केवीआईसी कैलेंडर पर बिना इजाजत तस्‍वीर छापे जाने से पीएम मोदी खफा, पीएमओ ने मांगा जवाब
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केवीआईसी कैलेंडर पर बिना इजाजत तस्‍वीर छापे जाने से पीएम मोदी खफा, पीएमओ ने मांगा जवाब

खादी और ग्रामोद्योग निगम (केवीआईसी) के डायरी और कैलेंडर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर आने के बाद विवाद शुरू हो गया। विपक्षी दलों ने इस मामले में निशाना साधा, वहीं सरकार और भाजपा ने विवाद को ‘अनावश्यक’ करार देकर खारिज कर दिया।

केवीआईसी कैलेंडर पर बिना इजाजत तस्‍वीर छापे जाने से पीएम मोदी खफा, पीएमओ ने मांगा जवाब

नई दिल्‍ली : खादी और ग्रामोद्योग निगम (केवीआईसी) के डायरी और कैलेंडर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर आने के बाद विवाद शुरू हो गया। विपक्षी दलों ने इस मामले में निशाना साधा, वहीं सरकार और भाजपा ने विवाद को ‘अनावश्यक’ करार देकर खारिज कर दिया।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, खादी कैलेंडर पर बिना इजाजत के फोटो छापने पर पीएम मोदी नाराज हो गए हैं। रिपोर्टों के मुताबिक केवीआईसी के कैलेंडर और डायरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो का इस्तेमाल बिना इजाजत के करने से पीएमओ ने माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज मिनिस्ट्री से जवाब मांगा है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री जिम्‍मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई कर सकते हैं। पीएमओ ने इस पूरी मामले को लेकर माइक्रो, स्‍मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेस से भी जवाब तलब किया है।

केवीआईसी के बड़े अधिकारियों ने बताया कि पीएम मोदी इससे खासे नाराज हैं। कैलेंडर पर उनकी तस्वीर छपने पर राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार की आलोचना की थी। नाम नहीं छापने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि बिना इजाजत सरकारी या प्राइवेट एंटिटी की तरफ से प्रधानमंत्री के फोटो के इस्तेमाल का यह पहला मामला नहीं है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इसे संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया है। इसका काम देश में खादी के उपयोग को बढ़ावा देने है। केवीआईसी के कैलेंडर और डायरी में आमतौर पर महात्मा गांधी के चरखा कातने वाले ऐतिहासिक फोटोग्राफ का इस्तेमाल होता आया है।

केवीआईसी के अधिकारी नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कैलेंडर और डायरी में महात्मा गांधी के फोटोग्राफ का इस्तेमाल नहीं करने का यह पहला मामला नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले कम से कम पांच बार आम नागरिकों के फोटोग्राफ का इस्तेमाल इनमें हो चुका है। केवीआईसी के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री का फोटोग्राफ इसलिए यूज किया गया क्योंकि वह लोकप्रिय और खादी के भारी समर्थक हैं। अधिकारी ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर में मोदीजी ने लुधियाना में महिला बुनकरों के बीच 500 चरखे वितरित किए थे। इस घटना की वजह से कैलेंडर पर उनका फोटो छापने का फैसला हुआ। 2015 में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए केवीआईसी के प्रमुख वीके सक्सेना ने बताया कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से खादी को बढ़ावा मिला है। 2015-16 में खादी की बिक्री 34 फीसदी बढ़ी, जबकि उससे पहले के दशक में इसमें 2-7 फीसदी का इजाफा हुआ था।

गौर हो कि इससे पहले, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा था कि विवाद ‘गैरजरूरी’ है क्योंकि केवीआईसी में ऐसा कोई नियम नहीं है कि इसके डायरी और कलैंडर में केवल गांधीजी की तस्वीर होनी चाहिए। केवीआईसी के अध्यक्ष वीके सक्सेना ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि इस तरह का कोई नियम या परिपाटी नहीं है कि इन चीजों पर केवल महात्मा गांधी की तस्वीर प्रकाशित की जा सकती है। विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि विवाद अनावश्यक है और पहले भी केवीआईसी की इस तरह की सामग्री पर महात्मा गांधी की कोई तस्वीर नहीं रही है। सूत्रों ने कहा कि 1996, 2002, 2005, 2011, 2012, 2013, 2016 के कलैंडर और डायरियों में गांधीजी की कोई तस्वीर नहीं थी। इसलिए गांधीजी की जगह मोदी की तस्वीर लगाने का कोई सवाल नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर विवाद पैदा कर रहे लोगों को पता होना चाहिए कि कांग्रेस के 50 साल के शासन में खादी की बिक्री दो प्रतिशत से सात प्रतिशत रही लेकिन पिछले दो साल में बिक्री अभूतपूर्व तरीके से बढ़कर 34 प्रतिशत हो गयी है। यह खादी को लोकप्रियता दिलाने के मोदी के प्रयासों से हुआ। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि मोदी युवाओं के आदर्श हैं और दुनिया में खादी की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है। पीएमओ के मुताबिक केवीआईसी की डायरी और कलैंडर में मोदी की गरीब महिलाओं के बीच चरखा बांटने की तस्वीर है।

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