वैक्सीन और सिरिंज के मामले में भारत ना केवल आत्मनिर्भर है बल्कि इस वक्त हर कंपनी 100 प्रतिशत क्षमता पर काम करके वैश्विक बाजार की जरूरतों के हिसाब से तैयारी कर रही है.
ZEE NEWS की टीम जब इस सवाल का जवाब खोजने निकली तो पता चला कि सिरिंज के मामले में भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन चुका है. कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाने के लिए जितनी भी सिरिंज की जरूरत पड़ेगी, वो सभी भारत में बनाई जा रही हैं. इस पर बड़े पैमाने पर काम शुरू हो गया है.
कोरोना वैक्सीन की एक डोज 0.5 ml की होगी. इसलिए ऐसी सिरिंज बनाई जा रही हैं, जिसमें 0.5 ML की डोज आ सकती है. फिलहाल दुनिया में जितनी भी वैक्सीन बनाई जा रही हैं, वो दो डोज की वैक्सीन हैं. अभी तक के अनुमान के मुताबिक, ये डोज आधे एमएल की होगी. उसी हिसाब से ये सिरिंज बनाई गई हैं.
ये ऑटो डिसेबल सिरिंज (Auto Disable Syrienge) है. यानी इससे एक बार इंजेक्शन लगाए जाने के बाद ये दोबारा इस्तेमाल नहीं की जा सकती. विश्व में इसी तरह की सिरिंज को सबसे सुरक्षित माना जाता है.
भारत की जनसंख्या 135 करोड़ है. मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि पहले उन लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. इसमें हेल्थ केयर वर्कर, बुजुर्ग और बीमार लोग शामिल हैं.
हालांकि अगर संक्रमण की चेन टूट गई तो हो सकता है कि हर किसी को वैक्सीन लगाने की जरूरत ही न पड़े. इसके अलावा 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी. कोई भी नई वैक्सीन पहले वयस्कों को लगाई जाती है. बच्चों पर लगाने के लिए इसके लिए ट्रायल अलग से करने पड़ते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, भारत को पहले वर्ष में तकरीबन 90 करोड़ सिरिंज की जरूरत पड़ेगी.
कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई अभी तक मजबूती से लड़ी गई है, लेकिन अब इस लड़ाई में वो जीतेगा जो सबसे पहले अपने देशवासियों तक वैक्सीन पहुंचा देगा. भारत इस दिशा में भी पीछे नहीं है. ये तस्वीरें इसी बात का भरोसा दिला रही हैं. ये भारत की सबसे बड़ी सिरिंज बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान सिरिंज का प्लांट है. हरियाणा के फरीदाबाद में बने इस प्लांट में काम किस रफ्तार से चल रहा है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां इस वक्त हर एक घंटे में एक लाख सिरिंज बनाई जा रही हैं.
कंपनी को 20 करोड़ सिरिंज बनाने का ऑर्डर मिल चुका है, जिसमें से 10 करोड़ बनकर तैयार हैं. हालांकि भारत की जरूरत इससे कहीं ज्यादा है. कोरोना की वैक्सीन दो बार में लगाई जाएगी. पहली डोज के 28 दिन बाद दूसरी डोज. इस लिहाज से फिलहाल 90 करोड़ वैक्सीन लगाए जाने का आंकलन किया गया है. इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के लिए सरकार ने ऑटो डिसेबल सिरिंज चुनी है.
वैक्सीन और सिरिंज के मामले में भारत ना केवल आत्मनिर्भर है बल्कि इस वक्त हर कंपनी 100 प्रतिशत क्षमता पर काम करके वैश्विक बाजार की जरूरतों के हिसाब से भी तैयारी कर रही है. हालांकि अभी चुनौतियां कम नहीं हैं. वैक्सीन की कोल्ड स्टोरेज, वेस्ट डिस्पोजल और सबसे बड़ी बात, इंजेक्शन लगाने के लिए ट्रेंड हेल्थ स्टाफ. इन चुनौतियों को हल करने पर अभी काम चल रहा है. लेकिन पहला बड़ा पड़ाव यानी वैक्सीन और सिरिंज. इन्हें कामयाबी से पार किया जा चुका है.
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