Independence Day: आज से 75 वर्ष पहले भारत 800 वर्ष की गुलामी से आजाद हुआ था और पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन क्या आपको पता है कि आजादी के दिन यानी 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नेहरू ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लाल किले में नहीं कहीं और फहराया था. हां ये सच है पंडित नेहरू ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज 16 अगस्त 1947 को आजादी के एक दिन बाद लाल किले पर फहराया था. जबकि 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री नेहरू ने भारत का तिरंगा दिल्ली स्थित प्रिंसेस पार्क (Princes Park) पर फहराया था जो आज संसद और इंडिया गेट के मध्य स्थित है.
आज से 75 वर्ष पहले आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को लाखों लोग दिल्ली के प्रिंसेस पार्क पर मौजूद थे. जिनके बीच भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने झंडारोहण किया और आजाद भारत की अमृतगाथा की शुरुआत हुई. आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि 15 अगस्त 1947 को क्या कुछ हुआ? 14 और 15 अगस्त की आधी रात को संविधान सभा का मध्यकालीन सत्र चला. जहां भारत के आजाद होने का आधिकारिक ऐलान हुआ और पंडित जवाहरलाल लाल नेहरू ने भाषण दिया. इस कार्यक्रम के बाद 15 अगस्त 1947 को शाम 6 बजे ध्वजारोहण का कार्यक्रम तय हुआ, जिसमें ब्रिटिश इंडिया के झंडे को नीचे करना था और भारत का तिरंगा फहराया जाना था. साथ ही एक छोटी परेड का भी आयोजन किया जाना था. ध्वजारोहण के लिए कार्यक्रम स्थल दिल्ली के प्रिंसेस पार्क को तय किया गया.
15 अगस्त की दोपहर को प्रिंसेस पार्क के पास जिसे आज विजय चौक भी कहा जाता है, वहां लाखों लोगों का इकट्ठा होने शुरू हो गए और शाम होते होते अनुमानन ढाई लाख लोग प्रिंसेस पार्क पर इकट्ठा हो गए. जिसकी गवाही Partion Museum में रखी. 15 अगस्त 1947 की यह तस्वीर बताती है कि किस तरह आजादी के दिन प्रिंसेस पार्क में होने वाले पहले ध्वजारोहण कार्यक्रम में लोगों का जनसैलाब था.
प्रिंसेस पार्क पर होने वाले ध्वजारोहण कार्यक्रम से पहले पंडित नेहरू ने फैसला लिया कि वो सिर्फ भारत का झंडा फहराएंगे और ब्रिटिश इंडिया के झंडे को नीचे नहीं करेंगे क्योंकि पंडित नेहरू नहीं चाहते थे कि भारत की आजादी का उत्सव किसी अन्य देश का अपमान कर मनाया जाए. भारत के आखिरी वाइसरॉय और तत्कालीन गवर्नर जर्नल लार्ड माउंटबेटन भारत पर अंग्रेज सरकार को दी गई अपनी रिपोर्ट में इस घटना का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि शाम 6 बजे सभी लोग प्रिंसेस पार्क पर कार्यक्रम के लिए इकट्ठा हुए थे, तब पंडित नेहरू ने उनसे कहा कि अगर ब्रिटिश इंडिया के झंडे को नीचा करने से ब्रिटिश लोगों की भावनाएं आहत होती हैं तो वो ऐसा नहीं करेंगे और सिर्फ भारत का तिरंगा ही फहराएंगे.
वादे के मुताबिक पंडित नेहरू ने आजादी के दिन प्रिंसेस पार्क पर भारत के झंडे को पहली बार फहराया और फिर एक छोटी सी परेड भी हुई जिसमें पंडित नेहरू को सलामी दी गई. कार्यक्रम की भव्यता का उल्लेख करते हुए लार्ड माउंटबेटन लिखते हैं कि कुछ भारतीय अधिकारियों का मानना था कि उस दिन जब आजाद भारत में पहली बार प्रधानमंत्री नेहरू ने ध्वजारोहड़ किया तब 6 लाख से ज्यादा लोग मौजूद थे. हालांकि माउंटबेटन के मुताबिक उनके अनुमान से कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की संख्या ढाई लाख थी.
आजादी के दिन जब प्रधानमंत्री नेहरू ने पहली बार प्रिंसेस पार्क (Princes Park) पर ध्वजारोहण किया था तब लोगों का सैलाब कुछ इस कदर था कि कार्यक्रम के मंच तक जाने में अतिथियों को मुश्किल हो रही थी. लार्ड माउंटबेटन की बेटी पॉमेला माउंटबेटन की भारत के अनुभवों पर लिखी गई डायरी India Remembered में पॉमेला ने लिखा कि जब 15 अगस्त 1947 को वो प्रिंसेस पार्क पहुंची, तब उन्हें सिर्फ पगड़ियां ही पगड़ियां दिख रही थी. मंच तक जाने तक का रास्ता नहीं था. फिर जैसे तैसे नेहरू उन्हें मंच तक लेकर आए और उसके बाद पहले भारत के तिरंगे को फहराया गया और फिर परेड हुई.
आमतौर पर लोगों में धारणा है कि आजादी के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने सबसे पहले झंडा लालकिले पर फहराया था. लेकिन तथ्यात्मक रूप से गलत है. भारत सरकार की इतिहास पर शोध करने वाली संस्था भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ ओम जी उपाध्य्याय के मुताबिक आजादी के समय नेताओं को पता था कि ध्वजारोहण कार्यक्रम में लाखों की भीड़ आएगी. ऐसे में उस समय प्रिंसेस पार्क जो सैकड़ों एकड़ में फैला था उसे आजाद भारत के पहले ध्वजारोहण कार्यक्रम के लिए चुना गया. यह पार्क चूंकि संविधान सभा के नजदीक भी था और पूरे देश की निगाह संविधान सभा पर थी जहां लोगों का जमावड़ा था. ऐसे में 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री नेहरू ने लाखों लोगों के बीच पहली बार आजाद भारत मे तिरंगा को फहराया.
डॉ उपाध्य्याय के मुताबिक लाल किले पर 16 अगस्त 1947 को तिरंगा फहराया जाना एक संदेश था कि भारत की सत्ता अब भारतीयों के पास है, क्योंकि मुगल भारत पर शासन लाल किले से (निर्माण के बाद) ही करते थे और भारत की सत्ता का प्रमुख स्थल लालकिला हुआ करता था. 16 अगस्त 1947 को लाल किले पर प्रधानमंत्री नेहरू के ध्वजारोहण के बाद से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से ध्वजारोहण की परंपरा शुरू हो गई जो आज भी कायम है.
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