कृषि उपकरण जलाकर किसानों का अपमान कर रहा विपक्ष: मोदी
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कृषि उपकरण जलाकर किसानों का अपमान कर रहा विपक्ष: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो अपने गुस्से को दिखाने के लिए कृषि उपकरण जला रहे है, वे 'किसानों का अपमान कर रहे हैं.' प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष किसानों द्वारा पूजे जाने वाले मशीनों और उपकरणों में आग लगाकर किसानों का अपमान कर रहा है. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों और विभिन्न विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर उन्होंने उत्तराखंड में सीवेज ट्रीट के लिए 'नमामि गंगे' परियोजना के तहत छह परियोजनाओं का उद्घाटन करने के दौरान यह बात कही.

  1. पीएम मोदी का विपक्ष पर निशाना 
  2. काला धन कमाने का एक और तरीका समाप्त: मोदी 
  3.  श्रम सुधारों पर नए कानूनों के डर को दूर करने की कोशिश की: मोदी 

पीएम मोदी का विपक्ष पर निशाना 
उनकी टिप्पणी भारतीय युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक समूह द्वारा दिल्ली में ट्रैक्टर में आग लगाने के एक दिन बाद आई है. विपक्ष पर निशाना साधते हुए मोदी ने आरोप लगाया कि अब नए कृषि कानूनों का विरोध करने वालों ने सत्ता में होने के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने के पक्ष में बात की थी, लेकिन ऐसा कभी नहीं किया.

काला धन कमाने का एक और तरीका समाप्त: मोदी 
प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह हमारी एनडीए सरकार द्वारा एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार किया गया है.' उन्होंने विपक्ष पर किसी का नाम लिए बिना एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के मुद्दे पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया और दोहराया कि एमएसपी तब भी रहेगा जब किसानों को अपनी उपज मनचाही जगह बेचने की आजादी होगी. मोदी ने कहा, 'कुछ लोग इस स्वतंत्रता को (किसानों की) बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. उनके लिए काला धन कमाने का एक और तरीका समाप्त हो गया है.'

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नए कानूनों के डर को दूर करने की कोशिश
मोदी ने फिर से कृषि क्षेत्र और श्रम सुधारों पर नए कानूनों के डर को दूर करने की कोशिश की. उन्होंने कहा, 'संसद के मॉनसून सत्र के दौरान किसानों, मजदूरों और स्वास्थ्य से संबंधित कई सुधार लाए गए थे. ये सभी सुधार केवल मजदूरों, युवाओं, महिलाओं और किसानों को मजबूत करेंगे. देश इस बात का भी गवाह है कि कैसे कुछ लोग महज विरोध करने के लिए इनका विरोध कर रहे हैं.'

प्रधानमंत्री ने गंगा नदी की सफाई के लिए पर्याप्त कार्य नहीं करने के लिए भी पहले की सरकारों पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा, 'पिछले दशकों में, नदी को साफ करने के लिए बड़ी पहल की गई थी. लेकिन उन पहलों में सार्वजनिक भागीदारी या दूरदर्शिता की कमी थी. परिणामस्वरूप, नदी कभी साफ नहीं हो पाई.' (इनपुट आईएएनएस)

 

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