PM Modi Russia Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार सुबह 22वीं भारत-रूस शिखर वार्ता के लिए मॉस्को रवाना होंगे. प्रधानमंत्री का विमान जब दिल्ली के पालम हवाई अड्डे से सुबह करीब 11 बजे उड़ान भरेगा तो उनके साथ भारत-रूस रिश्तों के नए अध्याय को लिखने की तैयारी की फाइल भी होगी.
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PM Modi Russia Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार सुबह 22वीं भारत-रूस शिखर वार्ता के लिए मॉस्को रवाना होंगे. प्रधानमंत्री का विमान जब दिल्ली के पालम हवाई अड्डे से सुबह करीब 11 बजे उड़ान भरेगा तो उनके साथ भारत-रूस रिश्तों के नए अध्याय को लिखने की तैयारी की फाइल भी होगी. मोदी के इस रूस दौरे पर दोनों देशों के लोगों की ही नहीं दुनिया की नजर होगी. भारतीय पीएम 5 बरस बाद रूस में होंगे मगर इस दौरान दुनिया की तस्वीर कोरोना संकट से लेकर रूस-यूक्रेन जंग जैसे कई घटनाक्रमों से बदल चुकी है. ऐसे में भारत के आम चुनावों में तीसरी जीत दर्ज करने के बाद मोदी का द्विपक्षीय दौरे के लिए रूस को चुनना गहरे मायने रखता है.
भारत और रूस की दोस्ती 77 से अधिक बसंत देख चुकी है. इस दोस्ती ने तमाम उतार-चढ़ावों के बीच एक ऐसी साझेदारी बनाई है, जो समय की कसौटी पर कई बार खरी उतरी है. दोनों देशों ने अपनी दोस्ती को मजबूत बनाने वाले क़ई समझौतों के धागों से बांधा है. इसमें शांति, मित्रता और सहयोग संधि (1971) और मित्रता और सहयोग की संधि (1993), भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी पर घोषणा (2000) शामिल हैं. साल 2010 में “विशेष रणनीतिक साझेदारी” के स्तर पर ले जाने जैसे कई समझौते शामिल हैं.
दोनों देश सालाना शीर्ष स्तर पर संवाद की परंपरा को भी बीते दो दशकों से बरकरार रखते आए हैं. इसी कड़ी में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच 8-9 जुलाई को 22वां भारत-रूस शिखर सम्मेलन होगा. इससे पहले भारत-रूस 21वीं शिखर वार्ता दिसंबर 2021 में दिल्ली में हुई थी जिसके लिए राष्ट्रपति पुतिन दिल्ली आए थे. प्रधानमंत्री मोदी जब 2019 में रूस गए थे तो उन्हें सर्वोच्च रूसी राजकीय सम्मान (ऑर्डर ऑफ द होली एपोस्टल एंड्रयू द फर्स्ट) से सम्मानित किया गया था.
केवल शिखर वार्ता के लिए ही नहीं बल्कि पिछले 10 सालों के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन विभिन्न मंचों पर अब तक 16 बार मिल चुके हैं. इससे पहले दोनों नेताओं की आमने-सामने की पिछली मुलाकात सितंबर 2022 में उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी. उस दौरान पीएम मोदी का राष्ट्रपति पुतिन के सामने दिया यह कथन काफी प्रसारित हुआ था कि यह समय युद्ध का समय नहीं है. रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद हुई मुलाकात में भारतीय पीएम के इस दो-टूक बयान की प्रतिध्वनि वाशिंगटन से लेकर टोक्यो तक कई जगह सुनाई दी थी.
हालांकि इस युद्ध के कारण भारत और रूस के रिश्तों में एक नई समस्या बनकर उभरी हैं भारतीयों को बहका कर सैन्य मोर्चे पर भेजे जाने की घटनाएं. प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे विदेश सचिव ने जी़ न्यूज़ के सवाल पर कहा कि भारत के नागरिकों को गुमराह कर रूसी सेना में भर्ती किया जा रहा है और युद्ध के मोर्चे पर भेजा जा रहा है. यह चिंता का विषय है. ऐसे कितने भारतीय नागरिक युद्ध के मोर्चे पर भेजे गए हैं इसका सटीक आकलन तो अभी मुश्किल है. लेकिन अनुमान है कि यह आंकड़ा 30-40 या 45 तक है. मगर इस संख्या के बारे में ठोस कुछ भी कहना कठिन है. इतना हम बता सकते हैं कि ऐसे हर मामले की जानकारी सामने आने के बाद हमने इसे उठाया है. अभी तक 10 भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी भी करवाई जा चुकी है.
कूटनीति के जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के मायने गहरे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद यह ऐसे किसी देश के नेता की पहली मॉस्को यात्रा है जो लोकतांत्रिक मुल्क भी हो और पश्चिमी देशों के साथ क्वाड जैसे समूह का हिस्सा भी हो. कई जानकारों के अनुसार पीएम मोदी का यह दौरा जहां पुतिन के नेतृत्व पर मुहर लगाएगा. वहीं यह भी संभव है कि सीधी मुलाकात में यूक्रेन युद्ध को लेकर किसी समाधान फार्मूले पर सहमति के नए राय-मशविरे की जमीन भी तैयार हो. हालांकि कैमरों के आगे तो फिलहाल पुतिन के तेवर भी तीखे हैं और यूक्रेन के साथ पश्चिमी देशों का खेमा भी सख्त है. इतना ही नहीं मोदी की यह यात्रा की टाइमिंग भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दौरान नाटो की 75वीं सालगिरह के मौके पर वाशिंगटन में बड़ी बैठक का आयोजन भी किया जा रहा है.
