Politics on Tiranga: हमारे देश में राजनीतिक पार्टियों ने हर चीज को तेरा और मेरा के हिसाब से बांट रखा है. लेकिन क्या राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भी तेरे वाला या मेरे वाला हो सकता है. कम से कम कुछ पार्टियों के रुख से तो ऐसा ही लग रहा है.
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Politics on Tiranga: इस 15 अगस्त को हमारा देश भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर लेगा. वो स्वतंत्रता जो हमें अंग्रेज़ों से 200 वर्षों तक संघर्ष करने के बाद मिली थी. जिसके लिए असंख्य वीरों और क्रांतिकारियों ने बलिदान दिए थे. तब जाकर 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ. अंग्रेजों का यूनियन जैक उतारकर हमने राष्ट्रध्वज के रूप में तिरंगा फहराया. किसी भी देश के लिए उसका राष्ट्रध्वज महज कुछ रंगों का कॉम्बिनेशन नहीं बल्कि वो उस राष्ट्र की समग्रता का, उसकी विशेषता का और उसकी भावनाओं का प्रतिबिंब होता है.
तिरंगे (Tiranga) में भी आप जिन तीन रंगों और बीच में अशोक चक्र को देखते हैं, वो भारत की अखंडता को, हमारे अदम्य साहस को और हमारी शांतिप्रियता को प्रकट करते हैं. तिरंगे को आप किसी भी भारतीय का सबसे बड़ा आइडेंडिटी कार्ड कह सकते हैं. भारतीयता और तिरंगा, ये ही वो दो प्रॉपर्टी हैं जिनके बारे में आप कह सकते हैं कि इन पर हर भारतीय का समान अधिकार है.
देश में तिरंगे पर शुरू हुई अजीब राजनीति
लेकिन आपको जानकर दुख होगा कि जिस समय भारत आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और पूरी दुनिया को तिरंगे (Tiranga) की शक्ति दिखा रहा है, उसी समय तिरंगे पर देश के अंदर राजनीति भी हो रही है. यही राजनीति आज अपने स्तर से एक पायदान और नीचे गिरकर यहां तक आ गई कि तिरंगे पर कॉपीराइट बताने की कोशिश शुरू हो गई है. जिसमें ये तक जताया जा रहा है कि मेरा तिरंगा, तुम्हारे तिरंगे से सर्वश्रेष्ठ है. ये बताया जा रहा है कि तुम्हारा तिरंगा तो नक़ली है, असली तिरंगा तो मेरा है.
इसे हम भारत का दुर्भाग्य कहेंगे कि तिरंगे में अपने-अपने चश्मे से रंग देखे जा रहे हैं, उसे तीन रंगों में बांटा जा रहा है. जिस तिरंगे की आन-बान-शान के लिये वीर सैनिक सीमा पर शहादत देते हैं. राजनेताओं की एक बिरादरी से उसे फहराने के लिये हाथ जोड़ने पड़ रहे हैं, उन्हें बताना पड़ रहा है कि तिरंगा सबका है.
खिलाड़ियों से सीखें देशभक्ति का जज्बा
एक भारतीय के लिये राष्ट्रध्वज तिरंगा (Tiranga) क्या मायने रखता है. उसे आप वेटलिफ्टर सेखोम मीराबाई चानू की तस्वीर से समझ सकते हैं, जो उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद ट्विटर पर शेयर की है. आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जिन अंग्रज़ों ने भारत पर 200 वर्षों तक राज किया, उन्हीं के देश में जाकर गोल्ड मेडल जीतने के बाद इस तिरंगे को शो-ऑफ करते वक्त मीराबाई चानू के अंदर गर्व की मात्रा कितनी रही होगी. दूसरी तस्वीर भी देखिए, ये भी मीराबाई चानू ने ट्विटर पर शेयर की है. इसमें वो कॉमनवेल्थ विलेज में लहरा रहे कई देशों के झंडे के बीच अपने तिरंगे की ओर इशारा कर रही हैं और उसे दिखाकर लिख रही हैं- तिरंगा हमारी शान, जय हिंद.
