Rahul Gandhi: इतना ही नहीं प्रणब दा ने इस बात का भी इशारा कर दिया था कि राहुल गांधी राजनीतिक रूप से अपरिपक्व हैं. वे किसी भी सलाह पर ध्यान नहीं देते. प्रणब ने डायरी में यहां तक जिक्र किया कि उन्होंने मेरी बातों को अनुसना कर दिया था जब मैंने राष्ट्रपति के तौर पर उनको एक सलाह दी थी.
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Pranab Mukherjee Diary: कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे और भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की डायरी इन दिनों चर्चा में है. इसका कारण यह है कि प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता रहीं शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी नई किताब में प्रणब मुखर्जी की डायरी के हवाले से कई सनसनीखेज दावे किए हैं जिसकी चर्चा देश के राजनीतिक गलियारों में हो रही है. उन्होंने अपनी किताब में प्रणब मुखर्जी की डायरी और प्रणब मुखर्जी के साथ उनकी बातचीत के कई अंश लिखे हैं. इस किताब में पीएम मोदी से लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक का जिक्र है. इसमें यह भी लिखा गया है कि प्रणब मुखर्जी किस नजरिए से राहुल गांधी और पीएम मोदी को देखते थे. उन्हें पीएम मोदी की कौन से बात आकर्षित करती थी. यह भी बताया कि उन्होंने क्यों राहुल गांधी को अपरिपक्व माना था.
'राजनीतिक अपरिपक्वता झलकती रही'
असल में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी आने वाली किताब ‘इन प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में इन सब बातों का जिक्र किया है. उन्होंने सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री पद की दौड़ से हटने के फैसले के बाद प्रणब मुखर्जी के साथ उनकी बातचीत का भी जिक्र किया है. किताब के एक पृष्ठ पर प्रणब मुखर्जी के हवाले से उन्होंने राहुल गांधी के बारे में लिखा कि उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता झलकती रही है. वे कई ऐसे मौकों पर बार-बार गायब हो जाते हैं जो नहीं होना चाहिए. गंभीर राजनीति 24x7 और 365 दिन का काम है. वे व्यक्तिगत रूप से समय निकालने में विश्वास नहीं करते थे और पूरी लगन से राजनीति में भाग नहीं लेते थे. सभी आधिकारिक और पार्टी कार्यक्रम में वे नदारद रहते थे. पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि के दौरान वे ब्रेक पर दिखाई देते थे. 28 दिसंबर 2014, पार्टी के बमुश्किल छह महीने बाद आम चुनाव में विनाशकारी हार के बाद पार्टी के 130वें स्थापना दिवस पर ध्वजारोहण समारोह के दौरान स्पष्ट रूप से अनुपस्थित थे. मुझे कारण तो नहीं पता लेकिन ऐसी कई घटनाएं घटी हैं. शायद उन्हें सब कुछ इतनी आसानी से मिल जाता है, इसलिए वह इसकी कद्र नहीं करते.
'बेटे को उत्तराधिकारी बनाने पर तुली हुई हैं'
इसके अलावा उन्होंने अपनी डायरी में सोनिया गांधी का भी जिक्र किया है. उन्होंने लगभग निशाना साधते हुए लिखा कि अपने बेटे को युवा लेकिन उत्तराधिकारी बनाने पर तुली हुई हैं. क्या वह कांग्रेस को पुनर्जीवित कर सकते हैं? क्या वे लोगों को प्रेरित कर सकते हैं? मुझे नहीं पता है. इसके अलावा शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आगे लिखा कि जब उन्होंने अपने पिता से प्रधानमंत्री पद के संदर्भ में सवाल किया तो उनका जवाब था कि नहीं वे मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनाएंगी. उन्होंने प्रणब यानी कि अपने पिता से यह सवाल इसलिए पूछा था क्योंकि प्रधानमंत्री पद की दौड़ से हटने के सोनिया गांधी के फैसले के बाद, मीडिया और राजनीतिक हलकों में तेज अटकलें थीं. इस पद के लिए प्रबल दावेदारों के रूप में मनमोहन सिंह और प्रणब के नामों पर चर्चा हो रही थी.
'प्रणब दा ने उन्हें सलाह दी कि..'
शर्मिष्ठा ने आगे यह भी लिखा कि राहुल गांधी अक्सर राष्ट्रपति भवन में उनके पिता प्रणब मुखर्जी से मिलने जाया करते थे. एक बार प्रणब दा ने उन्हें सलाह दी कि वे देश के भावी नेता हैं. उन्हें सरकार चलाने के लिए कुछ अनुभव हासिल करना चाहिए. उन्होंने इसके लिए उन्हें कैबिनेट में शामिल हो जाने का सुझाव दिया लेकिन राहुल गांधी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. समस्या ये थी कि उनका मन बहुत जल्द ही एक विषय से हट जाता था और वे दूसरे मुद्दे पर शिफ्ट हो जाते थे. वे किसी भी मुद्दे पर स्थाई रूप से स्थिर नहीं रह पाते थे.