संसदीय समिति ने सीबीआई के लिए अलग कानून का दिया प्रस्ताव
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संसदीय समिति ने सीबीआई के लिए अलग कानून का दिया प्रस्ताव

सीबीआई को दी गई शक्ति को अपर्याप्त बताते हुए संसद की एक समिति ने अग्रणी जांच एजेंसी के लिए एक अलग कानून बनाने का सुझाव दिया है ताकि 70 साल से अधिक पुराने उस कानून को बदला जा सके जिसके तहत वह फिलहाल काम करती है। दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का कामकाज संचालित होता है।

संसदीय समिति ने सीबीआई के लिए अलग कानून का दिया प्रस्ताव

नई दिल्ली : सीबीआई को दी गई शक्ति को अपर्याप्त बताते हुए संसद की एक समिति ने अग्रणी जांच एजेंसी के लिए एक अलग कानून बनाने का सुझाव दिया है ताकि 70 साल से अधिक पुराने उस कानून को बदला जा सके जिसके तहत वह फिलहाल काम करती है। दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का कामकाज संचालित होता है।

कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय विभाग से संबंधित संसद की एक स्थायी समिति ने कहा, ‘समिति की राय है कि डीएसपीई अधिनियम के तहत सीबीआई को दी गई शक्ति बदलते समय के अनुसार पर्याप्त नहीं है और इस संदर्भ में समिति सीबीआई के लिए एक अलग कानून की सिफारिश करती है।’ समिति ने अपनी पिछली रिपोर्ट में राय दी थी कि सीबीआई को पर्याप्त शक्ति नहीं देना जांच एजेंसी का दर्जा घटाने के समान है।

रिपोर्ट में कहा गया था, ‘समिति की राय है कि सीबीआई भारत में एकमात्र एजेंसी है जिसने सीमापारीय, आतंकवाद और संगठित अपराधों की सफल जांच करने में जरूरी विशेषज्ञता हासिल की है और सीबीआई के लिए एक समर्थकारी कानून बनाना इसे स्वतंत्र और जवाबदेह एजेंसी के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम होगा, जो अपराधों की रोकथाम, जांच और अभियोजन में विशेषज्ञता रखती है।’

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने अपने जवाब में कहा कि सीबीआई समिति (जिसने अलग कानून की सिफारिश की थी) की रिपोर्ट आने के बाद से अधिक गतिशील और प्रभावी संगठन के रूप में विकसित हुई है। उसने कहा, ‘सीबीआई के लिए अलग कानून लाने के विषय पर विचार किया गया है और यह निष्कर्ष निकाला गया कि संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी, जो संविधान के संघीय ढांचे में भी अतिक्रमण कर सकता है और संसद के कानून बनाने की शक्ति दूसरी सूची की प्रविष्टि दो के साथ विरोधाभासी होगी, जो राज्यों के अधिकार क्षेत्र में है।’ 

डीओपीटी ने कहा, ‘इसलिए, केंद्र सरकार सीबीआई का गठन करने और उसे शक्तियां देने के लिए स्वतंत्र नहीं है, जो अपराधों की जांच के लिए राज्य पुलिस को दी गई शक्तियों में अतिक्रमण होगा।’ इसपर समिति ने कहा कि डीओपीटी की सारी शंकाओं का पूर्व की रिपोर्ट में निवारण किया जा चुका है और उसने सीबीआई के कामकाज को संचालित करने के लिए अलग कानून की आवश्यकता दोहराई है।

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