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Royal Family Member Claimed Qutub Minar: आगरा में एक शाही परिवार का उत्तराधिकारी होने का दावा करने वाले एक शख्स ने कुतुब मीनार के स्वामित्व की मांग करते हुए दिल्ली (Delhi) के साकेत कोर्ट में आवेदन दायर किया है. इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी के कुतुब मीनार परिसर में मौजूद मंदिरों के जीर्णोद्धार के विवाद में नया मोड़ आ गया है.
हस्तक्षेप आवेदन पर विचार करते हुए अतिरिक्त जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार ने कुतुब मीनार परिसर में हिंदू और जैन मंदिरों और देवताओं की बहाली की मांग वाली अपील पर फैसला 24 अगस्त के लिए टाल दिया है. हस्तक्षेप याचिका एडवोकेट एमएल शर्मा ने दायर की है, जिसमें कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने संयुक्त प्रांत आगरा के उत्तराधिकारी होने का दावा किया है और मेरठ (Meerut) से आगरा (Agra) तक के क्षेत्रों पर अधिकार मांगा है.
याचिका में यह तर्क दिया गया था कि आवेदक बेसवान परिवार से है और राजा रोहिणी रमन ध्वज प्रसाद सिंह के उत्तराधिकारी और राजा नंद राम के वंशज हैं, जिनकी मृत्यु 1695 में हुई थी. याचिका में लिखा गया है कि जब औरंगजेब (Aurangzeb) सिंहासन पर मजबूती से स्थापित हो गया तो नंद राम ने कुतुब मीनार सम्राट को सौंप दिया था.
याचिका में कहा गया है कि 1947 में परिवार के एक अन्य सदस्य राजा रोहिणी रमन ध्वज प्रसाद सिंह के समय में ब्रिटिश भारत (British India) और उसके प्रांत स्वतंत्र हो गए थे. आवेदक ने तर्क दिया कि 1947 में भारत की स्वतंत्रता (India Independence) के बाद भारत सरकार (Indian government) ने न तो कोई संधि की, न ही कोई परिग्रहण हुआ और न ही शासक परिवार के साथ कोई समझौता हुआ.
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इसमें आगे कहा गया है कि केंद्र सरकार, दिल्ली की राज्य सरकार (Delhi Government) और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार (Government of Uttar Pradesh) ने कानून की उचित प्रक्रिया के बिना आवेदक के कानूनी अधिकारों का अतिक्रमण किया और आवेदक की संपत्ति के साथ आवंटित और शक्ति का दुरुपयोग किया.
विशेष रूप से, इस मामले में आरोप लगाया गया है कि गुलाम वंश के सम्राट कुतुब-उद-दीन-ऐबक (Qutb-ud-din-Aibak) के तहत 1198 में लगभग 27 हिंदू (Hindi Tample) और जैन मंदिरों (Jain Tample) को अपवित्र और क्षतिग्रस्त कर दिया गया था, उन मंदिरों के स्थान पर मस्जिद का निर्माण कराया गया है. गुलाम वंश के सम्राट के आदेश के तहत मंदिरों को ध्वस्त, अपवित्र और क्षतिग्रस्त कर दिया गया था, जिन्होंने उसी स्थान पर कुछ निर्माण किया और अपील के अनुसार इसे कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (Quwwat-ul-Islam Mosque) का नाम दिया.
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