प्रतिमा तैयार करने के लिए असम के निचले क्षेत्रों - पाठशाला, चायगांव और बिजॉयनगर से तकरीबन छह हजार बांस मंगवाए गए
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गुवाहाटी: मां की 100 फुट से भी ऊंची प्रतिमा, पूजा पंडालों में दूर-दूर से आने वाले लोगों के आकर्षण का केंद्र है और आयोजकों ने बांस से बने सबसे ऊंचे ढांचे के तौर पर इसकी प्रविष्टि गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए कराने का दावा किया है. कुल 101 फुट ऊंची यह प्रतिमा असम के प्रख्यात कलाकार एवं सेट डिजाइनर नूरूद्दीन अहमद तथा उनकी टीम ने बनाई है और इसे ‘‘बिष्णुपुर सर्बजनिन पूजा समिति’’ ने स्थापित किया है. इस प्रतिमा का निर्माण 70 फीसदी पूरा हो चुका था जब 17 सितंबर को चली तेज आंधी में इसे गंभीर क्षति पहुंची. लेकिन एक हफ्ते के भीतर ही अहमद और उनकी टीम ने इसका फिर से निर्माण कर लिया.
वर्ष 1975 से दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण कर रहे अहमद ने बताया, “कामगार आंधी से प्रतिमा को हुई गहरी क्षति देख कर निराश हो गए थे. लेकिन हमने संकल्प लिया कि हम फिर से इसे बनाएंगे. हमने यह भी सुनिश्चित किया कि यह पूजा से दो दिन पहले तैयार हो जाए.” अहमद ने कहा, “हमने पहले ही गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स को अपने दावे के बारे में लिख दिया है कि यह प्रतिमा बांस से बना सबसे ऊंचा ढांचा है और हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा “हम आश्वस्त हैं कि हम लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में इसे जरूर दर्ज करा लेंगे.”
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अहमद ने कहा कि बांस से प्रतिमा बनाने का मकसद केवल पर्यावरण अनुकूल ढांचा तैयार करने का नहीं था बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में और विश्व में बांस से बने शिल्प को प्रोत्साहित करना भी था. प्रतिमा तैयार करने के लिए असम के निचले क्षेत्रों - पाठशाला, चायगांव और बिजॉयनगर से तकरीबन छह हजार बांस मंगवाए गए और त्योहार के बाद इनका फिर से इस्तेमाल किया जाएगा.