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नई दिल्ली: पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Spyware Issue) की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली 9 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को एकसाथ सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि अगर जासूसी से जुड़ी रिपोर्ट सहीं हैं तो ये गंभीर आरोप हैं, लेकिन एडिटर्स गिल्ड को छोड़ कर सारी याचिकाएं अखबार पर आधारित हैं. जांच का आदेश देने के लिए कोई ठोस आधार नहीं दिख रहा. यह मसला 2019 के बाद अचानक फिर गर्म हो गया है.
कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने व्हाट्सऐप और NSO के बीच कैलिफोर्निया कोर्ट में मुकदमे का हवाला देते हुए कहा कि पेगासस जासूसी करता है, यह साफ है. भारत में किया या नहीं, इसका सवाल है. इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हमें नहीं लगता कि कैलिफोर्निया कोर्ट में भी यह बात निकल कर आई है कि भारत में किसी की जासूसी हुई.
पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Spyware Issue) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) केंद्र सरकार का पक्ष भी सुनेगा. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सवाल किया कि किसी ने केंद्र सरकार को याचिका की कॉपी दी है. इस पर श्याम दीवान ने कहा कि हम Attorney-General और Solicitor General को कॉपी दे चुके हैं. इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आदेश दिया कि याचिका की कॉपी केंद्र सरकार को मुहैया कराएं. अब मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी.
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने कोर्ट में कहा कि जुलाई में लिस्ट सामने आई कि किन-किन लोगों की जासूसी हुई. वहीं कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि संसद में ओवैसी के सवाल पर मंत्री मान चुके हैं कि भारत मे 121 लोगों को निशाने पर लिया गया था. आगे की सच्चाई तभी पता चलेगी जब कोर्ट सरकार से जानकारी ले. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे इस सवाल का जवाब नहीं मिला कि 2 साल बाद मामला क्यों उठाया जा रहा है? इसके बाद सिब्बल ने कहा कि सिटीजन लैब ने नए खुलासे किए हैं.
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वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि फ्रेंच संस्था और कनाडा के लैब के प्रयास से नया खुलासा हुआ है. लोगों को जानने का हक है कि भारत में इसका किसने और किस पर इस्तेमाल किया? जांच हो? इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि अगर आप को पक्का पता है कि आपके फोन की जासूसी हुई तो आपने कानूनन FIR दर्ज क्यों नहीं करवाई?
ADR के जयदीप छोकर के वकील श्याम दीवान ने कहा कि छोकर के फोन की जासूसी हुई. फ्रांस और अमेरिका की सरकारें इसे गंभीरता से ले चुकी हैं. हम भी इसकी उपेक्षा नहीं कर सकते. वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि भारत में कम से कम 40 पत्रकारों की जासूसी हुई है. किसी एक व्यक्ति के फोन टैपिंग का मसला नहीं है. एक बाहर की कंपनी शामिल है. अगर सरकार ने स्पाईवेयर नहीं लिया तो किसने लिया? कश्मीर के किसी आतंकवादी की जासूसी नहीं हुई कि इसे सही करार दिया जाए. वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि IT एक्ट की धारा 43 के तहत हम मुआवजा मांग सकते हैं, लेकिन बिना जांच के कैसे पता चलेगा कि जिम्मेदार कौन है?
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