किसानों के लिए मुसीबत बनी बारिश, धान और सोयाबीन को भारी नुकसान
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किसानों के लिए मुसीबत बनी बारिश, धान और सोयाबीन को भारी नुकसान

उत्तर भारत में खरीफ सीजन की फसल या तो कट रही है या फिर कटाई के लिए तैयार खड़ी है. कटाई के दौरान मौसम खराब होने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

बारिश से किसानों को 20 से 25 फीसदी नुकसान होने की आशंका है.

नई दिल्ली : पिछले तीन दिनों से उत्तर भारत मे हो रही लगातार बारिश से जहां मौसम में गुलाबी ठंडक ने दस्तक दी है और दिल्ली समेत आसपास के इलाकों में रहने वालों ने राहत महसूस की है, वहीं इस बारिश से किसानों के चेहरे में चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं. बारिश के चलते धान, कपास, सोयाबीन और उड़द की फसल को काफी नुकसान हुआ है. 

बता दें कि उत्तर भारत में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है. हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में तो बर्फबारी भी हुई है. बारिश के चलते तापमान में कापी गिरावट दर्ज की गई है. लेकिन वहीं हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई स्थानों से खेतों में खड़ी फसल को इस बारिश ने भारी नुकसान पहुंचाया है. 

उत्तर भारत में खरीफ सीजन की फसल या तो कट रही है या फिर कटाई के लिए तैयार खड़ी है. कटाई के दौरान मौसम खराब होने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस बारिश से किसानों को 20 से 25 फीसदी नुकसान होने की आशंका है. अगर यही मौसम अगले 2-3 दिन और रहा तो यह नुकसान बढ़ सकता है.

पंजाब-हरियाणा में धान को नुकसान
हरियाणा और पंजाब में इस समय धान की फसल पकने के लिए तैयार खड़ी है. बारिश के कारण 1509 धान की फसल में ज्यादा नुकसान की आशंका है. हरियाणा के कैथल, पानीपत, कुरुक्षेत्र समेत कई स्थानों पर बारिश और तेज हवाओं के चलते धान की फसल जमीन पर बिछ गई है. जमीन पर धान गिरने से फसल को 20 फीसदी तक का नुकसान हो सकता है. पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में काफी नुकसान देखने को मिला है. दोआबा, माझा और मालवा के कई जिलों में लगातार बारिश हो रही है और अगले 2-3 दिन बारिश होने की संभावना जारी की गई है.

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. मयंक राय ने बताया कि अगर मौसम ऐसा ही रहा तो यह नुकसान और भी बढ़ सकता है. कई स्थानों पर फसल कट भी गई है. लेकिन कटी फसल के बारिश में भीगने के कारण उसमें नमी पैदा हो गई है, जिससे किसानों को मंडी में उसके दाम सही नहीं मिल रहे हैं. 

डॉ. मयंक राय ने बताया कि इस बारिश से किसानों को हर तरह से नुकसान है. जिन किसानों की फसल कट गई है, उसका मंडी में सही दाम नहीं मिलेगा और जिनकी फसल खेत में खड़ी है, वह जमीन में बिछ गई है. इससे फसल कटाई की लागत बढ़ जाएगी और उत्पादन भी कम होगा. नीचे जो फसल दबी हुई है उसमें धान नहीं पड़ेगा या फिर खराब हो जाएगा. पंजाब और हरियाणा में धान की खरीद एक अक्टूबर से शुरू हो जाएगी. पंजाब में 200 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की व्यवस्था की गई है.

मध्य प्रदेश में सोयाबीन और उड़द को नुकसान
मध्य प्रदेश के राजगढ़, इंदौर, खंडवा, शाजापुर, बीना समेत कई जिलों में सोयाबीन और उड़द की फसल की कटाई चल रही है. बारिश के कारण कटाई का काम रुक गया है. इंदौर और राजगढ़ में पिछले दो दिनों से बारिश हो रही है. यहां उड़द की पूरी फसल पक गई है और कटाई का काम भी शुरू हो गया है. बारिश और तेज हवाओं के कारण खड़ी फसल खेतों में गिर गई और जो फसल कटी रखी थी उसमें पानी भर गया. इससे फलियों में पड़े काफी दाने झड़ गए हैं. 

बीना जिले में 22 हजार हेक्टेयर में उड़द की फसल खड़ी है, जिसे काफी नुकसान हुआ है. खंडवा जिले में 3 लाख, 12 हजार, 262 हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोआई की गई थी. यहां सोयाबीन का रकबा 1 लाख, 77 हजार हेक्टेयर और कपास का रकबा 58 हजार हेक्टेयर है. शेष इलाके में तिलहन, ज्वार, बाजरा, मक्का, अरहर, मूंग की फसल खड़ी है. 

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हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बारिश के कारण सड़कों को काफी नुकसान हुआ है (फोटो- ANI)

हिमाचल में बर्फबारी
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से ऊंचाई वाले इलाकों में चोटियां बर्फ से लद गई हैं, जिससे तापमान में गिरावट आई है. कई जगहों पर भूस्खलन होने से 100 से अधिक स्थानों पर यातायात बंद हो गया है. रोहतांग और कुंजुम दर्रा में 10-10 सेंटीमीटर से ज्यादा बर्फबारी हुई है. मौसम विज्ञान केंद्र ने सोमवार को प्रदेश में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है.

राजस्थान में भारी बारिश की चेतावनी
मौसम विभाग ने पूर्वी राजस्थान के 12 जिलों में भारी बारिश की आशंका जताई है. अगले 24 घंटों के भीतर बारां, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, कोटा, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाईमाधोपुर, जालौर, उदयपुर, टोंक और उदयपुर में भारी बरसात की चेतावनी जारी की गई है. भरतपुर, बारां, सवाईमाधोपुर सहित कई शहरों में बीती रात से ही घने बादल छाए हुए हैं. जयपुर में पिछले दो दिनों से रुक-रुक कर बारिश हो रही है. लगातार बारिश के बाद कई शहरों के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है. सबसे कम तापमान माउंट आबू और सीकर में 19.0 डिग्री सेल्सियस रहा.

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