायों और विकल्पों पर विचार के बाद ही उन्होंने मौत के सामने सरेंडर करने के लिए कदम बढ़ाया. एक जज्बाती प्रेमी जोड़े की तरह 'साथ जी नहीं सकते तो क्या साथ मर तो सकते हैं' जैसे फिल्मी जुमलों को हकीकत में बदल डाला.

कर्ज का लाइलाज मर्ज और ब्याज का बेतहाशा बढ़ता बोझ

इस संवेदनशील मसले पर थोड़ी और गहराई से सोचने पर कर्ज के लाइलाज मर्ज में फंसते और ब्याज का बेतहाशा बढ़ता बोझ झेलते शहरी कामकाजी युवाओं में भविष्य को लेकर बढ़ता स्ट्रेस डरा देता है. कुछ दिनों पहले मुंबई के अटल सेतु पर कार रोककर आराम से मौत के मुंह में छलांग लगाते इंजीनियर की वायरल तस्वीरों को लोग भूले भी नहीं थे कि हरिद्वार वाला मामला सामने आ गया. आए दिन अखबारों में ऐसी परेशान करने वाली सुर्खियां सामने आती रहती है. किसानों के बाद कामकाजी युवाओं का यह हाल पूरे देश के लिए चिंताजनक है.  

गांव छोड़कर क्यों शहरों का रुख करने पर मजबूर हो  युवक

अच्छे, सुरक्षित और अवसरों से भरे जगह होने की बात सुनकर ज्यादातर युवा गांव छोड़कर शहरों का रुख करने पर मजबूर कर हो जाते हैं. कई बार युवक यह कदम परिवार और रिश्तेदारों के ट्रिगर करने या किसी और की चकाचौंध से भरी लाइफ स्टाइल के असर में आने से भी उठा लेते हैं. हालांकि, शहर जाकर सही मूल्यांकन कर पाने और चीजों को सही समझ सकने में देरी हो जाती है और वह वापस नहीं जा पाते. इंस्टैंट लोन, आसान दिखने वाली ईएमआई पर जुटती सुविधाएं, नौकरी की शुरुआत में स्विच करने की आजादी, मॉडर्न कल्चर का लुभावना खुलापन वगैरह आकर्षक लगता है.

जिंदा रहने और आत्महत्या को लेकर ओवरथिंकिंग का दौर

पढ़े-लिखे युवाओं की आंखों पर पड़ा इस सबका पर्दा तब हटता है जब अचानक कोई मुसीबत आती है. इनफ्लैशन, बड़े पैमाने पर छंटनी, कोई बीमारी, कानूनी झंझट, कर्ज का मकड़जाल, दुर्घटना, धोखाधड़ी वगैरह ऐसे ही कुछ मौके होते हैं. कई लोग इस संघर्ष से उबर जाते हैं तो कुछ लोग गलत कदम भी उठा लेते हैं. हालांकि, गलत कदम उठा लेने के बाद की परिस्थितियों को लेकर कोई नहीं सोचता, लेकिन जिंदा रहने और संघर्षों का सामना करने को लेकर ओवरथिंकिंग का शिकार जरूर हो जाता है. 

कोविड-19 महामारी के बाद युवाओं में खतरनाक प्रवृत्ति

दिखावे के दौर में बहुत सी महिलाएं और ज्यादातर पुरुष इगो के चलते भी मन की बात शेयर नहीं कर पाते. कई बार स्ट्रेस खत्म करने के लिए उनके पास कोई होता भी नहीं. दोनों ही बेहद खतरनाक सूरत होती है. इस दौरान संवेदनशील मन और ज्यादा कमजोर महसूस करने लगता है. यही कारण केवल पीड़ित या कमजोर ही नहीं बल्कि बेहद मजबूत और सफल लोग भी चौराहे पर ये अंधा मोड़ लेने में नहीं हिचकते. कोविड-19 महामारी के बाद युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृति ने लोगों को काफी चौंकाया है.

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आत्महत्या से बचने के लिए सुझावों- नसीहतों की भरमार

युवाओं को आत्महत्या के फैसले से बचने के लिए जीवन के तमाम क्षेत्रों के लोगों के पास कोई न कोई सुझाव और नसीहत मौजूद हैं. इनमें रिवर्स माइग्रेशन, नौकरी की जगह उद्यम, स्किल डेवलपमेंट, संयुक्त परिवार, प्रकृति और पर्यावरण से प्रेम, विश्वसनीय दोस्त, कम खर्च, दिखावे और कर्ज से परहेज, गांव से जुड़कर रहने, नशे से दूरी, सेहत का ख्याल, सकारात्मक सोच, धार्मिक-आध्यात्मिक माहौल और जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग करवाना वगैरह शामिल है. हालांकि, इन सबसे बेहतर कदम अपनी और अपनों की जिंदगी से प्यार करने और उनकी कद्र करना है.

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(Disclaimer: जीवन अनमोल है. जी भरकर जिएं. इसका पूरी तरह सम्‍मान करें. हर पल का आनंद लें. किसी बात-विषय-घटना के कारण व्‍यथित हों तो जीवन से हार मारने की कोई जरूरत नहीं. अच्‍छे और बुरे दौर आते-जाते रहते हैं. लेकिन कभी जब किसी कारण गहन हताशा, निराशा, डिप्रेशन महसूस करें तो सरकार द्वारा प्रदत्‍त हेल्‍पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें.)

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