केंद्रीय बजट से राजस्थान के मार्बल सेक्टर को ये है बड़ी उम्मीद
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केंद्रीय बजट से राजस्थान के मार्बल सेक्टर को ये है बड़ी उम्मीद

मोदी सरकार के कल पेश होने वाले बजट 2022 को लेकर किशनगढ़ मार्बल उद्योग को बड़ी उम्मीद है. मार्बल उद्योग ग्रेनाइट पर जीएसटी स्लैब दर 18% से कम होने की उम्मीदें लगाए बैठे हैं. जीएसटी स्लैब दर अधिक होने के चलते मार्बल ग्रेनाइट व्यापार पर नेगेटिव असर पड़ रहा है.

केंद्रीय बजट से राजस्थान के मार्बल सेक्टर को ये है बड़ी उम्मीद

Kishangah: मोदी सरकार के कल पेश होने वाले बजट 2022 को लेकर किशनगढ़ मार्बल उद्योग को बड़ी उम्मीद है. मार्बल उद्योग ग्रेनाइट पर जीएसटी स्लैब दर 18% से कम होने की उम्मीदें लगाए बैठे हैं. जीएसटी स्लैब दर अधिक होने के चलते मार्बल ग्रेनाइट व्यापार पर नेगेटिव असर पड़ रहा है. पहले की अपेक्षा में व्यापार की ग्रोथ कम हो गई है. 

किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन अध्यक्ष सुधीर जैन मार्बल ग्रेनाइट पर जीएसटी की स्लैब दर कम करने को लेकर लगातार पत्र के माध्यम से अजमेर सांसद सहित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अवगत करा चुके हैं. बजट 2022 में किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन अध्यक्ष सुधीर जैन को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा कर व्यापार को राहत देगी.

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मार्बल एसोसिएशन अध्यक्ष सुधीर जैन ने बताया की कोविड-19 के चलते हुए आर्थिक नुकसान के कारण मार्बल-ग्रेनाइट उद्योग को आवश्यक राहत देने की मांग की है. उन्होंने बताया कि राजस्थान मार्बल एवं ग्रेनाइट उत्पाद का सबसे बड़ा केन्द्र है. कृषि के बाद यह सर्वाधिक रोजगार देने वाला व्यवसाय है. 33 जिलों में से 23 जिलों में मार्बल एवं ग्रेनाइट का खनन एवं उत्पादन का हो रहा है. 50 लाख लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.

लॉकडाउन के चलते औद्योगिक गतिविधियां ठप रहीं जिससे मार्बल एवं ग्रेनाइट पर 2017 से जीएसटी की दर 18 प्रतिशत चली आ रही है. पूर्व में सेल्स टैक्स के समय उत्पादों की दर मात्र 5 प्रतिशत थी. इससे दोनों उत्पादों के खनन एवं प्रसंस्करण में 100 करोड़ का सम्भावित नया निवेश थम गया है. सरकार को मार्बल एवं ग्रेनाइट उद्योग के लिए एक आर्थिक पेकेज स्वीकृत करना चाहिए. साथ ही जीएसटी दर को 18 से कम कर 5 प्रतिशत करना चाहिए.

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किशनगढ़ के मार्बल व्यापारी व एसोसिएशन सदस्य शशिकांत पाटोदिया कहते हैं, 'स्टोन व्यवसाय की बनावट ऐसी है कि हमारा ज्यादातर बिजनेस क्रेडिट पर चलता है और कई बार 3-6 महीनों में पेमेंट आता है. ऐसे में हर महीने रिटर्न फाइल करना और इनपुट क्रेडिट से जुड़ी पेचीदगी हमारे लिए बड़ी मुश्किल की बात होगी. अभी अगर टैक्स रेट को 18 की जगह 5 प्रतिशत रखा जाए तो ही बिजनेस करना संभव हो पाएगा.'

दरअसल मार्बल-ग्रेनाइट को 18 फीसदी के स्लैब में रखने के पीछे वजह ये है कि सरकार इसे लक्जरी आइटम मानती है, जबकि इंडस्ट्री का तर्क है कि मार्बल-ग्रेनाइट जैसी चीजें आजकल हर आदमी अपने घर में इस्तेमाल कर रहा है और ये विलासिता की वस्तु नहीं रह गई है. लिहाजा इस सेक्टर को 18 प्रतिशत टैक्स नेट में रखना बेतुकी सी बात है. टैक्स में बढ़ोतरी से सरकार का टैक्स कलेक्शन कम होगा. कीमतें ज्यादा बढ़ने से बिक्री कम होगी और इसका असर रोजगार पर होगा.

Reporter: manveer Singh

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