रायपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बलरामपुर (Balrampur) जिले स्थित राजपुर विकासखंड के परसवार कला गांव के लोग अपनी जान खतरे में डालकर नदी (River) पार करने को मजबूर हैं. गांव के सरपंच ने बताया, 'खेती नदी के उस पार होती है इसलिए हमें आने-जाने में बहुत दिक्कत होती है. अगर यहां पुल बन जाता तो अच्छा होता.' मानसून आने के बाद देश के कुछ सूबों के कई जिले बाढ़ से बेहाल है. हर साल बनने वाले ऐसे हालातों की चर्चा तो बहुत होती है लेकिन गांव वालों की समस्या का स्थाई समाधान निकालने की दिशा में कुछ नहीं होता.
ट्रैक्टर चालक हो या फिर साइकिल सवार लोगों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसी तरह आना-जाना पड़ता है.
खेत जाना हो या शहर बीच रास्ते में पड़ने वाली ये नदी अगर पानी का मुख्य स्त्रोत है तो बारिश के सीजन में लोगों की परेशानी की एक बड़ी वजह भी है.
लोग लंबे समय से पुल की मांग कर रहे हैं. बलरामपुर स्थित परसवार कला गांव के लोगों की तरह देश के हजारों गांव ऐसे हैं जिनके नजदीक बह रही नदियां उफान मारते हुए बड़े वेग से बहती हैं. ऐसे हालात में लोगों के सपने पूरा होना तो छोड़िए उन्हें रोजमर्रा की जरूरतों के भी लाले पड़ जाते हैं.
लोग कह-कह कर थक चुके हैं. स्थानीय निवासियों का कहना है कि कहीं पर कोई सुनवाई नहीं होती है. ऐसे में यूं जान जोखिम में डालकर सफर करना उनकी आदत में शुमार हो चुका है.
गांव वालों का कहना है कि उन्होंने अपने बचपन से ऐसी तस्वीरें और नजारे देखे हैं. इस शख्स के मुताबिक, 'जिसे आपात जरूरत नहीं पड़ी वो ही अच्छा क्योंकि अगर जरूरत पड़ गई तो लोग चाह कर भी ऐसे हालातों में मदद नहीं कर पाते.'
बलरामपुर में हर साल इस तरह की तस्वीरें दिख जाती है. नदी वही है, गांव वाले भी वहीं है यहां पर घरों में लगे कैलेंडर का साल तो बदल जाता है लेकिन इनके हालात नहीं बदलते.
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