कोरोना से जंग में भारत को मिली पहली कामयाबी, इस 'सुई' से लोगों को नहीं होगी परेशानी
वैक्सीन और सिरिंज के मामले में भारत ना केवल आत्मनिर्भर है बल्कि इस वक्त हर कंपनी 100 प्रतिशत क्षमता पर काम करके वैश्विक बाजार की जरूरतों के हिसाब से तैयारी कर रही है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाने वाली वैक्सीन (Corona Vaccine) किस कंपनी की होगी? कैसे लगाई जाएगी? किसे कितनी डोज दी जाएगी? ये सभी वो सवाल हैं जिनके जवाब आज हर इंसान जानना चाहता है. हर व्यक्ति ये जानने के लिए उत्सुक है कि उस तक वैक्सीन कब तक पहुंचेगी और उसे ये वैक्सीन कैसे लगाई जाएगी. लेकिन किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं गया कि वैक्सीन लगाने के लिए सबसे पहले जिस चीज की जरूरत होगी इसके पुख्ता इंतजाम हैं भी या नहीं. यहां हम बात कर रहे हैं सिरिंज (Syrienge) की.
ZEE NEWS ने खोजा जवाब

हर शख्स को मिलेगी वैक्सीन की इतनी 'डोज'

तेजी से हो रहा 'ऑटो डिसेबल सिरिंज'

पहले किसे लगाया जाएगा कोरोना का टीका

2021 में 90 करोड़ सिरिंज की जरूरत

हालांकि अगर संक्रमण की चेन टूट गई तो हो सकता है कि हर किसी को वैक्सीन लगाने की जरूरत ही न पड़े. इसके अलावा 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी. कोई भी नई वैक्सीन पहले वयस्कों को लगाई जाती है. बच्चों पर लगाने के लिए इसके लिए ट्रायल अलग से करने पड़ते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, भारत को पहले वर्ष में तकरीबन 90 करोड़ सिरिंज की जरूरत पड़ेगी.
1 घंटे में 1 लाख सिरिंज बना रही ये कंपनी

कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई अभी तक मजबूती से लड़ी गई है, लेकिन अब इस लड़ाई में वो जीतेगा जो सबसे पहले अपने देशवासियों तक वैक्सीन पहुंचा देगा. भारत इस दिशा में भी पीछे नहीं है. ये तस्वीरें इसी बात का भरोसा दिला रही हैं. ये भारत की सबसे बड़ी सिरिंज बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान सिरिंज का प्लांट है. हरियाणा के फरीदाबाद में बने इस प्लांट में काम किस रफ्तार से चल रहा है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां इस वक्त हर एक घंटे में एक लाख सिरिंज बनाई जा रही हैं.
20 करोड़ सिरिंज बनाने का मिला ऑर्डर

कंपनी को 20 करोड़ सिरिंज बनाने का ऑर्डर मिल चुका है, जिसमें से 10 करोड़ बनकर तैयार हैं. हालांकि भारत की जरूरत इससे कहीं ज्यादा है. कोरोना की वैक्सीन दो बार में लगाई जाएगी. पहली डोज के 28 दिन बाद दूसरी डोज. इस लिहाज से फिलहाल 90 करोड़ वैक्सीन लगाए जाने का आंकलन किया गया है. इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के लिए सरकार ने ऑटो डिसेबल सिरिंज चुनी है.
कामयाबी का पहला पड़ाव हुआ पार

वैक्सीन और सिरिंज के मामले में भारत ना केवल आत्मनिर्भर है बल्कि इस वक्त हर कंपनी 100 प्रतिशत क्षमता पर काम करके वैश्विक बाजार की जरूरतों के हिसाब से भी तैयारी कर रही है. हालांकि अभी चुनौतियां कम नहीं हैं. वैक्सीन की कोल्ड स्टोरेज, वेस्ट डिस्पोजल और सबसे बड़ी बात, इंजेक्शन लगाने के लिए ट्रेंड हेल्थ स्टाफ. इन चुनौतियों को हल करने पर अभी काम चल रहा है. लेकिन पहला बड़ा पड़ाव यानी वैक्सीन और सिरिंज. इन्हें कामयाबी से पार किया जा चुका है.