Rajasthan Election 2023: सचिन पायलट के बेहद करीबी कांग्रेस नेता पं. सुरेश मिश्रा सहित हनुमान बेनीवाल की आरएलपी के नेताओं ने थामा भाजपा का दामन
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Rajasthan Election 2023: चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों के नेताओं में ''चला चली का मेला'' चल निकला है. टिकट मिलने आस हो या टिकट कटने की मायूसी या फिर सरकार बनने पर कोई उम्मीद. नेता एक दल को छोड़कर दूसरे दल का दामन पकड़ रहे हैं. राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ ही ब्यूरोक्रेट्स भी कांग्रेस और बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. वहीं इसे लेकर कांग्रेस बीजेपी भी एक दूसरे पर बयानबाजी कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर सवाल उठ रहा कि इस चुनावी पैंतरा में कौन कितना खरा उतर पाएगा यह आने वाला वक्त बताएगा.
राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के साथ ही अन्य दलों के बीच सत्ता का महासंग्राम तेज हो चला है. इस बीच नेताओं का एक राजनीतिक दल को छोड़कर दूसरे दल का दामन पकड़ने का सिलसिला भी बढ़ गया है. सियासी महत्वकांक्षा के चलते दल बदल का यह दौर तेज हो गया है. दल बदल या पार्टी के ज्वॉइन करने के पीछे टिकट मिलना, टिकट कटने से नाराजगी या फिर टिकट नहीं मिलने की उम्मीदें धराशायी होने के साथ ही पार्टी में तव्वजो नहीं मिलना भी प्रमुख माना जा सकता है. सत्ता के लिए चल रहे संघर्ष में कुछ इस प्रकार का नजारा दिखाई दे रहा है.
विधानसभा चुनावों से पहले और तीसरी सूची जारी होने से पहले आज कांग्रेस और आरएलपी छोडकर 10 प्रमुख नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थामा है. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सी.पी.जोशी ने पूर्व आईएएस व जयपुर जिला कलक्टर रहे अंतर सिंह नेहरा, सचिन पायलट के बेहद करीबी कांग्रेस नेता पं. सुरेश मिश्रा सहित आरएलपी के नेताओं को भाजपा का दुपट्टा ओढाकर पार्टी की सदस्यता दिलाई.
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi की कार्यपद्धति एवं जन कल्याणकारी नीतियों से प्रभावित होकर आज कांग्रेस और आरएलपी छोड़कर आए 10 प्रमुख नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थामा।
भाजपा मीडिया सेंटर पर आयोजित कार्यक्रम में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री @cpjoshiBJP ने पूर्व आईएएस… pic.twitter.com/ZsdUqwsZDV
— BJP Rajasthan (@BJP4Rajasthan) October 23, 2023
इस मौके पर भाजपा में शामिल होने वालो में खींवसर प्रधान व आरएलपी से पंचायत समिति सदस्य सीमा चौधरी, आरएलपी की मूंडवा प्रधान गीता देवी व उनके पति आरएलपी नेता रेवतराम डागा, आरएलपी के पूर्व मुख्य प्रवक्ता महिपाल महला फतेहपुर, सरपंच संघ के अध्यक्ष व बोजास सरपंच जगदीश बीडियासर, नागौर के मौलासर पूर्व प्रधान व कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य झालाराम भाकर, पूर्व प्रधान भगवानाराम बुरडक तथा हनुमानगढ की महिला कांग्रेस की पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. सुमन चावला ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. इससे पहले भी बीजेपी में देवी सिंह भाटी, सुभाष महरिया सहित कई प्रमुख नेताओं ने बीजेपी में घरवापसी की, वहीं कई रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स भी बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. सुरेश मिश्रा बीजेपी के प्रदेश महासचिव हैं और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खास माने जाते हैं.
बीजेपी ज्वॉइन करने से पहले नेताओं ब्यूरोक्रेटस ने पीएम मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर बीजेपी का दामन थामने की बात कही, लेकिन सबको पता है कि इनका लक्ष्य कहीं न कहीं विधानसभा टिकट पाना है. पूर्व आईएएस चंद्रमोहन मीणा, बसपा से आए भागचंद टांकड़ा सहित कई लोग टिकट पाने में भी सफल रहे हैं. बात कांग्रेस की करें तो निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला, खुशबीर जोझावर, संयम लोढ़ा, बाबू नागर , लक्ष्मण मीणा, रमिला खड़िया आदि ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर विधायकी का टिकट लिया है. इसके अन्य कई निर्दलीय विधायक या नेता भी सदस्यता की कतार में है.
दलबदल या फिर पार्टी ज्वॉइन करने के बाद नेताओं के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बीजेपी में टिकटों के वितरण बाद उपजे असंतोष पर कहा कि ये फैसले सामूहिक निर्णय के आधार पर होते है, क्योंकि कार्यकर्ताओं को भाजपा की सरकार बनने की उम्मीद बढ़ी है. इसलिए टिकट नहीं मिलने वालों का गुस्सा भी बढ़ा है. यह तात्कालिक है. थोड़े दिनों में सब शांत हो जाएगा. कांग्रेस में तो हालत खराब है. वहां तो टिकट देने वाले ही नहीं दिखाई दे रहे. पहले से ही बवाल से डर रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने एक दिन पहले कहा था कि बडे बडे दिग्गजों को कांग्रेस के जहाज से उतरते देखा है. अब ज्योंही चुनावी युद्ध पास आएगा, बहुत से लोग कांग्रेस के डुबते जहाज से उतरेंगे.
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