Alwar News: भिवाड़ी के उप जिला स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी कैंप में डॉक्टरों ने एक महिला का ऑपरेशन किया. लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से ऑपरेशन के दौरान लगाए गए टांकों से लगातार 4 घंटे तक खून बहता रहा.
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Alwar, Bhiwadi: भिवाड़ी के उप जिला स्वास्थ्य केंद्र में गत 28 जनवरी को लगे नसबंदी कैंप के दौरान एक महिला के ऑपरेशन में डॉक्टरों की लापरवाही का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि नसबंदी के ऑपरेशन के दौरान लगाए गए टांकों से लगातार 4 घंटे तक खून बहा, जिससे महिला की हालत खराब हो गई. उसे अलवर रेफर कर दिया गया. फिलहाल महिला जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है.
भिवाड़ी के सरकारी अस्पताल में नसबंदी कराने आई एक महिला नसबंदी का ऑपरेशन कराने के बाद डॉक्टर टीम के द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है. ऑपरेशन करने वाली संस्था एफआरएचएस के डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन करने के बाद महिला के सही ढंग से टांके नहीं लगाए जिससे महिला को इतना ज्यादा रक्तस्राव हुआ कि वह बेहोश हो गई ,मामला 28 जनवरी का बताया जा रहा है लेकिन महिला की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है.
भिवाड़ी के वार्ड नंबर 60 में रहने वाली राजबाला सागर पत्नी चंद्रभान सागर ने बताया कि वह गत 28 जनवरी को भिवाड़ी के उप जिला स्वास्थ्य केंद्र में लगे नसबंदी के कैंप में ऑपरेशन कराने गई थी दिनभर अस्पताल में रहने के बाद उसका ऑपरेशन किया गया और उसे शाम 5 बजे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई घर आने के बाद करीब 6:30 उसको अचानक पेट में दर्द हुआ और जहां पर ऑपरेशन के टांके लगाए थे वहां से तेज रक्तस्राव शुरू हो गया. कुछ देर तो उन्होंने इस चीज को सामान्य रूप से लिया. लेकिन जब लगातार खून निकलता रहा तो उसको देखकर खुद राजबाला और बच्चे घबरा गए यह पीड़ित राजबाला को लगातार 5 घंटे तक टांको में से खून निकलता रहा.
आखिर में रात 11:30 बजे राजबाला के पति चंद्रभान सागर के द्वारा उसे वापस उप जिला स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया और डॉक्टरों से पूरी बात बताई गई. तो ड्यूटी डॉक्टर ने रात को ही गंभीर हालत देखते हुए उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. जिला अस्पताल में 4 दिन तक राजबाला सागर का इलाज चला और वहां पर उसके दोबारा से टांके लगाए गए, 4 दिन बाद राजबाला को जिला अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. और अब वह अपने घर पर गंभीर हालत में चारपाई पर पड़ी रहती है. ज्यादा रक्तस्राव होने के कारण राजबाला के शरीर में बेहद कमजोरी आ चुकी है ना उसे भूख लगती है और ना ही वह कुछ खा पी रही है.
पीड़ित राजबाला ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने ऑपरेशन के बाद टांके सही ढंग से नहीं लगाए जिससे उसको अत्यधिक रक्तस्राव हुआ और उसकी यह हालत हो गई, फिलहाल पीड़ित के पति चंद्रभान सागर डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही की एफआईआर दर्ज कराने की बात कह रहे हैं. वहीं, इस मामले पर ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज यादव ने बताया कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई मामला अभी तक नहीं आया है ऑपरेशन करने का काम अलवर से आई हुई डॉक्टरों की टीम करती है इसमें स्थानीय डॉक्टरों का कोई भी रोल नहीं होता अगर ऐसा कोई मामला है तो जानकारी जुटाकर कार्यवाही की जाएगी.
वहीं, भिवाड़ी उप जिला स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ केके शर्मा ने बताया कि जिस दिन ऑपरेशन हुआ था उस दिन वह अस्पताल में मौजूद नहीं थे और ऐसा कोई मामला अभी तक संज्ञान में नहीं आया है. ऑपरेशन करने का काम अलवर से एफआरएचएस संस्था करती है. जिसमें डॉक्टरों की टीम आती है. अस्पताल प्रशासन का काम तो केवल उनको जगह और सुविधाएं मुहैया कराना होता है.
डॉक्टर ने बताया कि पीड़ित राजबाला को 108 एंबुलेंस भेज कर अस्पताल में बुलाया गया है अभी दोबारा से महिला की जांच की जाएगी अगर स्थिति नाजुक हुई तो अभी उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर किया जाएगा. इसमें किसकी लापरवाही रही है इसकी जांच करवाते हैं.
वही एफआरएचएस टीम के डॉक्टरों की टीम में ऑपरेशन करने आए सर्जन डॉक्टर अशोक जैन ने बताया कि ऑपरेशन में किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं हुई है एक बटन के समान ऑपरेशन होता है जिसमें एक या दो टांके लगते हैं अगर खून निकल रहा था तो भिवाड़ी में ही डॉक्टरों को टांके लगा देने चाहिए थे रेफर नहीं करना चाहिए था . ऐसा किसी किसी मरीज की स्किन के नेचर के हिसाब से ऐसा हो जाता है, मरीज की ज्यादा तबीयत खराब है तो उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
हालत बिगड़ने से आर्थिक स्थिति भी हुई कमजोर
राजबाला सागर के तीन बच्चे हैं जिनमें सबसे बड़ी लड़की वर्षा सागर 18 वर्ष की है तो वही उसके बाद लड़का योगेंद्र सागर 16 वर्ष का है और सुमित सागर 14 वर्ष का है. तीन संतान के बाद राजबाला ने नसबंदी का ऑपरेशन कराया था ऑपरेशन के दौरान बरती गई लापरवाही से राजबाला के पति की आर्थिक स्थिति भी बेहद कमजोर हो चुकी है राजबाला सागर के पति चंद्रभान सागर ने बताया कि वह भिवाड़ी में स्थित दवाई बनाने वाली कंपनी मेडिका मेन में काम करते हैं और उनकी तनख्वाह मात्र 20 हजार रुपए है. पत्नी का ऑपरेशन होने के बाद उन्होंने ड्यूटी पर भी जाना बंद कर दिया है. क्योंकि बच्चों की सार संभाल और पत्नी की देखरेख करने में पूरा समय व्यतीत हो जाता है वहीं डॉक्टरों की लापरवाही से पत्नी की हालत बिगड़ने के कारण उनके अभी तक करीब 15 से 20 हजार रुपए भी खर्च हो चुके हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो गई है .