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नई दिल्ली: कोरोना वायरस से लड़ने में रामबाण दवा के तौर पर देखी जा रही मोलनुपिराविर (Molnupiravir) दवा जिसे कोरोना वायरस (Corona Virus) के इलाज की रामबाण दवा के तौर पर देखा जा रहा है, उसे लेकर सरकार ने सावधान किया है. इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (Indian council for medical research) यानी ICMR ने साफ किया है कि ये दवा फिलहाल कोरोना वायरस के इलाज के लिए बने क्लीनिकल प्रोटोकॉल में शामिल नहीं की जाएगी.
इसके पीछे की वजह भी स्पष्ट है. दरअसल ऐसा देखा गया है कि युवाओं, अविवाहित महिलाओं और गर्भवती महिलाओं में ये दवा बच्चे पैदा करने की क्षमता पर बुरा असर डाल सकती है. हालांकि फिलहाल कोरोना के इलाज की ये पहली ओरल दवा है, इसलिए इसे काफी प्रिस्क्राइब किया जा रहा है. लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के वैक्सीन के लिए बने टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप वैक्सीन टास्क फोर्स के सदस्य डॉ एन के अरोड़ा ने भी हर मामले में इस दवा को प्रयोग न करने की सलाह दी है.
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मैक्स अस्पताल के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ शरद जोशी के मुताबिक मोलनुपिराविर को केवल 60 वर्ष से अधिक के बीमार कोरोना वायरस मरीजों को ही देना चाहिए. जब तक इस दवा की डिटेल स्टडी सामने न आ जाए तब तक इसे हर किसी को इलाज के तौर पर न दें. खास तौर पर हल्के लक्षणों वाले मरीज और होम आइसोलेशन वाले मरीज इस दवा को न लें.
मोलनुपिराविर को सर्दी-जुकाम के मरीजों के लिए बनाया गया था. यह वैक्सीन नहीं, बल्कि ओरल ड्रग है. इसे फार्मा कंपनी मर्क और रिजबैक ने बनाया है. अब इसका इस्तेमाल कोरोना मरीजों पर भी खूब किया जा रहा है.
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आपको बता दें कि इस दवा को भारत के ड्रग कंट्रोलर ने 28 दिसंबर को कोरोना के गंभीर मामलों के इलाज के लिए मंजूरी दी. दवा का फायदा 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग या ऐसे लोग जिन्हें कोई दूसरी गंभीर बीमारी भी हो, इनमें देखा गया है. लेकिन कई डॉक्टर इसे युवाओं को भी दे रहे है. सरकार के एक्सपर्ट ऐसे मामलों से बचने की सलाह दे रहे हैं. दवा बनाने वाली कंपनी का दावा है कि ये दवाई अगर कोरोना वायरस संक्रमण के 5 दिनों के भीतर ही दे दी जाए तो अस्पताल में भर्ती होने और मौत के खतरे दोनों से बचा सकता है. भारत की 13 कंपनियों ने इस दवा को बनाने की तैयारी कर ली है. फिलहाल ये दवा डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन पर ही मिल सकती है.
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