प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब सिर्फ आयात कम करना ही नहीं बल्कि अपनी क्षमता, अपनी रचनात्मकता, अपने कौशल को बढ़ाना भी है. कोरोना काल में भारत न सिर्फ अपनी जरूरतें खुद पूरी कर रहा है बल्कि दूसरे देशों की मदद के लिए भी आगे आया है.
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने देश के सर्वांगीण इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए ‘राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन परियोजना’ की घोषणा की और कहा कि इसके लिए 100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे. 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत को आधुनिकता की तरफ तेज गति से ले जाने के लिए देश के सर्वांगीण इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को एक नई दिशा देने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की जरूरत राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन परियोजना से पूरी होगी. इस पर देश 100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. अलग-अलग क्षेत्रों की लगभग सात हजार परियोजनाओं को चिह्नित भी किया जा चुका है. ये एक तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर में नई क्रांति की तरह होगा.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब सिर्फ आयात कम करना ही नहीं बल्कि अपनी क्षमता, अपनी रचनात्मकता, अपने कौशल को बढ़ाना भी है. कुछ महीने पहले तक एन-95 मास्क, पीपीई किट और वेंटिलेटर ये सब विदेशों से मंगवाया जाता था लेकिन आज इन सभी में भारत न सिर्फ अपनी जरूरतें खुद पूरी कर रहा है बल्कि दूसरे देशों की मदद के लिए भी आगे आया है.
उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. आज दुनिया की बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं. हमें ‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ के मंत्र को लेकर आगे बढ़ना है.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच भारतीयों ने आत्म-निर्भर होने का संकल्प लिया है और यह केवल शब्द नहीं बल्कि सभी लोगों के लिए मंत्र है.
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उन्होंने कहा कि आखिर भारत कब तक कच्चे माल का निर्यात करेगा और तैयार उत्पादों का आयात करेगा, भारत को आत्म-निर्भर होना होगा. भारत की विश्व अर्थव्यवस्था में जो हिस्सेदारी है, वो बढ़नी चाहिए और इसके लिये हमें आत्म-निर्भर होना होगा.
उन्होंने कहा, ‘जब हम आर्थिक वृद्धि और विकास पर ध्यान केंद्रित करें तो मानवता इस प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका में होनी चाहिए.’
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा कि हमारा मन पूरी तरह से ‘वोकल फॉर लोकल’ (स्थानीय उत्पादों पर जोर देने वाला) होना चाहिए.
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