समयपूर्व सैन्य बलों को छोड़ने वालों के लिए भी लागू होगा ओआरओपी: PM
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समयपूर्व सैन्य बलों को छोड़ने वालों के लिए भी लागू होगा ओआरओपी: PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को स्पष्ट किया कि समयपूर्व सेवानिवृत्त होने वाले सैन्य बलों के जवान भी वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) योजना के दायरे में आएंगे। आंदोलन कर रहे पूर्व सैन्यकर्मियों ने प्रधानमंत्री के इस ऐलान का स्वागत करते हुए अनशन खत्म कर दिया हालांकि उनका आंदोलन जारी रहेगा।

फरीदाबाद/नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को स्पष्ट किया कि समयपूर्व सेवानिवृत्त होने वाले सैन्य बलों के जवान भी वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) योजना के दायरे में आएंगे। आंदोलन कर रहे पूर्व सैन्यकर्मियों ने प्रधानमंत्री के इस ऐलान का स्वागत करते हुए अनशन खत्म कर दिया हालांकि उनका आंदोलन जारी रहेगा।

सरकार की ओर से पूर्व सैन्यकर्मियों की ओआरओपी की मांग स्वीकार करने की घोषणा किए जाने के एक दिन बाद रविवार को मोदी ने समयपूर्व सेवानिवृत्त पर पूर्व सैन्यकर्मियों को ‘गुमराह करने’ के प्रयास करने वालों पर निशाना साधा।

उन्होंने फरीदाबाद में मेट्रो लाइन का उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘कुछ लोगों को लगता है कि जिन्हें 15-17 साल की सेवा के बाद नौकरी छोड़नी पड़ी उनको ओआरओपी नहीं मिलेगा। मेरे जवान भाइयों, चाहे वो एक हवलदार हो, एक सिपाही हो या फिर एक नायक हो, आप सभी देश को सुरक्षित रखते हैं। अगर किसी को ओआरओपी को मिलता है तो पहले आपको मिलेगा।’ मोदी ने कहा, ‘युद्ध में लड़ते हुए अगर किसी ने अपने शरीर का कोई अंग खो दिया और उसे सेना छोड़नी पड़ी तो क्या उसे ओआरओपी से वंचित रखा जा सकता है? सैन्य बलों से प्रेम करने वाला प्रधानमंत्री इस बारे में सोच भी नहीं सकता। ऐसे सभी लोगों को ओआरओपी मिलेगा।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लिहाजा, 8,000-10,000 करोड़ रुपए में से ज्यादातर उन जवानों को मिलेगा जिन्हें 15-17 साल की सेवा के बाद सशस्त्र बल छोड़ना पड़ा है।’ उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में ऐसे जवान 80 से 90 फीसदी होते हैं। प्रधानमंत्री ने दलील दी कि स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) के नाम पर ‘आपको (सैनिकों को) गुमराह करने की कोशिश की जा रही है, जो गलत है...किसी को भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। इस सरकार का रुख साफ है कि हमने देश के लिए जीने-मरने वाले जवानों से वादा किया था, और कल हमने ऐलान कर दिया।’

पिछले 85 दिनों से दिल्ली में अनशन कर रहे पूर्व सैनिकों ने ओआरओपी पर सरकार के फैसले से व्यापक सहमति जताई लेकिन यह भी कहा कि वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे क्योंकि कई प्रमुख मांगें पूरी नहीं की गई हैं। ओआरओपी लागू करने से सरकारी खजाने पर 8,000-10,000 करोड़ रुपए की लागत आएगी। पूर्व सैनिकों की मांग है कि पेंशन की समीक्षा हर दो साल पर की जाए लेकिन सरकार ने हर पांच साल पर पेंशन की समीक्षा का फैसला किया है।

कल घोषणा करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि यह स्वैच्छिक सेवानिवृति पर लागू नहीं होगा। इस पर आंदोलनरत पूर्व सैनिक नाराज हो गए थे और कहा था कि सशस्त्र बलों में वीआरएस की कोई अवधारणा ही नहीं है। बाद में रात को उन्होंने मंत्री से भेंट करने के बाद कहा कि मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि रक्षा सेवा में वीआरएस जैसी कोई बात नहीं होती और इसलिये ओआरओपी समय पूर्व सेवानिवृत्त होने वाले सैन्यकर्मियों पर भी लागू होगा।

इस बीच, आंदोलनरत पूर्व सैनिकों ने उस वक्त अपनी बेमियादी भूख हड़ताल खत्म कर दी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के दायरे में समय पूर्व सेवानिवृति लेने वाले सभी सैनिकों को शामिल किया जाएगा। हालांकि, पूर्व सैनिकों ने यह भी कहा कि उनकी अन्य मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। लेकिन वे अनशन समाप्त कर देंगे।

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