प्रसून जोशी बोले - कोई कट नहीं, ‘पद्मावती’ का नाम ‘पद्मावत’ करने समेत 5 बदलावों के सुझाव दिए
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प्रसून जोशी बोले - कोई कट नहीं, ‘पद्मावती’ का नाम ‘पद्मावत’ करने समेत 5 बदलावों के सुझाव दिए

जोशी ने कहा कि फिल्म के निर्माता एवं निर्देशक प्रस्तावित बदलावों से ‘पूरी तरह से सहमत’ हैं.

बोर्ड ने फिल्म को UA सर्टिफिकेट’’ देने का फैसला किया है...(फाइल फोटो)

मुंबई: केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ को बिना किसी कट के ‘यूए’ सर्टिफिकेट देने का फैसला किया है, लेकिन फिल्म के निर्देशक को इसका नाम बदलकर ‘पद्मावत’ और चार अन्य बदलाव करने का भी सुझाव दिया है. इस तरह की खबरें थीं कि बोर्ड ने फिल्म में 26 कट करने का सुझाव दिया है लेकिन सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने एक बयान में स्पष्ट किया कि उन्होंने फिल्म का नाम बदलने समेत पांच बदलाव करने सलाह दी है, न कि किसी कट के लिए सुझाव दिया है. 

  1. खबरें थीं कि बोर्ड ने 26 कट करने का सुझाव दिया
  2. बोर्ड ने आधिकारिक घोषणा में बदलाव का सुझाव दिया
  3. ‘घूमर’ गाने में कुछ बदलाव करने का भी सुझाव दिया

उन्होंने कहा कि बोर्ड ने आधिकारिक घोषणा में कुछ बदलाव करने का सुझाव देते हुए इसमें यह जोड़ने को कहा कि यह फिल्म ‘‘जौहर प्रथा’’ का महिमामंडन नहीं करती. साथ ही फिल्म के गीत ‘‘घूमर’’ में चरित्र के अनुकूल कुछ बदलाव करने का भी सुझाव दिया गया. जोशी ने कहा कि फिल्म के निर्माता एवं निर्देशक प्रस्तावित बदलावों से ‘पूरी तरह से सहमत’ हैं. बोर्ड ने 28 दिसंबर को अपनी जांच समिति के साथ बैठक की थी और ‘‘कुछ बदलावों के साथ फिल्म को यूए सर्टिफिकेट’’ देने का फैसला किया तथा संबद्ध सामग्री/रचनात्मक स्रोत के आधार पर फिल्म का नाम बदलने का सुझाव दिया.

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संसदीय पैनल के समक्ष भी पेश हो चुके भंसाली ने बताया कि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित करीब 150 करोड़ रुपये की लागत से बनी उनकी फिल्म मलिक मोहम्मद जायसी रचित 16वीं सदी के ऐतिहासिक काव्य ‘‘पद्मावत’’ पर आधारित है. फिल्म में दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह ने अभिनय किया है.

बैठक में जोशी के साथ सेंसर बोर्ड के अधिकारियों सहित जांच समिति के नियमित सदस्यों ने भी हिस्सा लिया था. फिल्म को लेकर जटिलताओं एवं चिंताओं पर विचार करते हुए सीबीएफसी ने सेंसर बोर्ड का एक ‘‘विशेष पैनल’’ बनाया था, जिसे सेंसर बोर्ड की आधिकारिक समिति के अंतिम फैसले में अपना विचार जोड़ना था. विशेष पैनल में उदयपुर से अरविंद सिंह, डॉ. चंद्रमणि सिंह और जयपुर विश्वविद्यालय से प्रोफेसर के के सिंह शामिल थे.

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