Farmers Protest: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गणतंत्र दिवस के दौरान हुई हिंसा के लिए दर्ज की गई एफआईआर में किसान नेताओं को नामजद करने पर सवाल उठाया. सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों के खिलाफ कोई सबूत नहीं होने के बावजूद उन पर केस दर्ज किए गए हैं.
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चंडीगढ़: किसान आंदोलन (Farmers Protest) की वजह से पंजाब में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. पंजाब के किसान बढ़-चढ़कर दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में शामिल हैं. ऐसे में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने राज्य में हालात की समीक्षा करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया है.
सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने कहा कि उन्होंने 2 फरवरी को सभी पार्टियों की बैठक आह्वान किया है. इस मीटिंग में किसान आंदोलन (Farmers Protest) की वजह से बने ताजा हालात पर चर्चा की जाएगी.
Punjab Chief Minister Captain Amarinder Singh says he has called an all-party meeting on February 2 to 'discuss the recent developments at the farmers' protest'. (file photo) pic.twitter.com/O2FfpYV57K
— ANI (@ANI) January 31, 2021
इससे पहले पंजाब (Punjab) के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने दिल्ली में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड के नाम पर हुई हिंसा के बाद पुलिस द्वारा किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी होने पर आपत्ति जताई. उन्होंने लुकआउट नोटिस गलत बताया.
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सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को कहा कि किसानों को फ्लाइट रिस्क के खतरे के रूप में देखना ना केवल अतार्किक है, बल्कि निंदनीय भी है. कैप्टन ने कहा कि उनमें से ज्यादातर छोटे किसान हैं, जिनके पास जोतने के लिए कम जमीन है.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि ये किसान विजय माल्या, नीरव मोदी और ललित मोदी जैसे बड़े बिजनेसमैन नहीं हैं, जो पिछले अरबों रुपये लूटकर भाग गए थे. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह दिल्ली पुलिस को तुरंत लुकआउट नोटिस वापस लेने का निर्देश दे.
कैप्टन ने गणतंत्र दिवस के दौरान हुई हिंसा के लिए दर्ज की गई एफआईआर में किसान नेताओं को नामजद करने पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि किसानों के खिलाफ कोई सबूत नहीं होने के बावजूद उन पर केस दर्ज किए गए हैं.
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पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा, 'आप सभी किसान नेताओं को एक तितर-बितर हुए समूह या कुछ असामाजिक तत्वों की करतूत के लिए कैसे दोषी ठहरा सकते हैं, जिन्होंने लाल किले और राष्ट्रीय राजधानी के अन्य हिस्सों में हिंसा भड़काई.'
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