मोदी सरकार ने जिस तरह लद्दाख के विकास का बीड़ा उठाया है, उससे चीन परेशान है.
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नई दिल्ली: लद्दाख में पीएम मोदी के मिशन से चीन घबरा गया है. मोदी सरकार ने जिस तरह लद्दाख के विकास का बीड़ा उठाया है, उससे चीन परेशान है. लद्दाख में एलएसी के नजदीक जब तक बुनियादी ढांचा विकसित नहीं था तो चीन को एलएसी पर मनमानी करने में आसानी होती थी. लेकिन अब मोदी सरकार लद्दाख में सड़क और पुल से लेकर एयरपोर्ट तक विकसित कर रही है. चीन की हर चाल नाकाम की जा रही है.
चीन जानता है और समझ चुका है कि लद्दाख का विकास पीएम मोदी का सपना है और अब इसी विकास से चीन परेशान है. चीन की परेशानी का कारण लद्दाख में सिर्फ बॉर्डर एरिया की सड़कें और पुल नहीं है बल्कि लद्दाख का संपूर्ण विकास भी चीन के गले नहीं उतर रहा है. मोदी सरकार ने लद्दाख के विकास का चौतरफा प्लान तैयार किया है.
लद्दाख में बनाई जा रहीं नई सड़कें
नई सड़कें बनाई जा रही हैं. टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. पीएम मोदी के इसी विकास प्लान का एक बड़ा हिस्सा है. लेह एयरपोर्ट का आधुनिकीकरण होगा. पूरे देश को लद्दाख से जोड़ना वाला ये इकलौता एयरपोर्ट है- जिसका नाम- कुशक बाकुला रिम्पौछे है. अब यहां पर नई टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जा रही है जो कि आधुनिकता के साथ साथ लद्दाख की कला एवं संस्कृति पर आधारित होगी. लद्दाख अपनी खुबसूरती की वजह से दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता है और साल में कई हजार टूरिस्ट यहां आते हैं. इसी वजह से लेह एयरपोर्ट को बेहद आधुनिक तरीके से बनाने का प्लान किया गया है.
आखिर लेह के नए टर्मिनल में ये खासियत होगी:
नया टर्मिनल 18 हजार 985 वर्ग मीटर का होगा. एक साथ 800 यात्रियों को संभालने के इंतजाम होंगे. एयरपोर्ट की नई बिल्डिंग में 18 चेक इन काउंटर,8 सेल्फ चेक इन काउंटर, के साथ-साथ 15 लिफ्ट और 11 स्वचालित सीढ़ियां बनाई जाएंगी. यही नहीं, जिस बौद्ध धर्म की कला एवं संस्कृति को तिब्बत समेत पूरी दुनिया में चीन मिटाने में जुटा हुआ है, उसी कला एवं संस्कृति को भारत के इस लेह एयरपोर्ट की नई टर्मिनल बिल्डिंग में विशेष पहचान मिलेगी.
नए टर्मिनल को पारंपरिक स्तूप और हिमालय की आकृति का बनाया जाएगा. बिल्डिंग के पिलर्स में प्रेयर व्हील लगाए जाएंगे. बौद्ध धर्म की कला एवं संस्कृति के प्रतीत चिह्नों को एयरपोर्ट पर विशेष स्थान दिया जाएगा.
टर्मिनल की छतों को लद्दाख के टेरेन व लैंडस्केप पहाड़ों जैसे स्वरूप दिया जाएगा. लद्दाख के प्रार्थना वाले झंडे भी लगाए जाएंगे. रिटेल, चेक इन और लाउंज एरिया में मंडाला लगाया जाएगा, जिसे बौद्ध धर्म के मुताबिक़ ब्रम्हाण्ड का प्रतीक माना जाता है. लेह एयरपोर्ट का ये टर्मिनल 480 करोड़ रुपए से नए टर्मिनल बनाया जाएगा, जो अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगा.
चीन को लगी मिर्ची
अब आपको समझाते हैं कि लेह एयरपोर्ट के विकास से चीन को क्या परेशानी होगी. लद्दाख में पर्यटक बढ़ेंगे और लद्दाख के लोग आत्मनिर्भर बनेंगे. इसके साथ ही बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा, जो चीन बिल्कुल भी नहीं चाहता. केंद्र सरकार ने धारा 370 हटाने और लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने के साथ ही यहां के स्थानीय विकास पर खासा जोर दिया, क्योंकि ये इलाका दुश्मनों से सटा हुआ है. लद्दाख में जब विदेशी पर्यटक घूमने आता है तो सबसे ज्यादा मिर्ची चीन को लगती है. क्योंकि भारत की नई नीतियों से चीन के कब्जे वाली कोशिशें नाकाम हो रही हैं और पूरी दुनिया को ये पता चल रहा है कि मौजूदा लद्धाख ही नहीं बल्कि अक्साई चिन भी भारत का ही हिस्सा है.
लद्दाख के मुख्य रोज़गार के साधनों में पर्यटन सबसे बड़ा हथियार है. पर्यटन के सहारे ही यहां के लोगों की आजीविका चलती है. इसीलिए भारत लद्दाख को पर्यटकों के लिए एक शानदार लोकेशन के तौर पर विकसित कर रहा है, जो कि रणनीतिक और सामरिक तौर पर बेहद अहम है.
दरअसल, इन दिनों चीन की घबराहट का कोई एक कारण नहीं है. भारत ने चीन को चौतरफा घेर लिया है. एक तरफ जहां भारत सीमावर्ती सड़कों को बनाने में जी जान से जुटा है तो वहीं स्वदेशी अभियान की क्रांति भी भारत में जोर पकड़ रही है. लद्दाख के संपूर्ण विकास से चीन की परेशानी समझ आती है क्योंकि चीन को अब ये समझ आ गया है कि नया भारत चीन की विस्तारवादी नीति को और आगे नहीं बढ़ने देगा.
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