Indian Railways Track: भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है. यहां हजारों ट्रेनें रोजाना यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं. अगर आपने कभी ट्रेन में सफर किया है या कोई रेलवे ट्रेक देखा है, तो आपको पता होगा कि ट्रेन की पटरियों के बीच में पत्थर बिछाए जाते हैं. ऐसा बताया जाता है कि जब ट्रेन का अविष्कार हुआ था तभी से इसकी पटरी पर पत्थर बिछाएं जा रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है? आइए बताते हैं.
आपको देखने में ट्रेन की पटरियां जितनी सिंपल दिखती हैं उतनी होती नहीं हैं. ट्रेन की पटरियां बिछाने के लिए पूरा मैकेनिज्म होता है. पटरियों के नीचे कंक्रीट के बने प्लेट होते हैं, जिन्हें स्लीपर कहा जाता है. इसके अलावा इन स्लीपर के नीचे पत्थर बिछाया जाता है. इन्हें बलास्ट कहा जाता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि लोहे से बनी एक ट्रेन का वजन 10 लाख किलो तक होता है. ऐसे में इतने ज्यादा वजन को केवल पटरी नहीं संभाल सकती. इसलिए भरकम ट्रेन के वजन को संभालने में लोहे के बने ट्रैक, कंक्रीट के बने स्लीपर और पत्थर तीनों का योगदान होता है. सबसे ज्यादा लोड इन पत्थरों पर ही पड़ता है. ये पत्थर कंक्रीट के बने स्लीपर को हिलने डुलने भी नहीं देते.
अगर रेलवे ट्रैक पर पत्थर नहीं बिछाए जाएं, तो ट्रैक पर घास और पेड़ पौधे उग जाएंगे. इसके चलते रेलवे को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. एक ये भी वजह है जिसके कारण रेलवे ट्रैक पर पत्थर बिछाए जाते हैं.
रेलवे ट्रैक पर पत्थर बिछाने का एक वैज्ञानिक कारण कंपन्न को कम करना भी है. दरअसल, जब पटरियों पर तेज रफ्तार में ट्रेन चलती है, तो पटरियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है औक कंपन्न पैदा होता है. ट्रैक पर बिछे पत्थर इस कंपन्न को भी कम करने में मदद करते हैं.
पटरी पर पत्थर बिछाने के पीछे एक वजह ये भी है कि पटरियों में जल भराव की समस्या न हो. जब बरसात का पानी ट्रैक पर गिरता है तो वो पत्थर से होते हुए जमीन पर चला जाता है इससे पटरियों के बीच में जल भराव की समस्या नहीं होती है. इसके अलावा ट्रैक में बिछे पत्थर पानी से बहते भी नहीं हैं.
ट्रेन्डिंग फोटोज़