दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग दार्जिलिंग घूमने आते हैं और दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे पर जरूर यात्रा करते हैं. यह नैरो गेज रेलवे ट्रैक यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है. टॉय ट्रेन जब खूबसूरत पहाड़ों के बीच से गुजरती है तो लोगों को काफी मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं.
कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच यह रेलवे रूट बेहद खूबसूरत वादियों के बीच से गुजरता है. इनमें नदी, झील, चट्टानें, पहाड़ शामिल हैं. यह रूट करीब 700 किलोमीटर लंबा है और बीच में करीब 120 रेलवे स्टेशन आते हैं. इसे देखने के लिए भारत और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से टूरिस्ट आते हैं.
कांगड़ा वैली रेलवे भारत की हैरिटेज टॉय ट्रेन है, जो पठानकोट और जोगिन्दरनगर के बीच संकीर्ण गेज पर चलती है. यह ट्रेन यूनेस्को की वर्ल्ड गाइड है, जो पालमपुर के कई पुलों और चाय बगानों से होकर गुजरती है. यह टॉय ट्रेन पठानकोट जंक्शन से होकर ज्वालामुखी रोड, कांगड़ा नगरोटा, पालमपुर, बैजनाथ से होकर जोगिंद्रनगर रूट पर चलती है.
अगर आप लग्जरी ट्रैवल के लिए थोड़े ज्यादा पैसा खर्च करने को तैयार हैं तो आपको डेजर्ट क्वीन ट्रेन का सफर करना चाहिए, जो राजस्थान के जोधपुर शहर से गोल्डन सिटी जैसलमेर के बीच चलती है. इस ट्रेन के जरिए आप डेजर्ट सफारी का मजा ले सकते हैं. इस ट्रेन में पैसेंजर्स को बेहद टेस्टी और फैंसी खाना सर्व किया जाता है. इससे यात्रा पर खिड़कियों के बाहर सुनहरी रेत का खूबसूरत नजारा आपके सफर को और भी यादगार बना देता है.
आधिकारिक तौर पर नीलगिरी माउंटेन रेलवे को 2005 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था. नीलगिरी माउंटेन रेलवे 46 किलोमीटर लंबा एक सिंगल रेलवे ट्रैक है, जो मेट्टूपालयम शहर को उटकमंडलम शहर से जोड़ता है. 46 किलोमीटर के सफर में 208 मोड़, 16 टनल और 250 ब्रिज पड़ते हैं. यात्रा के दौरान आप घने जंगलों और सुरंगों से होते हुए प्रकृति के खूबसूरत दृश्य का नजारा देख सकते हैं.
महाराष्ट्र में स्थित एक छोटा हिल स्टेशन माथेरन, अपनी खूबसूरती की वजह से पर्यटों के आकर्षण का केंद्र है. यह करीब 2650 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित है. नरेल से माथेरन के बीच टॉय ट्रेन के जरिए हिल टॉप का सफर काफी रोमांचक होता है. इस रेल मार्ग पर करीब 121 छोटे छोटे पुल और करीब 221 मोड़ आते हैं. इस मार्ग पर चलने वाली ट्रेन की स्पीड 20 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होती. नरेल से माथेरन की यात्रा के दौरान आप खूबसूरत नजारे का आनंद ले सकते हैं.
कालका-शिमला रेल लाइन यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है. इस टॉय ट्रेन के लिए ट्रैक को साल 1903 में ब्रिटिश शासन काल के दौरान तैयार किया गया था और शिमला आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. टॉय ट्रेन शिमला तक पहुंचने का आसान तरीका है. यह ट्रेन 96 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर चलती है और 20 स्टेशनों को कवर करती है. यात्रा के दौरान आप खूबसूरत हसीन वादियों के मनोरम दृश्य को देखते हुए अंधेरी पतली सुरंगो से गुजरते हुए घने जंगलों और पहाड़ों के मनोरम दृश्य का आनंद ले सकते हैं.
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