माना जा रहा है कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा से लेकर क्षेत्रीय समीकरणों के मद्देनजर पीएम मोदी का यह दौरा अहम है. खासकर रूस और चीन के बीच बढ़ती नजदीकियों के बीच भारत नहीं चाहेगा कि उसका पुराना साझेदार पूरी तरह बीजिंग के बाजू में नजर आए. ऐसे में सीधे पुतिन को साधने की कोशिश पीएम मोदी करेंगे. ताकि चीन-पाकिस्तान के नापाक गठजोड़ को रूस का साथ न मिल सके.
सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी के 8 जुलाई की दोपहर मॉस्को पहुंचने के बाद राष्ट्रपति पुतिन के साथ उनकी पहली मुलाकात प्रयवेट डिनर की मेज पर मिलेंगे. जहां दोनों के बीच सीधी बात होगी. वहीं अगले दिन 9 जुलाई को दोनों नेताओं के बीच पहले रेस्ट्रिक्टेड और फिर प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत क्रेमलिन में होगी. इसके अलावा पीएम मोदी जहां राष्ट्रपति पुतिन के साथ रोसबोरोनएक्सपोर्ट की हथियार प्रदर्शनी देखने जाएंगे. वहीं रूस के युद्ध स्मारक पर भी पुष्पांजलि चढ़ाते नजर आएंगे. इतना ही नहीं पीएम मोदी 9 जुलाई की सुबह स्थानीय समय के मुताबिक करीब 9 बजे भारतीय समुदाय के लोगों के साथ भी संवाद करेंगे. संकेत को यहां तक हैं कि राष्ट्रपति पुतिन पीएम मोदी एक कार में साथ सवारी करते भी नजर आ सकते हैं.
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के स्तर पर ही नहीं, सरकार में अन्य आला नेताओं के स्तर पर भी भारत और रूस लगातार अपना संवाद बनाए रखते हैं. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच 2023 में ही 7 बैठकें हुई हैं. इसके अलावा पीएम की यात्रा से पहले भारत के एनएसए अजीत डोभाल ने सेंट पीटर्सबर्ग का दौरा किया था. वहीं फरवरी 2023 में मॉस्को की अपनी यात्रा के दौरान, एनएसए ने राष्ट्रपति पुतिन से भी मुलाकात की थी. इतना ही नहीं भारत ने विदेश और रक्षा मंत्रियों के स्तर पर होने वाली 2+2 वार्ता की व्यवस्था अगर अमेरिका, जापान जैसे देशों के साथ बनाई है तो रूस के साथ ही यह संवाद बनाया गया है. दिसंबर 2021 में नई दिल्ली में भारत-रूस 2+2 वार्ता का उद्घाटन किया गया.
भारत और रूस के द्विपक्षीय कारोबार में बीते कुछ समय में उछाल आया है. पिछले वित्त वर्ष में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय कारोबार 65 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक रहा जो एक रिकॉर्ड स्तर है. इस द्विपक्षीय व्यापार आंकड़े में बड़ी हिस्सेदारी तेल आयात और ऊर्जा कारोबार की है.यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की कई टीका-टिप्पणियों के बावजूद भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद को जारी रखा है.
हालांकि व्यापार असंतुलन को लेकर पूछे गए सवालों पर विदेश सचिव विनय क्वात्रा का कहना है कि यह एक चिंता का विषय है. लिहाजा प्रधानमंत्री की यात्रा समेत सभी महत्वपूर्ण संवाद के स्तर पर भारत इस व्यापार घाटे को कम करने के लिए प्रयासरत है.
केवल तेल ही नहीं भारत और रूस की रक्षा साझेदारी पर भी पश्चिमी देश सवाल उठाते रहे हैं. हालांकि भारत और रूस के बीच न केवल नियमित रक्षा संवाद बरकरार है बल्कि दोनों देशों की तीनों सेनाएं द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास के लिए साथ आती रही हैं. इस में इंद्र, मिलन, ADMM+, वोस्तोक, ZAPAD, MAKS, SCO शांति मिशन, ARMY खेल आदि शामिल हैं. इसके अलावा भारत और रूस S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति, T-90 टैंकों और Su-30 MKI के लाइसेंस प्राप्त उत्पादन, मिग-29 और कामोव हेलीकॉप्टरों, INS विक्रमादित्य (पूर्व में एडमिरल गोर्शकोव), भारत में AK-203 राइफलों का उत्पादन और ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल जैसी की परियोजनाओं में साझेदार हैं. वहीं बदलते वक्त के साथ भारत और रूस के बीच रक्षा साझेदारी, खरीददार और विक्रेता के रिश्ते की बजाए साझा अनुसंधान और विकास, सह-विकास और संयुक्त उत्पादन तक पहुंच चुकी है.
भारत और रूस के बीच सहयोग का एक अहम पहलू परमाणु सहयोग भी है. भारत को परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र लीज पर देने और स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी अरिहंत की निर्माण परियोजना में सहयोग से लेकर नागरिक ऊर्जा के लिए कुडानकुलम परियोजना में रूस एक अहम साझेदार भी है. रूस की मदद से जहां कुडनकुलम 1 और 2 यूनिट स्थापित हो चुकी है वहीं यूनिट 3 और 6 के लिए काम चल रहा है.
इसके अलावा भारत और रूस कनेक्टिविटी की कई परियोजनाओं में भी अहम साझेदार हैं. इसमें अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारा (पूर्वी समुद्री गलियारा), रूसी सुदूर पूर्व और आर्कटिक क्षेत्र तथा उत्तरी समुद्री मार्ग जैसी परियोजनाएं शामिल हैं. अंतरिक्ष भी भारत और रूस के बीच सहयोग एक अहम आयाम है. गगनयान मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण रूस में ही हुआ.