प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के नाम अपने संबोधन में लॉकडाउन 4.0 की घोषणा की.
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज देश के नाम अपने संबोधन में लॉकडाउन 4.0 (Lockdown) की घोषणा की. पीएम मोदी ने कहा कि लॉकडाउन 4 नए रंग-रूप वाला होगा और इससे जुड़ी जानकारी 18 मई से पहले दी जाएगी.
बता दें कि पीएम मोदी के संबोधन से पहले ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि लॉकडाउन बढ़ाया जा सकता. कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन बढ़ाने की बात कही थी.
नियमों का पालन करते हुए हम कोरोना से लड़ेंगे
पीएम मोदी ने कहा, 'सभी एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोना लंबे समय तक हमारे जीवन का हिस्सा बना रहेगा, लेकिन ये भी नहीं हो सकता कि ये हमारे ईर्द-गिर्द ही रहेगा. हम नियमों का पालन करेंगे, इसलिए लॉकडाउन का चौथा चरण नए नियमों वाला होगा. राज्यों से मिल रहे सुझावों से जुड़ी जानकारी 18 मई से पहले दी जाएगी. मुझे पूरा भरोसा है कि नियमों का पालन करते हुए हम कोरोना से लड़ेंगे भी और आगे बढ़ेंगे भी. आप अपने परिवार और करीबियों का जरूर ध्यान रखिएगा.'
ये क्राइसिस अभूतपूर्व
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण से मुकाबला करते हुए दुनिया को अब चार महीने से ज्यादा समय बीत गया है. इस दौरान तमाम देशों के 42 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं. पौने तीन लाख से ज्यादा लोगों की दुखद मृत्यु हुई है.
उन्होंने कहा, 'भारत में भी लोगों ने अपनों को खोया है, साथियों एक वायरस ने दुनिया तो तहस-नहस कर दिया है. सारी दुनिया जिंदगी बचाने में एक प्रकार से जंग में जुटी है. हमने ऐसा संकट न देखा है, न ही सुना है. निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए ये सबकुछ अकल्पनीय है. ये क्राइसिस अभूतपूर्व है, लेकिन थकना, हारना, टूटना, बिखरना मानव को मंजूर नहीं है. सतर्क रहते हुए, सभी नियमों का पालन करते हुए अब हमें बचना भी है और आगे बढ़ना भी है. आज जब दुनिया संकट में है, तब हमें अपना संकल्प और मजबूत करना होगा, हमारा संकल्प इस संकट से भी विराट होगा.'
हर रोज 2 लाख PPE किट बनाए जा रहे
जब कोरोना संकट शुरू हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई (PPE) किट नहीं बनती थी. एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था. आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं.
विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन, आशा की किरण नजर आता है. भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है. भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता. भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है.
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आपदा एक संदेश लेकर आई है
जब हम इन दोनों कालखंडो को भारत के नजरिए से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की हो, ये हमारा सपना नहीं, ये हम सभी की जिम्मेदारी है. विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है- "आत्मनिर्भर भारत" एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं. इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है.
हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं
दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है, मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है. सवाल यह है - कि आखिर कैसे? इस सवाल का भी उत्तर है- 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प, आज हमारे पास साधन हैं, हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है, हम Best Products बनाएंगे, अपनी क्वालिटी और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे.
यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है. हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं और आज तो चाह भी है, राह भी है. ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना.
बता दें कि कोरोना संकट के बाद ये पीएम मोदी का पिछले दो महीनों में पांचवां विशेष संबोधन था.
प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले 18 मार्च को राष्ट्र को संबोधित कर लोगों से 22 मार्च को सुबह 9 बजे से रात 9 बजे के बीच 'जनता कर्फ्यू' का पालन करने की अपील की थी.
इसके बाद प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को कोविड-19 संक्रमण के प्रसार की रोकथाम के मद्देनजर 21-दिवसीय राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी और फिर 14 अप्रैल को उन्होंने इसे 3 मई तक अन्य 19 दिनों तक के लिए बढ़ा दिया था.
हालांकि, सरकार ने इसके बाद भी 17 मई तक दो और सप्ताह के लिए लॉकडाउन के विस्तार की घोषणा की थी और इसे 17 मई के बाद भी बढ़ा दिया गया है. ये लॉकडाउन का चौथा चरण होगा.