Alwar news: अलवर में राजशाही काल से रक्षाबंधन के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है. जिसके चलते अलवर के मुख्य पतंग बाजार मालाखेड़ा में पतंग व मांजे की जमकर खरीददारी हो रही है. बाजार में कई तरह की पतंगे जिनमे कार्टून, नेता, अभिनेता, चंद्रयान, गदर 2, चांद, सितारा, प्लेन, आड़ी, तिरछी पतंग व तरह-तरह की रंग बिरंगी फिरकी उपलब्ध है.
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Alwar : अलवर में राजशाही काल से रक्षाबंधन के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है. जिसके चलते अलवर के मुख्य पतंग बाजार मालाखेड़ा में पतंग व मांजे की जमकर खरीददारी हो रही है. बाजार में कई तरह की पतंगे जिनमे कार्टून, नेता, अभिनेता, चंद्रयान, गदर 2, चांद, सितारा, प्लेन, आड़ी, तिरछी पतंग व तरह-तरह की रंग बिरंगी फिरकी उपलब्ध है. लेकिन इस बार मंहगाई की मार के कारण पतंगों का बाजार फीका नजर आ रहा है. जिसके कारण पतंग-मांझे और फिरकी की बिक्री पर इसका विपरीत असर पड़ा है.
व्यापारियों को नुकसान की चिंता
इस कारण व्यापारियों में नुकसान को लेकर चिंता है. इस बार पतंग-माँझे और फिकरी के दाम में 20-25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पतंग की एक कौड़ी की कीमत 50 से 250 रुपये है. वही मांजे की डोर 250 से लेकर 600 रूपये तक है. पतंग व्यवसाई ने बताया बढ़ती महंगाई की मार पतंग बाजार पर भी पड़ रही है. पहले जहां एक रुपए में पतंग आसानी से उपलब्ध हो जाती थी. अब उनके दाम 5 रुपए तक हो गए, वहीं बच्चो में मोबाइल गेम के प्रति दीवानगी व पढ़ाई के दबाव के कारण भी बाजार में खरीददारी कम है.सुनिए पतंग व्यापारी व आमजन की राय.
इस सबके बावजूद प्रशासन के निर्देश है. सुबह 6 से 8 बजे तक और शाम को 5 से 7 बजे तक पतंग नहीं उड़ाई जाए. जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट अलवर पुखराज सेन के द्वारा धातु निर्मित माझो पर विशेष रूप से रोक लगाई है. वही नागरिकों को आदेश की अबेहलना नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं. निषेधज्ञा उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 108 के तहत दंडित किया जाएगा.
Reporter- Kishore Roy
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