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नई दिल्ली: देशभर में स्वच्छता अभियान को लेकर लगातार लोगों को जागरुक किया जा रहा है और सरकार भी लोगों से अपने आस-पास सफाई रखने की अपील करती रहती है. लेकिन शहरों से लेकर रेलवे स्टेशनों पर आम लोग गंदगी फैलाने से बाज नहीं आते, जिससे सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी होती हैं. इतनी कोशिशों के बाद भी सार्वजनिक स्थानों पर गुटखा थूकना आज भी आम बात है.
भारतीय रेलवे हर साल गुटखा थूकने के बाद हुई गंदगी को साफ करने पर करीब 1200 करोड़ रुपये और लाखों लीटर पानी खर्च करता है. यह आंकड़ा किसी को भी चौंका सकता है लेकिन देश में रेलवे स्टेशन और ट्रेनों की संख्या के साथ-साथ यात्रियों की तादाद को देखते हुए यह रकम जायज नजर आती है. कोरोना काल में लोगों को साफ-सफाई का खास ध्यान रखने को कहा गया, बावजूद इसके लोगों ने अपने बर्ताव में जरा भी सुधार नहीं किया.
अब रेलवे ने इस समस्या से निजात पाने के लिए अलग तरीका खोज लिया है. रेलवे स्पिटून (पीकदान) की वेंडिंग मशीनें या कियोस्क लगाने जा रहा है जहां से आप थूकने के लिए स्पिटून पाउच खरीद सकते हैं जिसकी कीमत 5 से 10 रुपये के बीच होगी. फिलहाल यात्रियों के इस्तेमाल के लिए देश के 42 स्टेशनों पर ऐसे स्टॉल शुरू करने की योजना है.
रेलवे के पश्चिम, उत्तर और मध्य रेलवे जोन ने इसके लिए नागपुर के एक स्टार्टअप ईजीपिस्ट को कॉन्ट्रैक्ट दिया है. इस पीकदान को कोई भी शख्स आसानी से अपनी जेब में रख सकता है. इन पाउच की मदद से यात्री बिना किसी दाग के कहीं भी कभी भी थूक सकता है. इन बायोडिग्रेडेबल पाउच को 15-20 बार यूज किया जा सकता है. ये थूक को ठोस पदार्थ में बदल देता है. एक बार पूरी तरह से इस्तेमाल करने के बाद इन पाउचों को मिट्टी में डाल दिया जाता है, जिसके बाद ये पूरी तरह से घुल जाते हैं.
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नागपुर स्थित कंपनी ने स्टेशनों पर ईजीस्पिट वेंडिंग मशीन लगाना शुरू कर दिया है. उन्होंने नागपुर नगर निगम और औरंगाबाद नगर निगम के साथ भी करार किया है. ईजीस्पिट की को-ऑनर रितु मल्होत्रा ने कहा, ‘हमने मध्य, उत्तर और पश्चिम रेलवे के 42 स्टेशनों के लिए भारतीय रेलवे के साथ एक करार किया है. हमने कुछ स्टेशनों पर ईजीस्पिट वेंडिंग मशीन लगाना शुरू भी कर दिया है.’
रेलवे को उम्मीद है कि योजना की शुरुआत के बाद लोग थूकने के लिए थैली का इस्तेमाल करेंगे और सार्वजनिक जगहों पर गंदगी फैलाने से बचेंगे. ऐसा करने से न सिर्फ स्टेशनों और ट्रेनों में सफाई रहेगी बल्कि रेलवे के करोड़ों रुपये की बचत भी हो सकेगी.