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नई दिल्ली: पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Snoopgate) की जांच कराने की म़ाग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) से कहा कि दो-तीन दिनों के भीतर अगर सरकार के रुख में कोई बदलाव होता है तो वह उसे अदालत में मेंशन कर सकते हैं. वहीं सीजेआई ने कहा कि आपने पिछली सुनवाई में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा था और अब आप दूसरी बात कर रहे हैं.
केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि हम विस्तृत हलफनामा दाखिल नहीं कर रहे हैं, हालांकि हम निष्पक्ष लोगों की एक कमिटी बना सकते हैं जिसमें सरकार के लोग शामिल नहीं होंगे. आज की सुनवाई के दौरान CJI ने कहा, 'हमने कहा था कि संवेदनशील जानकारी हलफनामे में न लिखी जाए. बस ये सवाल पूछा था कि क्या जासूसी हुई, क्या सरकार की इजाजत से ऐसा हुआ?' आरोप है कि इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए कुछ खास लोगों की कथित तौर पर जासूसी की गई.
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CJI एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल से कहा, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार का रुख जानने के लिए विस्तृत हलफनामा दायर करने का एक उचित अवसर दिया है. जब सरकार ऐसा नहीं करेगी, तब सुप्रीम कोर्ट पक्षकारों को सुनेगा और उचित आदेश पारित करेगा.
CJI - हम फिर दोहरा रहे हैं कि सुरक्षा या रक्षा से जुड़े मामलों को जानने में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है. हम केवल चिंतित हैं, जैसा कि मेरे भाई ने कहा, हमारे सामने पत्रकार, कार्यकर्ता आदि हैं. यह जानने के लिए कि क्या सरकार ने कानून के तहत स्वीकार्य के अलावा किसी अन्य तरीके का इस्तेमाल किया है?
इस सवाल के जवाब में सॉलिसिटर जनरल (SG) ने IT मंत्री के इस बयान पर जोर दिया कि हमारी मजबूत जांच और संतुलन प्रणाली के भीतर किसी भी प्रकार की अवैध निगरानी संभव नहीं है. अगर कुछ लोग अपनी जासूसी का अंदेशा जता रहे हैं तो सरकार इसे गंभीरता से लेती है. तभी कमिटी बनाने की बात हो रही है. कमिटी कोर्ट को रिपोर्ट देगी.
कपिल सिब्बल: यह स्पाइवेयर अपने आप में अवैध है। इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है. आम नागरिकों को निशाना बनाया गया. यह एक गंभीर मसला है. सरकार यह नहीं कह सकता कि वे अदालत को नहीं बता सकते.
CJI - हमारे सामने मुद्दा यह है कि हमारे पास नागरिक कह रहे हैं कि उनके फोन टैप किए गए थे. मंत्री जी भी यही कह रहे हैं.
SG - मंत्री ने केवल इस संबंध में रिपोर्टों का हवाला दिया.
CJI - समिति नियुक्त करना या जांच करना यहां सवाल नहीं है. अगर आप हलफनामा दाखिल करते हैं तो हमे पता चलेगा कि आपका स्टैंड क्या है.