महाराष्ट्र के पंढरपुर में जन्मे मकबूल फिदा हुसैन ने अपने दशकों लंबे करियर में ढेरों अद्भुत आर्टवर्क्स दुनिया को दिए.
मकबूल फिदा हुसैन को खासतौर पर लार्ज साइज्ड कैनवस क्रिएट करना पसंद था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 20 साल की उम्र में सिनेमा के होर्डिंग बनाने वाले पेंटर की रूप में की. उन्हें अपनी ड्रॉइंग के साथ प्रिंटमेकर और फोटोग्राफर के तौर पर उनके काम के लिए भी जाना जाता है.
मकबूल फिदा हुसैन नंगे पैर चलते थे. हुसैन कभी जूते या चप्पल नहीं पहनते थे और कहते थे कि मुझे जंगल में भी छोड़ देंगे तो भी मैं वहां से भी कुछ क्रिएटिव करके ही लौटूंगा. उन्होंने बच्चों के लिए खिलौने और फर्नीचर भी बनाए. नीलामी में उनकी पेंटिग्स ने रिकॉर्ड बनाए. उनकी पेंटिंग्स में मॉर्डनिज्म के साथ इंडियन आइकॉनोग्राफी का मेल था. वह भारत के सबसे महंगे पेंटर्स में से थे. उनकी सबसे महंगी पेंटिंग 1.6 मिलियन डॉलर में बिकी. ये पेंटिंग साल 2008 में Christie's auction में बिकी थी.
साल 1947 में एमएफ हुसैन को आर्टिस्ट F N Souza ने अपने प्रोग्रेसिव आर्ट मूवमेंट का हिस्सा बनने के लिए बुलाया.1971 में एम एफ हुसैन को पाब्लो पिकासो के आर्टवर्क के साथ अपने आर्टवर्क को एग्जीबिशन में रखने का मौका मिला.
साल 1967 में हुसैन ने अपनी पहली फिल्म बनाई, Through the Eyes of a Painter. ये फिल्म बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई और इसे Golden Bear short film award भी मिला. मकबूल फिदा हुसैन को केरल सरकार ने 92 साल की उम्र में प्रतिष्ठित राजा रवि वर्मा अवॉर्ड से भी नवाजा.
एमएफ हुसैन अपनी पेंटिंग्स को लेकर विवादों में भी रहे. करीब 5 साल से ज्यादा समय तक हुसैन स्व निर्वासन में रहे. साल 2010 में उन्हें कतर की नागरिकता मिल गई थी.
उनकी पेंटिंग्स को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि कि वे जीवन के आखिरी वर्षों में बाहर ही रहे और भारत नहीं लौट सके. धर्मगुरुओं ने उन पर ईशनिंदा के आरोप लगाए.
मकबूल फिदा हुसैन बॉलीवुड एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित के बहुत बड़े प्रशंसक थे. उन्होंने माधुरी को लेकर फिल्म 'गजगामिनी' भी बनाई. फिल्म 'हम आपके हैं कौन' उन्होंने 67 बार देखी थी.
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