आपको टेबिल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा की तस्वीर के बारे में भी जानना चाहिए. जिन्हें किसी भी टूर्नामेंट में खेलते देखेंगे तो उनके हाथ पर आपको तिरंगा दिखाई देगा. ये तिरंगा उनके लिए बूस्टर डोज का काम करता है, ये उन्हें मैच में जीतने का जुनून देता है.
आपको उस तस्वीर के बारे में भी जानना चाहिए, जब आजादी के बाद 1948 के London Olympics में भारतीय हॉकी टीम ने द ग्रेट ब्रिटेन को उसी की जमीन पर हराकर 4-0 से गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद मेडल सेरेमनी में भारतीय टीम पोडियम पर थी और ग्रेट ब्रिटेन के सामने ही तिरंगा लहराया गया था और भारत का राष्ट्रगान बजा था. अब सोचिए तिरंगे का इससे भव्य उत्सव और कौन सा रहा होगा.
सैनिकों के लिए तिरंगा (Tiranga) ही सबकुछ
आपको वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध की उस तस्वीर के बारे में भी जानना चाहिए, जब भारतीय जवानों ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटाने के बाद बड़ी शान से तिरंगा फहराया था. कारगिल युद्ध के इन नायकों में शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा भी थे. जिन्होंने युद्ध पर जाते वक्त अपने मित्र से कहा था कि चिंता ना करो, मैं तिरंगा फहरा कर लौटूंगा या तिरंगे में लिपट कर लौटूंगा, लेकिन मैं वापस आऊंगा ज़रूर.
लेकिन अब ये देखिये कि हमारे कुछ राजनेताओं के लिए तिरंगे (Tiranga) का मान क्या है?आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत बुधवार को राजधानी दिल्ली में लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों की बाइक रैली का आयोजन किया गया था. ये कार्यक्रम किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं था, बल्कि भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से आयोजित किया गया था. इसके निमंत्रण पत्र भी संसदीय कार्य मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय की ओर से भेजे गये थे.
तिरंगा रैली में नहीं पहुंचा कोई विपक्षी सांसद
तय कार्यक्रम के मुताबिक़ उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू लाल किला पहुंचे और उन्होंने सांसदों की इस बाइक रैली को रवाना किया. लेकिन आप आश्चर्य करेंगे कि इस बाइक रैली में विपक्षी दलों से एक भी सांसद नहीं पहुंचा. एक बार फिर बता दें कि ये कार्यक्रम भारत सरकार की ओर से था. निमंत्रण भी मंत्रालय की ओर से था. इसके बावजूद विपक्षी दलों से एक भी सांसद ने इसमें हिस्सेदारी नहीं की.
कांग्रेसी नेताओं ने लगा ली नेहरु वाली डीपी
तिरंगे (Tiranga) को लेकर ये वैचारिक टकराव कॉपीराइट की लड़ाई में भी बदलता दिखा. मंगलवार को सरकार के कई मंत्रियों ने आज़ादी के अमृत महोत्सव की ब्रांडिंग के तौर पर अपने ट्विटर हैंडल पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदल कर उसकी जगह तिरंगे की तस्वीर लगा ली. लेकिन कांग्रेस ने इसमें भी तेरा तिरंगा-मेरा तिरंगा वाली सियासत के लिये स्पेस बना लिया. सांसद राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने इसके जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की वो तस्वीर प्रोफाइल के तौर पर लगा ली, जिसमें पंडित नेहरू के हाथ में तिरंगा है. इसी के साथ कई कांग्रेस नेताओं ने कमेंट भी लिखे. इनमें कांग्रेस नेताओं ने याद दिलाने की कोशिश की कि तिरंगा आज फहरा रहा है या फहराता है तो वो कांग्रेस की और पंडित नेहरू की देन है.
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