कमाल हो गया.. रवींद्रनाथ टैगोर के हाथ से लिखा राष्ट्रगान वाला पेज मिल गया; नोबेल फाउंडेशन ने किया शेयर
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कमाल हो गया.. रवींद्रनाथ टैगोर के हाथ से लिखा राष्ट्रगान वाला पेज मिल गया; नोबेल फाउंडेशन ने किया शेयर

National Anthem: नोबेल पुरस्कार देने वाली संस्था ने ही अपने अधिकारी सोशल मीडिया पेज से इसे शेयर किया है. इसे शेयर करते हुए लिखा गया कि वंदे मातरम भारत का राष्ट्रगान है, जिसे मूल रूप से बंगाली कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था.

कमाल हो गया.. रवींद्रनाथ टैगोर के हाथ से लिखा राष्ट्रगान वाला पेज मिल गया; नोबेल फाउंडेशन ने किया शेयर

Rabindranath Tagore Handwritten Jana Gana Mana: भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. पूरा देश स्वाधीनता के आंदोलनकारियों को याद कर रहा है. राष्ट्रगान बजाकर तिरंगे को भी सलाम किया जा रहा है. राष्ट्रगान को रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था. उन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार नोबेल पुरस्कार जीता था, ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय थे. उन्होंने इस गीत को 11 दिसंबर, 1911 को लिखा था. उन्होंने इस गीत को बंगाली भाषा में लिखा था. उस समय उन्होंने इस गीत का नाम 'भारतो भाग्यो बिधाता' रखा था. इसी बीच अब उनके हाथ का लिखा हुआ राष्ट्रगान का ओरिजिनल पेज सामने आया है.

मूल रूप से बंगाली में लिखा

असल में नोबेल पुरस्कार देने वाली संस्था ने ही अपने अधिकारी सोशल मीडिया पेज से इसे शेयर किया है. इसे शेयर करते हुए लिखा गया कि वंदे मातरम भारत का राष्ट्रगान है, जिसे मूल रूप से बंगाली में कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था. उन्हें साल 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था. यह कैप्शन नोबेल पुरस्कार के एक्स अकाउंट ने टैगोर द्वारा लिखे हुए अनुवाद की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा. 

The Morning Song Of India 

The Morning Song Of India शीर्षक वाले इस अनुवाद में लिखा है कि तू सब लोगों के मन का राजा है, भारत की किस्मत का मालिक है. तेरा नाम पंजाब, सिंध, गुजरात और मराठे के दिलों को जगाता है, द्रविड़, उड़ीसा और बंगाल के मन में गूंजता है. यह विंध्य और हिमालय की पहाड़ियों में गूंजता है, यमुना और गंगा के संगीत में मिल जाता है और हिंद महासागर की लहरों द्वारा गाया जाता है. वे तेरे आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं और तेरी स्तुति गाते हैं. सभी लोगों का उद्धार तेरे हाथ में है, हे भारत की किस्मत के मालिक. तुझे विजय, विजय, विजय.

 'भारतो भाग्यो बिधाता' के रूप में 

भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने मूल रूप से इस भजन को 11 दिसंबर, 1911 को बंगाली में 'भारतो भाग्यो बिधाता' के रूप में रचा था. इस गीत के पांच छंदों में से पहला छंद को भारत की संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान के रूप में अपनाया था. जब भारत आजाद ही हुआ था, उस समय साल 1947 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने दुनिया को बताया कि भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है और उन्होंने यह गीत वहां बजाकर भी सुनाया था.

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