अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र मोहम्मद शादाब (17) ने केनेडी-लूगर यूथ एक्सचेंज एंड स्टडी स्कॉलरशिप के जरिए बेलफास्ट एरिया हाईस्कूल, अमेरिका में पढ़ाई की थी. 97.6 फीसदी अंक हासिल कर स्कूल टॉप किया था. यूनिवर्सिटी के मिंटो सर्किल से कक्षा नौ की पढ़ाई करके शादाब ने स्कॉलरशिप के जरिये बेलफास्ट एरिया हाईस्कूल में दाखिला लिया था और उसे 28 हजार अमेरिकी डॉलर (20.41 लाख रुपये) स्कॉलरशिप मिला था. शादाब का कहना है कि वह संयुक्त राष्ट्र में ह्यूमन राइट अफसर के रुप में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं.
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में रहने वाले कुंवर दिव्यांश सिंह की उम्र महज 13 साल है, लेकिन उन्होंने बड़े हिम्मत का काम किया और अपनी छोटी बहन की जान बचाने के लिए सांड से भीड़ गए. दिव्यांश की बहादुरी के आगे सांड टिक नहीं पाया और भाग गया. दिव्यांश को इस साल राष्ट्रीय बाल पुरस्कार में 'बहादुरी' कैटेगरी में सम्मान मिला है.
नोएडा के रहने वाले चिराग भंसाली 11वीं पढ़ते हैं और इन्हें इनोवेशन के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिल रहा है. चिराग ने 12 साल की उम्र में यूट्यूब के जरिए कोडिंग सीख लिया था और इसके जरिए उन्होंने ऐसी वेबसाइट बनाई, जहां यूजर्स को हर चीनी ऐप का विकल्प बताया गया है. चिराग ने इस वेबसाइट को एक सप्ताह में बना लिया था और 12 जून 2020 को लॉन्च किया था.
प्रयागराज के रहने वाले 17 साल के मोहम्मद राफे को खेल की श्रेणी में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिल रहा है. मोहम्मद राफे ने साल 2019 में मंगोलिया की राजधानी उलान बाटर हवे में हुई जूनियर एशियन गेम्स में भारत को जिम्नास्टिक में कांस्य पदक दिलाकर देश का नाम रौशन किया था. उन्होंने भारत को 10 सालों बाद जूनियर एशियन गेम्स में जिम्नास्टिक में मेडल दिलाया था.
महाराष्ट्र के रहने वाले कामेश्वर जगन्नाथ वाघमारे को बहादुरी के लिए प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. कामेश्वर ने कंधार तालुका में घोडा गांव के पास नदी में डूबने वाले दो बच्चों की जान बचाई थी. दरअसल, नदी में नहाने के दौरान तीन बच्चे बह गए, जब कामेश्वर ने उन्हें देखो तो उन्होंने जान की परवाह किए बिना नदी में कूद गए और दो बच्चों की जान बचा ली. उनको आज भी एक बच्चे को ना बचा पाने का मलाल है.
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