नए संसद भवन के शिलान्यास पर PM Modi ने कहा- 130 करोड़ देशवासियों के लिए गर्व का दिन
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नए संसद भवन के शिलान्यास पर PM Modi ने कहा- 130 करोड़ देशवासियों के लिए गर्व का दिन

नए संसद भवन (New Parliament House) के शिलान्यास के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है और 130 करोड़ भारतीयों के लिए गर्व का दिन है.

नए संसद भवन के शिलान्यास पर PM Modi ने कहा- 130 करोड़ देशवासियों के लिए गर्व का दिन

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को नए संसद भवन (New Parliament House) का शिलान्यास किया. पीएम मोदी ने संसद भवन का पूजन किया और आधारशिला रखी. इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है और 130 करोड़ भारतीयों के लिए गर्व का दिन है.

  1. पीएम मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास किया
  2. पीएम ने कहा- आज का दिन ऐतिहासिक है
  3. उन्होंने कहा- पुराना संसद भवन विश्राम मांग रहा

'आज का दिन इतिहास में मील का पत्थर'

पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर की तरह है. हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के इस नए भवन को बनाएंगे और इससे सुंदर क्या होगा. इससे पवित्र क्या होगा कि जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मनाए, तो उस पर्व की साक्षात प्रेरणा, हमारी संसद की नई इमारत बने.

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संसद में पहली बार पहुंचने को किया याद

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने पहली बार संसद पहुंचने के क्षण को याद किया. उन्होंने कहा, 'मैं अपने जीवन में वो क्षण कभी नहीं भूल सकता, जब 2014 में पहली बार एक सांसद के तौर पर मुझे संसद भवन में आने का अवसर मिला था. तब लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने से पहले, मैंने सिर झुकाकर, माथा टेककर, लोकतंत्र के इस मंदिर को नमन किया था.'

'वर्तमान संसद ने निभाई अहम भूमिका'

पीएम मोदी ने कहा, 'हमारे वर्तमान संसद भवन ने आजादी के आंदोलन और फिर स्वतंत्र भारत को गढ़ने में अपनी अहम भूमिका निभाई है. आजाद भारत की पहली सरकार का गठन भी यहीं हुआ और पहली संसद भी यहीं बैठी थी.' उन्होंने कहा, 'पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा. पुराने भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी.'

'विश्राम मांग रहा संसद का मौजूदा भवन'

पीएम ने कहा, 'संसद के शक्तिशाली इतिहास के साथ ही यर्थाथ को स्वीकारना उतना ही आवश्यक है. ये इमारत अब करीब 100 साल की हो रही है. बीते वर्षों में इसे जरूरत के हिसाब से अपग्रेड किया गया. कई नए सुधारों के बाद संसद का ये भवन अब विश्राम मांग रहा है. वर्षों से नए संसद भवन की जरूरत महसूस की गई है. ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि 21वीं सदी के भारत को एक नया संसद भवन मिले। इसी कड़ी में ये शुभारंभ हो रहा है.'

'नए संसद भवन पर गर्व करेगी आने वाली पीढ़ी'

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, 'जैसे आज इंडिया गेट से आगे नेशनल वॉर मेमोरियल ने नई पहचान बनाई है, वैसे ही संसद का नया भवन अपनी पहचान स्थापित करेगा. आने वाली पीढ़ियां नए संसद भवन को देखकर गर्व करेंगी कि ये स्वतंत्र भारत में बना है. आजादी के 75 वर्ष का स्मरण करके इसका निर्माण हुआ है.

'सदियों के अनुभव से विकसित हुई भारतीय लोकतंत्र'

पीएम मोदी ने कहा, 'भारत के लिए लोकतंत्र जीवन मूल्य है, जीवन पद्धति है और राष्ट्र जीवन की आत्मा है.  भारत का लोकतंत्र, सदियों के अनुभव से विकसित हुई व्यवस्था है. भारत के लिए लोकतंत्र में, जीवन मंत्र भी है, जीवन तत्व भी है और साथ ही व्यवस्था का तंत्र भी है. आजादी के समय किस तरह से एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत के अस्तित्व पर संदेह जताया गया था. अशिक्षा, गरीबी, सामाजिक विविधता सहित कई तर्कों के साथ ये भविष्यवाणी कर दी गई थी कि भारत में लोकतंत्र असफल हो जाएगा.'

'लोकतंत्र मतभेदों को सुलझाने का माध्यम'

हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे देश ने उन आशंकाओं को न सिर्फ गलत साबित किया, बल्कि 21वीं सदी की दुनिया भारत को अहम लोकतांत्रिक ताकत के रूप में आगे बढ़ते देख रही है. भारत में लोकतंत्र, हमेशा से ही गवर्नेंस के साथ ही मतभेदों को सुलझाने का माध्यम भी रहा है. 

'जनता की सेवा में मतभेद नहीं होना चाहिए'

राजनीति में अंतर हो सकता है, भिन्नता हो सकती है, लेकिन हम जनता की सेवा के लिए हैं और इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए. वाद-संवाद संसद के भीतर हों या संसद के बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए. हमारा हर फैसला राष्ट्र प्रथम की भावना से ही होना चाहिए. हमारे हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि रहना चाहिए. राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि के लिए हम एक स्वर में खड़े हों, ये बहुत जरूरी है.'

'मूलभूत सिद्धांत का लेना होगा प्रण'

पीएम मोदी ने कहा, 'भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे. जब एक-एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहां निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी.' उन्होंन कहा, 'राष्ट्र के विकास के लिए राज्य का विकास, राष्ट्र की मजबूती के लिए राज्य की मजबूती, राष्ट्र के कल्याण के लिए राज्य का कल्याण. इस मूलभूत सिद्धांत के साथ काम करने का हमें प्रण लेना है.'

इंडिया फर्स्ट का संकल्प

पीएम मोदी ने कहा, 'हमें संकल्प लेना है. ये इंडिया फर्स्ट का संकल्प हो. हम सिर्फ और सिर्फ भारत की उन्नति, भारत के विकास को ही अपनी आराधना बना लें. हमारा हर फैसला देश की ताकत बढ़ाए. हमारा हर निर्णय, हर फैसला, एक ही तराजू में तौला जाए और वो देश का हित सर्वोपरि है.'

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