Barmer News: बाड़मेर के बालोतरा में एक तरफ जल संकट है तो दूसरी तरफ अनार की फसलों से यह इलाका गुलजार है. 60 लाख खर्च कर पाइप लाइन ले आए पर फिर भी लोगों को पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है..
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Barmer News: राजस्थान के बाड़मेर के बालोतरा में एक तरफ जल संकट है तो दूसरी तरफ अनार की फसलों से यह इलाका गुलजार है. साथ ही यहां का एक किसान 60 लाख रुपये खर्च कर अपने खेतों में पानी की पाइपलाइन भी पहुंचा रखा है. हरिराम नाम का यह किसान आज स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों समेत अन्य सामाजिक कार्यों में पानी की सप्लाई भी करता है. सुनने और पढ़ने में भले ही यह खबर आपको अटपटी लगी हो, लेकिन यही सच्चाई है. एक किसान 60 लाख खर्च कर अपने खेत में पानी ले आता है. वहीं, सैकड़ों लोग पानी के लिए महीनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
सिवाना में पानी की किल्लत दूर करने और सफाईकर्मियों को नियमित करने के लिए सैकड़ों लोग करीब 22 महीने से धरना दे रहे हैं. लोग इस बारे में कई बार प्रशासन से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से उन्हें किसी तरह की मदद नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में यहां के लोग खासे परेशान हैं. धरना स्थल पर एक बोर्ड लगा हुआ है, जिसपर लिखा है कि 673 वां दिन और उसके नीचे- 22 माह, 23 दिन. इस दौरान यहां करीब 6 तहसीलदार बदले जा चुके हैं. प्रत्येक तहसीलदार को औसतन 100 से ज्यादा ज्ञापन दिए जा चुके हैं, लेकिन अभी तक उनका समाधान नहीं हो पाया है.
लोगों का कहना है कि प्रशासन को रोजाना ज्ञापन देते हैं और रसीद लेते हैं। रसीदी ज्ञापनों का पूरा रिकॉर्ड हमारे पास है. धरना दे रहे कांग्रेस नेता महेंद्र जैन टाइगर का कहना है कि हम बालोतरा-सिवाना के बीच बंद पड़े पेयजल परियोजना का काम शुरू करवाने के लिए धरना दे रहे हैं. जबतक सिवाना में पानी नहीं पहुंच जाता तबतक हम यहां से उठेंगे नहीं. पेशे से वकील गणपत सिंह गोलिया का कहना है कि सिवाना में जल संकट इतना ज्यादा है कि यहां 8-9 दिन में एक बार पानी आता है. हर परिवार पानी के टैंकरों पर ढाई हजार रुपए महीने तक खर्च करता है. फिर भी उन्हें पानी नसीब नहीं हो रहा है. प्रशासन और सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है. इस क्षेत्र में जबतक पानी हर दिन नहीं मिलता तबतक हमारा धरना जारी रहेगा.
वहीं, दूसरी ओर यहां के खेतों में अनार की पैदावार खूब हो रही है. यहां के ज्यादातर खेतों में अनार की फसल होती है. सिवाना गांव के नरेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि 600 पौधों पर हर साल 10 लाख तक की फसल निकलती है और एक खेत में 10 हजार पौधे लगाए गए हैं. अनार की फसलों से यह इलाका लहलहा रहा है. और यहां के किसानों की कमाई का बड़ा साधन है. पादरू में अनार मंडी घोषित होने के बाद यहां के किसानों के चेहरे और खिल उठे हैं.
अनार की पैदावार से किसानों के चेहरे खिले
हैरानी और ताजुब की बात तो यह है कि यहां के लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए एक तरफ धरना दे रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर यहां के खेत अनार की फसलों से सुर्ख नजर आ रहे हैं. सिणेर गांव में अनार के खेत में पैकिंग के लिए बिहार से मजदूर आए हुए हैं. खेत मालिक जब्बर सिंह राठौड़ की मानें तो उनके पास 4 कुएं हैं, पानी का लेवल काफी नीचे जा चुका है. ऐसे में एक ही कुएं से पानी निकलता है. हालांकि उनके खेत में खड़ी चमचमाती वैनिटी वैन से कुछ लोग यहां घूमने आए हुए हैं. जब नरेंद्र सिंह से इस गाड़ी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि भाई दिल्ली में टूरिस्ट गाइड है. जर्मनी के पर्यटकों का एक ग्रुप 35 वैनिटी वैन के काफिले में आया था. वे एक वैन कुछ दिन के लिए यहां छोड़ गए हैं. आगे भी आने का आश्वासन दिया है. उन्हीं की ये वैन है.
हरिराम का काम बोलता है..
जल संकट के बीच संत सरीखे हरिराम माली (70) की कहानी यहां के लिए किसी पहेली से कम नहीं है. हरिराम माली 60 लाख रुपये खर्च कर सिवाना गांव के खेत तक पानी ले आए, पर सैकड़ों ग्रामीण पानी के लिए करीब दो साल से धरना पर बैठे हुए हैं. हरिराम का कहना है कि 10 साल पहले उन्होंने 60 लाख रुपये खर्च कर 22 किमी दूर अपने गांव दंताला स्थित खेत से पाइपलाइन सिवाना तक ले आए. इसके लिए किसानों ने खेतों से रास्ता दिया. हरिराम के खेत में 6 कुएं हैं. इतना ही नहीं वह पानी की पाइपलाइन से सब्जियां उगाते हैं। गौशाला, स्कूल, सरकारी दफ्तरों और छात्रावासों में भी पानी पहुंचाते हैं.
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