Rahul Gandhi Attacks PM Modi-Gautam Adani: ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) ने अडानी ग्रुप पर निशाना साधते हुए गुरुवार को आरोप लगाया कि उसके प्रवर्तक परिवार के साझेदारों से जुड़ी विदेशी इकाइयों के जरिए अडानी समूह के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया. इसके बाद विपक्ष ने अडानी ग्रुप पर जमकर हमला बोला.
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Gautam Adani Case: I.N.D.I.A गठबंधन की दो दिन की बैठक के लिए मुंबई पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अडानी मामले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. बैठक से पहले राहुल गांधी ने कहा, आज सुबह दो मामले सामने आए. ग्लोबल फाइनेंशियल अखबारों ने अडानी ग्रुप के मालिक गौतम अडानी पर सवाल उठाए. एक अखबार ने कहा कि पीएम मोदी के करीबी अडानी परिवार ने अपने ही शेयरों में पैसा इन्वेस्ट कर स्टॉक्स में हेरफेर की कोशिश की. इस खुलासे के बाद देश की छवि पर असर पड़ा है.
'कौन है मास्टरमाइंड, पता चलना चाहिए'
राहुल ने कहा कि ये कोई आम अखबार नहीं हैं, इससे देश में इन्वेस्टमेंट पर असर पड़ता है. इससे पहला सवाल ये उठता है कि ये पैसा किसका है. गौतम अडानी का पैसा है या फिर किसी दूसरे का पैसा है. दूसरा सवाल है कि दो विदेशी नागरिक इसमें क्यों हैं. गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी का इसमें क्या रोल है. तीसरा सवाल ये है कि जिस शख्स ने SEBI की तरफ से अडानी मामले की जांच की थी, क्लीन चिट दी थी. वह अडानी के ही एक चैनल में डायरेक्टर है. इस मामले के लिए तुरंत एक JPC का गठन होना चाहिए. इसका मास्टरमाइंड कौन है, इसका पता चलना चाहिए.
राहुल गांधी ने आगे सवाल दागते हुए कहा, प्रधानमंत्री इस मामले में जांच से क्यों बचना चाहते हैं. G-20 का समय है. अलग-अलग देशों से नेता यहां हैं वो इस मामले पर सवाल पूछ सकते हैं. सवाल ये उठता है कि पीएमम मोदी कुछ क्यों नहीं कर रहे हैं. अखबार कह रहा है कि पीएम मोदी-गौतम अडानी का रिश्ता है तो गौतम अडानी की जांच क्यों नहीं हो रही है.
राहुल गांधी ने कहा, वो कहते हैं कि भ्रष्टाचार नहीं है. यहां पर स्टॉक की कीमतों को उठाया जा रहा है. तो ये देश की इमेज को खराब कर रहा है. पीएम को कदम उठाना चाहिए और इसकी जांच होनी चाहिए.
क्या हैं राहुल गांधी के सवाल
पहला सवाल- ये पैसा किसका है. गौतम अडानी का है या किसी और का. अगर किसी और का है तो किसका है
दूसरा सवाल- जब अडानी हिन्दुस्तान का असेट खरीदने जा रहे हैं तो चीनी नागरिक की क्या भूमिका है.
तीसरा सवाल- सेबी की जांच हुई थी और जिसने क्लीन चिट दी थी, वो एक कंपनी का डायरेक्टर है.
मामला क्या है?
ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने अडानी समूह पर गुरुवार को जमकर निशाना साधा. उसका आरोप है कि प्रोमोटर फैमिली के पार्टनर्स से जुड़ी विदेशी यूनिट्स के जरिए अडानी ग्रुप के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया. हालांकि अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है.
इस संगठन को जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड करते हैं. ये आरोप ऐसे समय में लगाए गए हैं, जब कुछ महीने पहले अमेरिका की फाइनेंशियल रिसर्च एंड इन्वेस्टमेंट कंपनी हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर बही-खातों में धोखाधड़ी और शेयरों के भाव में गड़बड़ी के अलावा विदेशी यूनिट्स के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया था. इन आरोपों के बाद समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी.
कई ‘टैक्स हेवन’ की फाइलों और अडानी ग्रुप के कई इंटरनल ईमेल की समीक्षा का हवाला देते हुए ओसीसीआरपी ने कहा कि उसकी जांच में कम से कम दो मामले पाए गए जहां अस्पष्ट निवेशकों ने ऐसी विदेशी इकाइयों के जरिए अडाणी के शेयर खरीदे व बेचे. 'टैक्स हेवन' उन देशों को कहते हैं जहां अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम टैक्स लगता है.
ओसीसीआरपी ने दावा किया कि नासिर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग नाम के दो लोगों के अडानी परिवार के साथ लंबे समय से कारोबारी संबंध हैं और उन्होंने गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी से जुड़ी समूह कंपनियों आदि में डायरेक्टर और शेयरहोल्डर के तौर पर भी काम किया है.
ओसीसीआरपी ने आरोप लगाया, इन लोगों ने विदेशी यूनिट्स के जरिए कई साल तक अडानी के शेयर खरीदे व बेचे और इससे काफी मुनाफा कमाया. उनकी भागीदारी साफ नहीं है.
उसने आरोप लगाया कि दस्तावेजों से पता चलता है कि उनके इन्वेस्टमेंट की प्रभारी प्रबंधन कंपनी ने गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी की कंपनी को उनके निवेश में सलाह देने के लिए भुगतान किया था.