Rajasthan पंचायतीराज मंत्री के पद का सियासी गणित, पंचायती के साथ राजनीति में रहता है दबदबा
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Rajasthan पंचायतीराज मंत्री के पद का सियासी गणित, पंचायती के साथ राजनीति में रहता है दबदबा

Rajasthan- राजस्थान के पंचायतीराज मंत्री हमेशा से पॉवर में रहे.जो भी पंचायतीराज मंत्री बना राजनीति में सालों तक पॉवरफुल रहा. जो भी इस गदद्दी पर रहा है उसने  इस राज्य की सत्ता का सुख जरूर लिया है. इसके बेहतरीन उदाहरण वसुंधरा राजे से लेकर सचिन पायलट तक बने है.  

Rajasthan Election Commission

Rajasthan- राजस्थान के पंचायतीराज मंत्री हमेशा से पॉवर में रहे.जो भी पंचायतीराज मंत्री बना राजनीति में सालों तक पॉवरफुल रहा. पिछले तीन सरकारों में पंचायतीराज मंत्री का जिम्मा संभालने वाले मंत्री अब तक जीतते ही आए है.इस जीत के गणित का सियासी समीकरण चलिए एक बार समझते है.

पंचायतीराज व्यवस्था वाला पहला राज्य

राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है,जहां पंचायतीराज व्यवस्था लागू हुई.तब से पंचायतीराज विभाग की कमान संभालने का जिम्मा भी सरकारों को मिलने लगा. चुनावों के बीच पंचायतीराज मंत्रियों के जीत के संयोग देखने को मिल रहे है. 2003 से लेकर 2018 तक जो भी पंचायतीराज मंत्री बना,वो अब तक लगातार जीत रहा है. ये भी कहा जा सकता है कि ये विभाग मंत्रियों के लिए शुभ रहा. इतना ही नहीं वे हमेशा से सियासत में भी पॉवरफुल रहे.

महेंद्रजीत सिंह मालवीया

2008 में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में महेंद्रजीत सिंह मालवीया ग्रामीण विकास-पंचायतीराज मंत्री बने.बांसवाड़ा के बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र से 2003 से मालवीया लगातार चुनाव जीत रहे है.मालवीय 2003 में 44689 वोट से जद(यू) के जीतमल खांट को हराया.इसके बाद 2008 में बीजेपी के खेमराज को 14325 वोटों से हराया.इसके बाद 2018 के चुनावों में बीजेपी के खेमराज गरासिया को फिर से 21310 वोटो से हराया.कांग्रेस की सरकार आते ही महेंद्रजीत सिंह मालवीय को जल संसाधन मंत्री बनाया.

राजेंद्र राठौड़

राजेंद्र राठौड छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय है.1990 में वे जनता दल के टिकट पर पहली बार विधायक बने. बाद में 1993 से लेकर 2018 तक हुए चुनावों में राठौड़ ने कभी हार का सामना नहीं किया. वे हर बार विधायक बनते रहे हैं.हालांकि वर्ष 2008 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था.2013 की वसुंधरा सरकार इन्हें पंचायतीराज विभाग का जिम्मा दिया गया.अब राजेन्द्र राठौड़ नेता प्रतिपक्ष है.

सचिन पायलट

2004 में 26 साल की उम्र में सबसे कम आयु के सांसद चुने गए थे. पायलट ने विधानसभा चुनाव 2018 में टोंक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा है,इसके बाद उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया और पीडब्ल्यूडी के साथ पंचायतीराज विभाग का जिम्मा दिया गया.2009 में बीजेपी की किरण महेश्वरी को हराकर पायलट को 15 वीं लोकसभा में फिर से निर्वाचित किया गया. बाद में राजस्थान सरकार के आधीन उन्होंने 2009 से 28 अक्टूबर 2012 तक केंद्रीय राज्य, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में कार्य किया.2014 में सचिन पायलट ने अजमेर से चुनाव लडा और भारी मतों से जीत हासिल की.

रमेश चंद मीणा-

सपोटरा विधानसभा सीट पर रमेश चंद मीणा ही ऐसे विधायक हैं,जिन्होंने  2008 से लेकर 2018 तक जीत की हैट्रिक लगाई है.रमेश चंद 2008 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने थे.लेकिन बाद में बहुजन समाज पार्टी से जीतकर आए सभी छह विधायकों ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया था. उसके बाद मीणा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और लगातार जीत कर हैट्रिक लगाई.उन्हें पंचायतीराज मंत्री का जिम्मा दिया.सबसे खास बात ये है कि अबकी बार भी पंचायतीराज मंत्री रहे ये चारों नेता चुनाव लड रहे है.

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