जयललिता की मौत के बाद से एआईएडीएमके में उथल-पुथल का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बार एआईएडीएमके से अलग हुए टीटीवी दिनाकरन ने नई पार्टी बना ली है.
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नई दिल्ली: जयललिता की मौत के बाद से एआईएडीएमके में उथल-पुथल का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बार एआईएडीएमके से अलग हुए टीटीवी दिनाकरन ने नई पार्टी बना ली है. तमिलनाडु सरकार में मंत्री डी जयकुमार ने दिनकरन की तुलना 'मच्छर' से की है. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक तमिलनाडु के मछली पालन मंत्री डी. जयकुमार से जब पूछा गया कि क्या टीटीवी दिनाकरन की नई पार्टी बनाने से एआईएडीएमके को कितना नुकसान होगा. इसके जवाब में जयकुमार ने कहा, 'वह स्वभाव से मच्छर थे. वे कब आए, कब वापस उड़ गए पता नहीं चला.' इतना ही नहीं मंत्री जयकुमार ने ये भी कहा कि एआईएडीएमके में दिनाकरन 'शनि' थे, जो अब पार्टी से चले गए हैं.
मालूम हो कि दिनाकरन जयललिता की सहेली शशिकला के भतीजे हैं और उन्होंने एआईएडीएमके से अलग होकर 'अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम' (एएमएमके) पार्टी बनाई है. दिनाकरन ने अपनी पार्टी में जयललिता को चेहरा बनाने की कोशिश की है. पार्टी बनाने की घोषणा के दौरान उन्होंने जयललिता को याद किया और अपनी पार्टी के झंडे में भी उनकी तस्वीर को जगह दी है.
It was basically a mosquito, when it came and when it flew back no one knew, it was a 'shani' over our party which has now gone- D Jayakumar,Tamil Nadu Minister on #TTVDinakaran launching own party pic.twitter.com/SBSoIqZvWE
— ANI (@ANI) March 15, 2018
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इससे पहले तमिलनाडु के मत्स्यपालन मंत्री डी. जयकुमार ने कहा था कि एआईएडीएमके पार्टी या सरकार को पार्टी से निकाले गए नेता टीटीवी दिनाकरन अथवा डीएमके नेता एमके स्टालिन से कोई खतरा नहीं है. जयकुमार ने कहा कि वह विधानसभा में सरकार की उपलब्धियों को प्रमुखता से रखेंगे. विधानसभा का आगामी सत्र आठ जनवरी को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के पारंपरिक संबोधन के साथ आरंभ होगा.
नए साल 2018 में आयोजित होने वाले पहले सत्र में पूर्व अन्नाद्रमुक नेता दिनाकरन सदन में बतौर निर्दलीय विधायक प्रवेश करेंगे. दिनाकरन ने 21 दिसंबर को आरके नगर विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में सत्ताधारी अन्नाद्रमुक और मुख्य विपक्षी दल द्रमुक को करारी शिकस्त दी थी.
इसके अलावा, दिनाकरन के प्रति वफादारी दिखाने को लेकर 18 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद पहली बार विधानसभा का सत्र बुलाया जा रहा है. इन विधायकों की ओर से मुख्यमंत्री बदलने की मांग करते हुए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने पर अयोग्य ठहराया गया था.