president Rule in Maharashtra: महाराष्ट्र में 2019 में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर डिप्टी सीएम और बीजेपी के कद्दावर नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को बड़ा दावा किया था. उनका कहना था कि शरद पवार के कहने पर ही फैसला लिया गया था हालांकि अब पवार ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस के आरोप तथ्यों से परे हैं.
Trending Photos
2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद जब सरकार बनाने की बारी आई तो शिवसेना और बीजेपी एक मत नहीं हो सके. दोनों की राह जुदा हो गई. इन सबके बीच नाटकीय घटनाक्रम में देवेंद्र फडणवीस और शरद पवार के भतीजे अजित पवार 23 सितंबर 2019 की सुबह सुबह राजभवन में सीएम और डिप्टी सीएम पद की शपथ ली हालांकि सरकार सिर्फ 72 घंटे ही चल सकी. लेकिन चर्चा राष्ट्रपति शासन को लेकर है. देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राष्ट्रपति शासन के बारे में शरद पवार को भी जानकारी थी लेकिन शरद पवार इसे गलत बता रहे हैं.
जो कहा उस पर कायम
फडणवीस ने बुधवार को कहा था कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद, हम शरद पवार के साथ सरकार गठन पर चर्चा कर रहे थे. हमने विभागों के बंटवारे और प्रभारी मंत्रियों की जिम्मेदारियों को भी अंतिम रूप दे दिया था. लेकिन पवार ने रुख बदल लिया और पीछे हट गए. राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला पवार की सहमति से ही लिया गया था. महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 2019 में हुए चुनाव में भाजपा ने 288 में से 105 सीटें जीतीं थीं और भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली. जबकि एनसीपी के खाते में 54 सीट आई थी. हालांकि, मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद के बाद शिवसेना ने भाजपा से राह अलग कर ली थी और उस राजनीतिक गतिरोध के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था.
#WATCH | On his claim that President's Rule was imposed in Maharashtra after the 2019 elections with the consent of NCP chief Sharad Pawar, Maharashtra Deputy CM & BJP leader Devendra Pradhan says, "What I have disclosed is absolutely correct. At that time he (NCP chief Sharad… pic.twitter.com/Mexos0Ycam
— ANI (@ANI) October 5, 2023
राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर पवार की सहमति होने के दावे पर उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्यपाल को हर राजनीतिक दल से पूछना था कि क्या वह सरकार बनाने का दावा करना चाहेगा. एनसीपी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और उसका पत्र मुंबई में उनके आवास पर टाइप किया गया था. पवार ने कुछ सुधारों का सुझाव दिया जो किए गए और फिर पत्र पेश किया गया. यही नहीं पवार ने हमें बताया कि वह भाजपा के साथ गठबंधन का निर्णय अल्प अवधि में नहीं ले सकते. पवार ने कहा कि वह पहले राज्य का दौरा करेंगे और लोगों को समझाने के बाद भाजपा के साथ सरकार बनाने के अपने फैसले की घोषणा करेंगे. पवार ने कहा कि उन्हें इसके लिए एक महीने की आवश्यकता होगी.
बाद में बनी थी MVA की सरकार
उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ सरकार का गठन करने के बारे में शरद पवार द्वारा रुख बदल लेने के बाद उनके भतीजे और राकांपा नेता अजित पवार ने भगवा पार्टी के साथ सरकार बनाने की कोशिश की. बाद में, शरद पवार ने ऐलान किया कि तत्कालीन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस गठबंधन - महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की सरकार का नेतृत्व करेंगे और तीनों दलों के गठबंधन ने सरकार का गठन किया.