कलाकंद के बाद फूल अलवर की नई पहचान बन रहे हैं, बड़ी संख्या में किसान फूलों की खेती करने लगे हैं. प्रतिदिन सैकड़ों क्विंटल फूल देश की राजधानी दिल्ली, जयपुर, गुड़गांव और आसपास शहरों में जाते हैं. अलवर के यह फूल गुणवत्ता में बेहतर हैं, इसलिए इनकी डिमांड भी अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा है. कोरोना के चलते दो साल खासे प्रभावित रहे. लेकिन इस बार फूलों की डिमांड ज्यादा होने के कारण किसानों को फायदा मिल रहा है.
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Alwar:अलवर का कलाकंद देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखता है, लोगों के दिलों में मिठास खोलता है. कलाकंद से अलवर की खास पहचान है. कलाकंद के बाद अब गेंदे के फूल भी अलवर की पहचान बन रहे हैं. अलवर में वैसे तो कई प्रजातियों की गेंदे के फूल होते हैं. सभी गुणवत्ता में अन्य जगहों की तुलना में बेहतर हैं. त्योहार के मौके पर फूलों की डिमांड कई गुना बढ़ जाती है. इसलिए इन दिनों किसान खाता खुश है. प्रतिदिन सैकड़ों क्विंटल फूल अलवर से आसपास के विभिन्न शहरों में जाते हैं.
देश की राजधानी दिल्ली भी अलवर के फूलों से महक रही है. अलवर के दो हजार से ज्यादा किसान फूलों की खेती में लगे हैं. आना आज सब्जी की तुलना में फूलों की खेती से किसान को फायदा मिलता है. जल्दी पैदावार के साथ ही किसान को फूलों का नगद पेमेंट मिलता है.
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