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श्रीनगर: 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से आर्टिकल 370 के खात्मे के दो साल पूरे होने जा रहे हैं लेकिन उससे पहले ही महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने सिर्फ जम्मू-कश्मीर ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोगों को भड़काने की कोशिश शुरू कर दी है. पीडीपी (PDP) की स्थापना की 22वीं सालगिरह पर भाषण के दौरान महबूबा मुफ्ती ने फिर से पाकिस्तान से बातचीत की वकालत की तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी (BJP) पर आरोप लगाया कि उन्होंने संविधान से खिलवाड़ करके जम्मू-कश्मीर की सूरत बिगाड़ दी है.
कश्मीर के बच्चों के हाथ में अब पत्थर नहीं, स्कूल की किताब है. अब आतंकवाद (Terrorism) का डर नहीं, कारोबार की 'बहार' है. ये कश्मीर में बदलाव की तस्वीर है. लेकिन इस बदलाव पर महबूबा मुफ्ती के बोल बिगड़े हुए हैं. कश्मीर में तिरंगा है लेकिन महबूबा मुफ्ती का मातम कम नहीं हो रहा.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि बीजेपी ने संविधान को तहस-नहस करके जम्मू-कश्मीर की शक्ल बिगाड़ दी, आप लोग तमाशा देखते रहे. आज आप देख रहे हैं यही पूरे मुल्क के साथ हो रहा है. किसी पत्रकार, एक्टिविस्ट, एनजीओ या किसी नेता ने बात की तो उनके घर NIA, ED और CBI का छापा पड़ जाता है. उनको जेल में डाल देते हैं. यही तो हो रहा है जम्मू-कश्मीर में.
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बता दें कि महबूबा मुफ्ती यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म करने के फैसले को जम्मू-कश्मीर की बेइज्जती तक बता डाला. उन्होंने कहा कि ऐ मेरे मुल्क के लोगों जाग जाओ. इस कश्मीर ने बाइज्जत तरीके से आपसे हाथ मिलाया है. आपने उसके बेइज्जत होने का तमाशा देखा, ये अच्छी बात नहीं है.
आर्टिकल 370 को खत्म करना गैरकानूनी है या नहीं, ये मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में है. लेकिन महबूबा मुफ्ती ने जज बनकर अपना फैसला सुना दिया और इसे जम्मू-कश्मीर की बेइज्जती भी बता दिया. पर सवाल ये है कि देश की संसद का लिया गया फैसला देश के एक हिस्से की बेइज्जती कैसे है? या फिर ये दर्द सियासी दुकान बंद हो जाने का है.
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जान लें कि आर्टिकल 370 पर सवाल उठाते-उठाते महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान राग भी अलापने लगीं और एक बार फिर से पाकिस्तान से बातचीत की वकालत कर बैठीं. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मैं कहती हूं करो पाकिस्तान से फिर से बातचीत करो. पाकिस्तान के साथ फिर से कारोबार शुरू करो. क्यों नहीं करोगे?
पूरा देश जानता है कि पाकिस्तान आए दिन जम्मू-कश्मीर के लोगों के खिलाफ साजिश करता है. सबको पता है कि पाकिस्तान की वजह से कश्मीर दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है और सब ये भी जानते हैं कि पाकिस्तान ने हर बार बात के बहाने घात किया है. फिर उस पाकिस्तान से बातचीत की वकालत क्यों. ये बड़ा सवाल है और सवाल ये भी कि आतंकवाद के साए में क्या कोई कारोबार कभी भी फल-फूल सकता है.
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