सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस देकर पूछा है कि गुजारा भत्ता देने के मामले में सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून क्यों न हो. अभी हमारे देश में ऐसे विवादों में गुजारा भत्ता अलग-अलग धर्मों के Personal Laws के मुताबिक तय होता है.
यानी चाहे विवाद हिंदू पति-पत्नी के बीच हो, मुस्लिम पति-पत्नी के बीच या फिर किसी और धर्म को मानने वाले पति-पत्नि के बीच विवाद हो, गुज़ारा भत्ता एक जैसा मिलना चाहिए.
अभी हमारे देश में ऐसे विवादों में गुजारा भत्ता अलग अलग धर्मों के Personal Laws के मुताबिक तय होता है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस देकर पूछा है कि गुजारा भत्ता देने के मामले में सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून क्यों न हो.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस S A Bobde ने ये भी कहा कि 'समान कानून का क्या मतलब है? क्या हिन्दू कानून को तरजीह दें या मुस्लिम कानून को, किसके कानून को हम सब के लिए समान बनाएं.
ये एक चुनौती होगी. इसलिए कोर्ट पूरी सावधानी के साथ केंद्र को नोटिस जारी कर रहा है. हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत पति को तलाक़ के बाद पत्नी को गुजारा भत्ता देना होता है.
हालांकि ये गुजारा भत्ता कितना होगा ये अलग-अलग मामले पर निर्भर करता है.
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